दरभंगा। राष्ट्रपति पुरस्कार स सम्मानित संस्कृत क उद्भट विद्वान आ कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय क पूर्व कुलपति महामहोपाध्याय आचार्य डॉ. जयमंत मिश्र क मंगलदिन पटना क एकटा निजी अस्पताल मे देहावसान भ गेलनहि । ओे 85 वर्ष क छलाह। दू दर्जन स बेसी ग्रंथ क रचयिता आ दर्जन भरि स बेसी ग्रंथ क संपादक डॉ. मिश्र आधुनिक संस्कृत-संसार क शिरो-मुकुट छलाह। मिथिला क संस्कृत-परंपरा क वर्तमान मे सशक्त कड़ी रहल डॉ. मिश्र अक्षर-उपसना क क्षेत्र मे अनेक कीर्घ्त्तिमान स्थापित केने छलाह आ एकरा लेल विभिन्न पुरस्कार स अलंकृत भेल छलाह।
स्थानीय हनुमानगंज मिश्रटोला निवासी आचार्य डॉ. जयमंत मिश्र मधुबनी जिला क जन्म ढंगा हरिपुर गांव निवासी पं. सर्वनारायण मिश्र क घर पुत्र क रूप मे 15 अक्टूबर, 1925 कए भेल छल। डॉ. मिश्र अपन आजीविका क शुरुआत बिहार विश्वविद्यालय स व्याख्याता क रूप मे आरंभ केलथि आ ओतहि अध्यक्ष पद कए अलंकृत केलथि। सेवा काल मे कोलंबो आ नेपाल क त्रिभुवन विश्वविद्यालय स संबद्ध रहल डॉ. मिश्र कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय क कुलपति पद कए 1980 स 85 तक सुशोभित केलथि। वर्ष 1950 स लकए 2010 तक ओ संस्कृत, मैथिली आ हिन्दी मे 25 ग्रंथ संस्कृत व्याकरण सार, संस्कृत व्याकरणोदय, काव्यात्म-मीमांसा,पुष्प चिंतामणि, निबंध कुसुमांजलि, अभिलेख गीतमाला, मैथिली नाटक पर संस्कृतक प्रभाव, अलंकार प्रकाश, कविता कुसुमांजलि, प्रबंध कुसुमांजलि, महाकवि विद्यापति, काव्यविच्छित्त मीमांसा, आर्यापंचशती, संस्कृत बाडमय का वृहत इतिहास, संस्कृत बाडमय मे बिहार का योगदान, महामानव चंपू काव्य, भारतीय साहित्यक निर्माता सुरेंद्र झा सुमन, युगलश्री गीतिमालिका, श्रीकृष्णचंद्र चरित महाकाव्यम्, कालिंदी परिणय महाकाव्यम्, श्रीदेवयानी चरित महाकाव्यम्, मदालसाचरित महाकाव्यम्, ध्रुवचरित महाकाव्यम्, श्रीचौतन्य चरित महाकाव्यम् आ श्रीमद्भावगततामृतम् क रचना केलथि। एकर अलावा ओ 13टा पुस्तक शैवसर्वस्वसार, शैवसर्वस्वसार प्रमाणभूत पुराण संग्रह, विभागसार, लिखनावली, दानवाक्यावली, विभक्त्यर्थप्रकाशिका, अधिकरण-कौमुदी, लघुकथा संग्रह, मैथिली अभिलेख गीतमाला, भाषणमाला, पूजाकृत्यकौमुदी, पूजा प्रदीपरू आ भगवत्पादाद्यशंकराचार्य-पंचसहस्राब्दस्मृतिग्रंथ क संपादन सेहो केलथि। हुनकर अधीन करीब दू दर्जन अध्येता शोध केलथि आ ओ करीब सौ टा शोध निबंध लिखने छथि।