नेहा खातून
मौजूदा हालात मे जखन राजद, लोजपा आ कांग्रेस एकटा पैघ गठबंधन क निर्माण करबा मे विफल रहल, एहन मे संभावना अछि जे भाजपाक कमजोर हेबाक बावजूद नीतीश क सत्ता बरकरार रहि सकैत अछि। वर्तमान सदन मे जदयू-भाजपा गठबंधन कए कुल 243 मे स 143 सीट अछि, जखकि राजद आ सहयोगी कए 65टा सीट अछि।
पिछला किछु चुनाव मे इ देखल गेल अछि जे चुनाव नतीजा फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम्य (एफपीपीएस) पर निर्भर रहल। एहि सिस्टम मे कोनो पार्टी कए वोट क कम हिस्सेदारी भेटला पर ओकरा कम सीट पर जीत हासिल होइत अछि। एक बेर जखन ओ वोट क प्रतिशत बढ़ेबा मे सफल होइत अछि त ओकर सीट क संख्या मे तेजी स इजाफा होइत अछि। इ क्रम तखन धरि तक जारी रहैत अछि जखन धरि तक ओकर वोट क संख्या बढै़त रहैत अछि। एकर अलावा शीर्षस्थ दल आ दोसर क्रम पर रहनिहार दल क बीच क दायरा सेहो मायने रखैत अछि, जे एहि ठाम काफी बढल अछि।
अगर वर्ष 2005 क फरवरी क चुनाव स नवंबर क तुलना कैल जाए, त राजग क मत मे महज 2 फीसदी क इजाफा भेल अछि आओर हुनका 38 फीसदी मत भेटल, हालांकि सीटवार 20 फीसदी क जबरदस्त फायदा भेल आ 175 विधानसभा क्षेत्र मे बढ़त हासिल भेल। एहन एहि कारण स भेल किया कि राजद आ ओकर सहयोगी क मत मे कमी आईल आ ओ 31 स घटिकए 26 फीसदी पर आबि गेल। जाहिर अछि दूनू गठबंधन क बीच कुल प्राप्त मत क अंतर 12 फीसदी तक जा पहुंचल छल।
वर्ष 2009 क चुनाव मे प्रत्येक 1 फीसदी वोट पर राजग 4.6 सीट पर जीत हासिल केलक। एतबे वोट क एवज मे राजद आ सहयोगी कए 1.5 सीट भेटल। एहि स साफ भ जाइत अछि जे एफपीपीएस क झुकाव सत्तारूढ़ जदयू गठबंधन क दिस रहल अछि।
देखल जाए त राजद अपन सहयोगी क संग पांच वर्ष मे तेसर बेर जदयू गठबंधन स चुनावी मैदान मे दू-दू हाथ करबा लेल तैयार अछि। सवाल इ अछि जे लालू कौन मुद्दा क आधार पर नीतीश कए चुनौती देताह या द रहल छथि? भारतीय राजनीति मे एहन कोनो दोसर उदाहरण तकबा स नहि भेट रहल अछि जतए बाकी चीज समान हेबाक आ कोनो महत्त्वपूर्ण मुद्दा नहि रहला पर कोनो विपक्षी गठबंधन एतबा पैध अंतर कए पाट कए जीत हासिल केलक अछि। राजनीतिक दल मे झगडा आ विरोध होइत रहैत अछि। कखनो टिकट वितरण कए लकए विवाद त कखनो प्रॉक्सी उम्मीदवार (उदाहरण क लेल जेल मे बंद पति क स्थान पर कनिया क चुनाव लडब)। चुनाव दर चुनाव जाति आ अन्य मुद्दा मे सेहो कोई खास परिवर्तन नहि आयल अछि। (की सवर्ण वर्ग नीतीश द्वारा कैल गेल भूमि सुधार क कोशिश क लेल हुनका स तमसाइल अछि? की अयोध्या मामला पर आए फैसला मुस्लिम कए नीतीश स अलग करि देलक अछि?) एकर अलावा राजद क इकलौता आस एंटी इन्कम्बेंसी (सत्ता क खिलाफ रुझान) फैक्टर पर अछि, मुदा 12 फीसदी क अंतर कए पाटबा लेल साधारण परिवर्तन स काज नहि चलत। बिहार लेल राजद लग साइकिल क बदला मे मोटरसाइकिल सन अव्यावहारिक योजना अछि। जखन कि लोजपा सर्वण कए आरक्षण द बिहार कए विकसित बनेबाक दावा करि रहल अछि। कांगेस संग दिक्कत अछि जे ओकरा लग कोनो नेता नहि अछि जे बिहार लेल ब्लूप्रिंट तैयार कए सकए। एहन मे कांग्रेस कए अगर एहि चुनाव मे किछु नीक प्रदर्शन करबाक अछि त ओकरा अपन वोट हिस्सेदारी गत चुनाव क 10 फीसदी स बहुत बेसी करए पडत। तखने जाकए ओकरा किछु आओर सीट पर जीत हासिल भ सकैत अछि।
राजदक एकटा पैघ नेता इ मानैत छथि जे वर्तमान परिस्थिति मे नीतीश क लेल संकट तखन छल जखन राजद, लोजपा आओर कांग्रेस एकसंग मिलकए एकटा नीतीश विरोधी विशाल गठबंधन क निर्माण करिते। अतीत मे इ देखबा मे भेट चुकल अछि जे विभिन्न दल कए अलग-अलग चुनाव लडबाक कोनो फायदा नहि भेटल अछि।
बहरहाल, इ सर्वविदित अछि जे एहि चुनाव मे सही गठबंधन क निर्माण नहि भेल अछि। निश्चित तौर पर अगर राजद, लोजपा आ कांग्रेस मिलकए महागठबंधन बना मैदान मे रहिते त कहानी दोसर छल, मुदा एहन नहि भ सकल। एहन मे लालू प्रसाद क सीधा मुकाबला नीतीश स अछि जखन कि कांग्रेस अपन दम पर चुनाव लड़ि रहल अछि। अगर नीतीश से रूसल आ तमसाइल वोट कांग्रेस कए चल गेल त एक बेर फेर राबडी देवी बिहार विधानसभा मे नेता प्रतिपक्षक रूप मे देखल जेतीह।