पटना । नेता प्रतिपक्ष अब्दुल बारी सिद्दीकी कहला जे 2011-12 क लेल राज्य योजना आकार मे भेल 20 प्रतिशत क वृद्धि नाकाफी अछि। राज्य सरकार क एहि दावा मे कोनो दम नहि अछि, जाहि पर कहल जा सकए जे कुशल वित्तीय प्रबंधन क कारण राज्य क योजना आकार मे अप्रत्याशित वृद्धि करि देल गेल अछि। सिद्दीकी 2002-03 स एखन धरि क योजना आकार आ वृद्धि प्रतिशत क ब्योरा दैत कहला जे इ वृद्धि 2002-03 मे 15 फीसदी आ 2003-04 मे 20 प्रतिशत छल। ओ राजग शासन पर वित्तीय कुप्रबंधन क आरोप लगेलथि आ कहलथि-3300 करोड़ टकाक डीसी विपत्र कए महालेखाकार अस्वीकृत करि चुकल अछि। हुनकर अनुसार स राजकोषीय उत्तरदायित्व आ बजट प्रबंधन अधिनियम क अनुरूप प्रत्येक राज्य स अपेक्षा अछि जे ओ अपन राजकोषीय घाटा आ राजस्व घाटा कए निर्धारित सीमा क अंदर राखए। एहि अधिनियम क इ उद्देश्य सेहो अछि जे कोनो राज्य बेतहाशा कर्ज लकए योजना क आकार एतबा नहि बढा सकए जाहि स राजकोषीय घाटा बहुत बढ़ि जाए, जखनकि राज्य सरकार विश्व बैंक स कोसी क्षेत्र क पुनर्वास क लेल 4 हजार करोड़ स्वीकृत करा चुकल अछि। एहि स पहिने सेहो 700 करोड़ भेटल छल, मुदा इ नहि बताउल जा रहल अछि जे राशि कतए खर्च भ रहल अछि? कर्ज मे प्राप्त राशि स सृजनात्मक कार्य नहि कैल गेल त इ ऋण गला क फांस बनि जाएत। ओ कहला जे राज्य क विकास एहि गप पर निर्भर करैत अछि जे योजना मद मे कर्णाकित राशि मे स केतबा खर्च भेल अछि, जखनकि 2010-11 मे 20 हजार करोड़ क योजना मे 3,570 करोड़ सरकार एखनधरि खर्च क सकल अछि।
ई बात त सत्ये कि “ऊँटक मुँह मे जीरक फोरन” ।