पटना। बिहार मे कृषि क उर्वरा शक्ति बनबाग आ ग्लोबल वार्मिंग स निबटबाक लेल जैविक खेती कए बढ़ावा देल जाएत। एकर लेल कृषि विभाग प्रत्येक जिला मे एकटा गाम कए जैविक गाम बनेबाक कवायद शुरू करि देल गेल अछि। एहि स नहि सिर्फ पर्यावरण पर मंडरा रहल खतरा स निपटबा मे मदद भेटत, बल्कि चावल-गेहूं संग अन्य अनाज क असली स्वाद सेहो लौटत।
विशेषज्ञ क कहेबा अछि जे ग्लोबल वार्मिंग क सब स पैघ कारण रासायनिक खाद आ कीटनाशक दवा क प्रयोग अछि। एकर उपयोग स जमीन क बायोमीट्रिक परत समाप्त भ रहल अछि। पेयजल दूषित भ गेल अछि, जेहि स सिंचित जल क दोहन अधिक भ गेल अछि। एकर अलावा नाइट्रोजन वायुमंडल कए सेहो प्रदूषित केलक अछि।
एहि पर नियंत्रण करै स जतए, किसान कए आर्थिक बचत होइत आ रासायनिक खाद क लेल मारामारी नहि करै पड़त, ओतए कृषि क बहुत पैघ संकट स मुक्त रखै मे मदद भेटत। एहि कए ध्यान मे रखि कए सरकार राज्य मे जैविक खेती कए बढ़ावा देबाक फैसला केलक अछि।
राष्ट्रीय बागबानी मिशन मुजफ्फरपुर क कांटी आ मोतीपुर मे जैविक लीची उत्पादन क जिम्मा नेफेड आ आईपीएल कए देल गेल अछि। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना क तहत एहि वर्ष क लेल 1901 कम्पोस्ट यूनिट स्थापित करबाक स्वीकृति देल गेल अछि। बागबानी मिशन क तहत वर्ष 2006-07 मे 2750 यूनिट, 2007-08 मे 3243 यूनिट आ 2008-09 मे 4578 यूनिट क स्वीकृति द गेल छल। कृषि विभाग क अनुसार वर्मी कम्पोस्ट क बांग्लादेश मे सेहो मांग अछि। एकरा लेल बाजार क कमी नहि अछि। फल, फूल क खेती क लेल त इ आवश्यक अछि। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, बागवानी मिशन सहित केंद्र प्रायोजित योजना क तहत वर्मी कम्पोस्ट क लेल 50 प्रतिशत अनुदान सेहो देल जा रहल अछि। कृषि विभाग प्रत्येक जिला मे एकटा गाम कए जैविक गाम बनबाक कवायद शुरू करि देल गेल अछि। एकरा आसपास क गाम क लेल प्रयोगशाला क रूप मे विकसित कएल जाइत।
जैविक खाद कए ल कए एकटा संकट अछि जे ग्रामीण क्षेत्र मे गाय, बैल आ भैंस क कमी भ गेल अछि। प्रत्येक किसान क घर मे जखन तक गाय आ भैंस पर्याप्त संख्या मे नहि होइत, जैविक खाद कए बढ़ावा नहि भेट सकत। पशुपालन स किसान क समृद्धि संग कृषि क्षेत्र क सेहो विकास होइत।