मुजफ्फ़रपुर। कटल केश उपयोगी भ सकैत अछि। एकर बारे मे शायद हम सब नहि सोचने होएब, मुदा इ केश बड काजक निकलल। इ सिद्ध करबा मे सफल भेलाह अछि मुजफ्फ़रपुर क रिसर्च स्कॉलर अविनाश कुमार। ओ कटल केश स ऑर्गेनिक पेस्टिसाइड तैयार केलथि अछि। मक्का आ केरा पर एकर परीक्षण भ चुकल अछि, जेकर परिणाम चौंका देलक अछि। ज्ञात हुए जे कटल केश स प्रदूषण होइत अछि, किया जे ओ पॉलीथिन क भांति नष्ट नहि होइत अछि। धूल कण क माध्यम स हमर सांस तक पहुंच जाइत अछि, जे स्वास्थ्य लेल हानिकारक अछि। अविनाश कहला जे ह्यूमिक ऐसड मे देला स केश लगभग नष्ट होइत अछि। एहि स ऑर्गेनिक पेस्टिसाइड बनैत अछि, जे गाछ कए बढ़बा मे सहायक होइत अछि। एहि मे एहन कोनो पदार्थ नहि अछि जे स्वास्थ्य पर असर डाले, किया जे इ पूर्णत: नॉन फ़िटो टॉक्सिक होइत अछि। अविनाश कहला जे केश मे 80 फ़ीसदी प्रोटीन होइत अछि। नाइट्रोजन आ अन्य पोषक तत्व सेहो रहैत अछि। बाजार मे बिका रहल पेस्टिसाइड मे सेहो इ तत्व होइत अछि , मुदा ओहि मे हानिकारक रसायन होइत अछि, जे स्वास्थ्य पर असर डालैत अछि। केश स बनल पेस्टिसाइड क मक्का आ केरा क फ़सल पर प्रयोग कैल गेल अछि। एकर नीक परिणाम आयल अछि। अविनाश कहला जे केमिकलयुक्त पेस्टिसाइड स जतए गाछ कम हरियर, पातर आ लंबा भेल, ओतहि केश स बनल पेस्टिसाइड स गाछ बेसी बढल त नहि, मुदा एकर हरियाली आ मोटाई नीक रहल। अविनाश क एहि रिसर्च कए महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट फ़ॉर रूरल इंडस्ट्रियलाइजेशन, वर्धा मान्यता द देलक अछि। इंस्टीट्यूट मे एहि पर काज सेहो शुरू भ गेल अछि। एहि बेर धान परएकर प्रयोग कैल जाएत, जाहि स उत्पादन पर की फ़र्क पडैत अछि, इ सेहो सामने आउत। अविनाश कहैत छथि जे गेहूम, फ़ूल आ फ़ल समेत सब तरह क गाछ पर एकर प्रयोग कैल जा सकैत अछि। बाजार मे भेट रहल पेस्टिसाइड क दाम सेहो बेसी होइत अछि जखन कि केश स बनल पेस्टिसाइड क लागत ओहि स एक तिहाई कम अछि।