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जन्म आ मृत्यु क बीच क बाट मात्र नहि अछि जीवन

July 14, 2010
in फीचर, समाचार
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पिछला छह साल स बिछान पर पडल युवा पत्रकार हिमकर श्याम जीवन क परिभाषा तकबा मे लागल छथि, गंभीर बीमारी स जूझि रहल आ पत्रकारिता स दूर भ चुकल हिमकर कए जखन छह साल बाद समाद लेल लिखबाक अनुरोध कैल गेल त ओ अपन पहिल आलेख जीवनक उपर देलथि अछि, एहि आलेख मे ओ एक प्रकार स कहबाक सेहो प्रयास केलथि अछि जे आखिर छल साल बाद फेर पत्रकारिता दिस किया लौट रहल छथि, उम्मीद अछि हुनक इ यात्र हुनक जीवन कए आगू ल जाइत आ सुखमय बनाउत


हिमकर श्याम
जन्म आ मृत्यु क बीच क जे यात्रा अछि जीवन अछि। एहि यात्रा मे कखनो रौद भेटैत अछि त कखनो छाहरि। कखनो सुख भेटैत अछि त कखनो दुख। एहि सबहक बीच आदमी कए अपन तयशुदा यात्रा पूरा करै पड़ैत अछि। अहां जीवन कए कोना जीबैत छी इ पूरा अहां पर निर्भर अछि। परिस्थिति पर कनैत हताश भ बैस जाइत छी या फेर अपन सामर्थ्य क बल पर लक्ष्य क पूर्ति मे जुटल रहैत छी। जीवन स मुक्ति क उपाय आहि स भागब नहि, बल्कि ओकरा स्वीकार करब अछि। जीवन जीबाक ढं़ग स जीवन शक्ति क विकास या हा्रस होइत अछि। प्रतिकूल समय कए अपन साहस क बल पर काटनिहार कए जीवन मे सफलता भेटैत अछि। जीवन कए त कोनाओ जीयल जा सकैत छैक। इ अहां कए तय करबाक अछि जे अहां जिनगी कौन प्रकार स जीबैत छी। किया कि इ अहां जीवन थिक जेकरा हर हाल मे जीबाक अछि।
मनुष्य अपन शत्रु अपने अछि आ स्वयं अपन मित्र सेहो। ओ अपना मे शुरू होइत अछि आ अपने मे नष्ट भ जाइत अछि। इ मनुष्य क स्वभाव पर निर्भर अछि जे अस्त-व्यवस्तता अपनाकए अपना कए दुर्गति क गर्त मे धकेल दैत अछि या चुस्त-दुरूस्त रहिकए प्रगति क पथ पर निरंतर आगू बढै़त अछि। एकहि रंग-रूप, नैन-नक्श आ कद-काठी क हेबाक बावजूद एकटा मनुष्य संपन्नता मे जीबैत अछि आ दोसर विपन्नता मे। सुख आ दुख शाश्वत अछि। जीवन मे एकर आएब अनिवार्य अछि। कोई एकरा स बचि नहि पबैत अछि। हमर सोच क सीधा असर हमर जीवन पर पड़ैत अछि। हम अपन सोच कए बदल दी त हमर भाग्य सेहो बदलि जाएत। निराशावादी आशा मे सेहो निराशा ताकि लैत दथि आ आशावादी निराशा मे सेहो आशा क संचार करि लैत छथि। कोनो कार्य मे बेर-बेर भेट रहल असफलता, दरअसल आबैवाला सफलता क तैयारी करि रहल होइत अछि। कठिन परिश्रम आ सतत् प्रयास स अंततः ओ सफलता हमरा भेटैत अछि जेकर हमरा इंतजार रहैत अछि।
हम जेे किछु छी, ओकरा लेल हम खुद जिम्मेवार छी। मनुष्य मे एहन शक्ति अछि जे कोनो अन्य जीव या प्राणी मे नहि। वह शक्ति अछि आत्मदृष्टि, जे ओकरा अपना स बाहर स्वयं अपना कए देखबाक लेल सक्षम बनबैत अछि। इ आत्मदृष्टि मनुष्य कए अन्य जीव स अलग करैत अछि। दार्शनिक लोकनि मनुष्य कए भटकैत देवता कहलथि अछि। जीवन क संघर्ष मे सफलता पेबाक लेल उत्साह कए होएब जरूरी अछि। नकारात्मक भाव क कारण हम अक्षम बनै लगैत छी। सफलता ओकरे भेटैत अछि जे उत्साह स परिपूर्ण होइत अछि। सफलता आ असफलता परिस्थिति आ सामर्थ्य पर निर्भर अछि। सफलता मे देर हुए मुदा ओ ठीक दिशा मे हेबाक चाही।
मंजिल पायब आसान नहि अछि त बहुत कठिन सेहो नहि अछि। कल्पना क रूख हमदम ऊपर दिस हेबाक चाही। अहां कए एहन हिम्मत रखबाक चाही जे अहां अपना कए शिखर पर चढ़ा ल जाएब। सामर्थ्य रहितो हमरा आचरण एकरा स उल्टा होइत अछि। हम जेतबा ऊपर जा सकैत छी ओतबो नहि जा कए अपना कए नीचा खसा लैत छी। व्यक्ति क महानता ओकरा उपलब्ध साधन या परिस्थिति मे नहि बल्कि ओकर मनोबल मे सन्निहित अछि। मनोबल स जीवन क प्रत्येक दिशा मे उन्नति आ संपन्नता क द्वार खुलि जाइत अछि। संसार क महापुरूष क जीवन पर नजरि दी त पता चलैत अछि जे परिस्थिति, साधन आओर योग्यता क दष्ष्टि स ओ आरंभ मे बहुत पिछड़ल छलैथि। हुनकर प्रारंभिक स्थिति लगभग ओहने छल जेहन एकटा औसत दर्जा क मनुष्य क होइत अछि। हुनका मे एकटा खास विशेषता छल ओ छल मनोबल क प्रखरता।
एकाग्रता सफलता क मार्ग प्रशस्त करैत अछि। सफल व्यक्ति चाहे ओ कोनो क्षेत्र क हुए ओकर सफलता क सूत्र ओकर एकाग्रता अछि। एकाग्रता दू प्रकार क होइत अछि सहज आ अर्जित कैल गेल। वेदांत मे कहल गेल अछि जे हर व्यक्ति क एकटा स्वतंत्र दुनिया अछि आओर ओ ओकर मन क द्वारा सष्जित कैल गेल अछि। ओकर भावना, निष्ठा, रूचि आ आकांक्षा क अनुरूप ओकरा पूरा विश्व देखाइ दैत अछि। इ दष्ष्टिकोण बदल जाए, त मनुष्य क जीवन सेहो आहि आधार पर परिवर्तित भ जाइत अछि। जे हम सोचैत छी, से करैत छी आओर वैह भोगैत छी। मन ही हमर मार्गदर्शक अछि आ ओ जाहि दिस चलैत अछि शरीर सेहो आहि दिस जाइत अछि।
जीवन क उत्थान आ पतन क केंद्र मन अछि। मन कए कामधेनु सेहो कहल गेल अछि। मन कामना सेहो करैत अछि आ मन ओकर पूर्ति क साधन सेहो जुटा लैत अछि। जीवन क उन्न्ति क लेल मन क साधल होएब आवश्यक अछि। यदि ओ अव्यवस्थित, असंयमित अछि त सफलता नहि भैट सकैत अछि। जेकर मन बेकाबू अछि ओकर जीवन असफल आ दुखमय रहैत अछि। यदि मन कए साधि लेल जाए त निर्वाह क आवश्यक साधन क कमी कखनो नहि पड़ि सकैत अछि। यदि कोनो कार्य सुव्यवस्थित तरीका स हुए त आसान भ जाइत अछि। अनियंत्रित आ अनियोजित तरीका स कैल गेल काज बोझ लगैत अछि।
मनुष्य क आयु बहुत लंबा नहि अछि, मुदा कनिसन आयु मे जीवन क सुख लेबाक सामर्थ्य अछि। मनुष्य अतीत या भविष्य मे बेसी रहैत अछि। वर्तमान मे बहुत कम रहैत अछि। अतीत क त हम किछु करि नहि सकैत छी। यदि हम अपन वर्तमान कए सुधारि ली त हमर भविष्य अपने आप सुधरि जाएत। मनोवैज्ञानिक क कहब अछि जे थिंक एण्ड गो रिच यानि सोच विधेयात्मक सोचू आ अखने सोचू ताकि अहां स्वयं कए श्रेष्ठ बना सकए। सब महा मानव एहि स महान बनलथि अछि। बीज कए वृक्ष बनेबा लेल लंब यात्रा करै पड़ैत अछि। बीज यदि बीज रहए त विश्व कए ओ उपलब्ध नहि होएत, जे वृक्ष स भ सकैत अछि । ओनाहि अपना कए विकास क शिखर तक पहुंचेबा लेल बहुत लंबा यात्रा करै पडै़त छैक। यदि चेतना सुस्त रहए त हमरा ओ उपलब्ध नहि भ सकैत अछि जेकर हम अपेक्षा करैत छी।
जीवन मे सफलता प्राप्त करबाक आ व्यक्तित्व क समुचित विकास क लेल संस्कार क सेहो विशेष महत्व अछि। संस्कार नीक सेहो होइत अछि आ अधलाह सेहो। दूनू क प्रभाव मनुष्य क जीवन पर पड़ैत अछि। शबर क अनुसार संस्कार ओ अछि जेकर संपादन स कोई व्यक्ति कोनो कार्य क योग्य भ जाइत अछि। संस्कार ओ माध्यम अछि जाहि स व्यक्ति एकटा परिष्कष्त आ पूर्ण समाज विकसित करैत अछि। विनोबा संस्कार संचय कए जीवन मानैत छथि। नदी स्वच्छन्दता स बहैत अछि मुदा ओकर प्रवाह बांधल होइत अछि। यदि ओ बद्ध नहि हुए त ओकर मुक्तता व्यर्थ चल जाएत। जीवन मे जखनधरि हम व्यवस्थित नहि होएब तखनधरि सफल नहि भ सकैत छी। ताहि लेल हमरा सब कए अपन व्यवहार बांधि लेबाक चाही ताकि जीवन बोझ नहि बल्कि आनन्दमय लागि सकए।

Tags: jivanyatra
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