पटना। नवीन आओर नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय क ग्रामीण अनुप्रयोग क लेल अक्षय ऊर्जा कए बढ़ावा देबाककार्यक्रम बिहार मे बायोगैस आओर खाद सुरक्षा क मामला मे विफल रहल। 11 वीं योजना क तहत देश मे दू मिलियन घनमीटर बायोगैस क उत्पादन क क्षमता विकसित करबाकलक्ष्य रखल गेल छल। बिहार क सेहो एहि मे महत्वपूर्ण भागीदारी तय कैल गेल छल। मंत्रालये राज्य मे 200 पारिवारिक यूनिट क स्थापना क लक्ष्य रखने छल। मुदा एकर उपलब्धि निराशाजनक रहल। इ लक्ष्य सेहो पूरा नहि भ सकल, जखन कि पड़ोसी राज्य बंगाल मे 11 हजार क लक्ष्य क स्थान पर करीब 13 हजार पारिवारिक बायोगैस यूनिट लगाउल गेल अछि।
बायोगैस क पैघ लाभ खाद प्रबंधन कार्यक्रम मे सेहो रहल अछि। एकर कारण अछि जे बायोगैस उर्वरक संयंत्र (बीजीएफपी) मे विभिन्न प्रकार क जैविक सामग्री (मुख्य रूप स गोबर आ कृषि वानिकी मलजल अपशिष्ट) क उपयोग स गैस क संगहि कार्बनिक खाद तैयार होइत अछि। एहि योजना क बिहार मे उपलब्धि शून्य रहल। जखन कि पड़ोसी झारखंड मे पांच सौ परिवार यूनिट क लक्ष्य क स्थान पर 301 यूनिट स्थापित भ सकल। केंद्र सरकार क उद्देश्य इ सेहो छल जे बायोगैस क माध्यम स जलावन क लेल जंगली लकड़ी क क्षय पर रोक लगाउल जा सकेे आ रसायनिक खाद क जगह पर एकरा स उत्पन्न कार्बनिक खाद क अधिकतम उपयोग हुए। बिहार क मामला मे इ योजना विफल रहल। सूत्र क कहब अछि जे व्यापक प्रचार प्रसार आ केंद्रीय एजेंसी क उपेक्षा क कारण राज्य मे एहि स्कीम क लाभ लोक नहि ल सकल।