नई दिल्ली। आइ बिहार कए रेणुक सबस बेसी जरूरत अछि। रेणु जाहि प्रकार स बिहारक ग्रामीण छवि दुनिया कए देखेबाक कोशिश केलथि, ओहन कोशिश हुनका स पहिने बा बाद मे कियोनहि करि सकल। प्रेमचंद सेहो भारतीय ग्रामीण जीवनक जीवंत चित्रण अपन रचना मे केलथि। मुदा प्रेमचंद आ रेणुक गाम मे अंतर अछि। प्रेमचंद क गाम मे व्यवस्थाक आगू निराश व्यक्ति अछि, जखन कि रेणुक गाम मे समस्याक बीच छोट-छोट घटना कए उत्सव बनबैत समाज अछि। नोरायल आंखि मे जे हंसीक झलक रेणुक गाम मे देखबा मे अबैत अछि, ओ प्रेमचंदक गाम मे नहि भेटैत अछि। ‘हिरामनÓ कए देखबाक प्रयास नहि भ रहल अछि, चोरबत्ति पर उत्सव मे शामिल हेबाक कोशिश नहि भ रहल अछि। आइ प्रेमचंद क आंखि स रेणुक गाम देखबाक जबरण कोशिश भ रहल अछि।
एहि कारण स आइ-काल्हि साहित्य दलित विमर्श, स्त्री विमर्श आदि तक सिमटी कए रहि गेल अछि। आधुनिक साहित्य मे रचनात्मकता क अभाव अछि। आंचलिकता त करीब-करीब खत्म भ चुकल अछि। रेणु एहि सबस परे तत्कालीन राजनीतिक स्थिरता आ सामाजिक मूल्यहीनता कए देखेबाक कोशिश केलथि। जातीय संघर्ष, अवैध संबंध आदि कए उजागर केलथि, जे प्रेमचंद स अलग छल। दुबे कहला जे रेणु साहित्य मे पहिल बेर अपन लेखन क माध्यम स हिंदी मे स्थानीय बोली क इस्तेमाल केलथि।
आइ बिहार कए ल कए इ सवाल बेर-बेर कैल जा रहल अछि जे आखिर एतबा कष्टïक बावजूद बिहारी क हंसी कोना बचल अछि, बिहारी कोना निराशाक दल-दल मे रहितो जीवन स प्रेम करैत छथि।
आंचलिक लेखन क माध्यम स हिंदी साहित्य क दुनिया मे क्रांति अननिहार महान लेखक फणीश्वर नाथ रेणु एहने प्रशन उत्तर अपन लेखन क जरिए अपन पाठक कए दैत छलाह आ एकटा नव परिवेश स परिचित करबैत छलाह। हिन्दी साहित्य जगत मे मैला आंचल आ परती परिकथा सन उपन्यास क माध्यम स रेणु कए आंचलिक उपन्यासकार क दर्जा भेटल। हिंदी साहित्य मे पहिल बेर आंचलिक लेखन क प्रयोग ओ केलथि। रेणु क इ उपन्यास कलम क सिपाही मुंशी प्रेमचंद क गोदान क बाद सर्वाधिक पसंद कैल गेल।
आइ बिहार आ अन्य प्रदेशक सामाजिक दशा देखि कए इ सवाल गंभीर भेल जा रहल अछि जे
प्रेमचंद आ रेणु क गाम मे केहन अंतर अछि। दूनूक रचना मे अंतर पूछला पर जामिया के हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक चंद्रदेव यादव और विवेक दुबे कहला जे दूनू अपन-अपन समय क महान साहित्यकार छथि। दूनू क लेखन मे बहुत अंतर अछि। प्रेमचंद क लेखन व्यक्ति विशेष क इर्द-गिर्द घूमैत अछि, जखन कि रेणु क लेखन पूरा समाज क चित्रण करैत अछि।
दुबे कहैत छथि जे रेणु क लेखन मे पात्र क प्रति लेखक क आत्मीयता क बोध होइत अछि। ओ एक-एकटा पात्र क जीवंत चित्रण केलथि अछि। ओ तत्कालीन ग्रामीण संस्कति क यथार्थ कए सामने अनलाह। मैला आंचल गोदान क अगिला चरण अछि।
पत्रकार भवेशनाथ झा एकरा अलग रूप मे देखैत छथि। ओ कहला जे जीवन क राग कए रेणु वास्तविक रूप मे देखौलथि। लेखन मे जाहि प्रकार स ओ लोक संस्कति आ लोक रंग क समावेश केेलथि ओहि स हुनकर कथा काल्पनिक नहि लगैत अछि। इ एकटा सजीव चित्रण लगैत अछि। आइ सेहो रचना भ रहल अछि, सिनेमा बनि रहल अछि, मुदा ओहि मे बिहार क गाम नहि भेटैत अछि। हिरामन सन बिहारी क जगह बच्चू यादव कए चित्रण भ रहल अछि। जीवनक जीवंतता जे रेणुक रचना मे छल ओ ‘अगले जनम मोह बेटी…Ó मे कहां भेटैत अछि। ऑनर कीलिंग पर हंगामा हरियाणा आ राजस्थान मे भ रहल अछि आ सिनेमा बिहारक पृष्टïभूमि पर बनाउल जा रहल अछि। रेणुक गाम कए गलत रूप मे चित्रण भ रहल अछि जखन कि रेणुक गाम एखनो ओहिना अछि किछु नहि बदलल अछि।