दरभंगा । मारीशस क ख्यात साहित्यकार आ पूर्व उप प्रधानमंत्री डा. हरीश बुद्धू क कनिया डा. सरिता बुद्धू क कहब अछि जे मिथिला एखनो पूज्यनीय अछि। मिथिला भ्रमण क क्रम मे दरभंगा आयल डा.सरिता बुद्धू कहलथि जे बिहार बेहद जागरूक प्रदेश अछि। हमर सबहक पूर्वज क सांस्कृतिक जड एतबा मजबूत छल जे तीन-चारि पीढी क बाद सेहो बिहार क सांस्कृतिक-धार्मिक परिचय नहि बदलल अछि। ओ कहलथि जे इ बिहार मे सामाजिक आ सांस्कृतिक पुनर्जागरण क काल छी। डा सरिता कहलथि जे बिहार, देश मे सामाजिक-सांस्कृतिक पुनर्जागरण क सबस पैघ प्रतीक रहल अछि। एक बेर फेर बिहार मे नवजागरण क शुरुआत भ चुकल अछि। लोक अपन मान-स्वाभिमान क प्रति जागल अछि आ विकास लेल सेहो बेचैन अछि। इ बेचैनी मिथिला क्षेत्र मे सेहो देखा रहल अछि। एहने भूख कए जिंदा रखबाक जरूरत अछि, जे एहि राज्य कए विकसित प्रांत क श्रेणी मे ठार करत।
एहि स पूर्व डा सरिता अपन दरभंगा भ्रमण क शुरुआत माधेश्वर परिसर स्थित रामेश्वरी श्यामा क दर्शन स केलथि। रामेश्वरी श्यामा मंदिर मे ओ काफी काल रहलथि। ओ मंदिर मे पलथी लगा बैसलथि आ बाबा पुकारे बाबा नाही बोलत हो.. सन किछु भजन सेहो गौलथि। एहि दौरान स्थानीय लोक सेहो हुनक चारू दिस बैस भजन क आनंद लेलक। एकर बाद ओ माधेश्वर परिसर मे बनल अन्य मंदिर सबहक सेहो दर्शन केलथि आ सब मंदिर क संबंध मे जानकारी लेलथि। ओ इ जानि आश्चर्य व्यक्त केलथि जे सबटा मंदिर दरभंगाक महाराजा सबहक चिता पर बनाउल गेल अछि। मंदिर परिसर क बाद ओ राम बाग परिसर क कंकाली मंदिर मे सेहो पूजा-अर्चना केलथि। कंकाली मंदिर मे भेटल शांतिक चर्च ओ काफी काल त महसूस करैत रहलथि। हुनकर संग चलि रहल जिला प्रशासन क प्रतिनिधि राम बुझावन यादव रमाकर हुनका कंकाली मंदिर समेत सबटा जगहक विस्तार स जानकारी दैत रहलाह। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि क ऐतिहासिक दरबार हॉल मे प्रवेश करैत डा. सरिता क मुंह स अनायास निकली पडल- हाउ स्वीट मिथिला। हुनक आंखी दरबार हाल के कोन कोन निहारैत रहल। मिथिला क प्राचीन कला क अद्भुत नमूना कए देख हुनकर आंखि चमकैत रहल। एकर बाद ओ संपूर्ण कामेश्वर नगर परिसर क भ्रमण केलथि आ लौटैत काल डा. नागेंद्र झा स्टेडियम मे लनामिवि क सांस्कृतिक समन्वयक डा. अजय नाथ झा हुनकर मिथिला दर्पण पुस्तक क संग मखान द कए विदा केलथि।
एकर बाद ओ कबड़ाघाट स्थित मिथिला शोध संस्थान लेल निगली गेलथि। बागमति नदी क कछैर स्थित संस्थान क मनोरम दृश्य आ ओहि ठाम राखल शोध ग्रंथ कए देखि डा. सरिता कहलथि जे मिथिला एहिना नहि बुद्धिजीवी क जमीन कहल जाइत अछि, एहि ठाम क जमीन मे किछु त खास जरूर अछि।
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