बिहार प्रति पूर्वाग्रह रखनिहार लेल इ समाद अविश्वसनीय मुदा सच अछि। बिहार राज्य कैबिनेट मंगलदिन आखिरकार विधायक आ विधान पार्षद स्थानीय क्षेत्र विकास कोष कए वित्तीय वर्ष 2011-12 स समाप्त करबाक मंजूरी द देलक। कैबिनेट क बैठक मे एकर स्थान पर कोनो विकल्प पेश नहि कैल गेल। ओना मुख्यमंत्री योजना आ विकास विभाग कए विधायक निधि क स्थान पर स्थानीय विकास क लेल वैकल्पिक योजना पेश करबाक निर्देश देलथि अछि। एकर संगहि आब बिहार मे स्थानीय क्षेत्र क विकास योजना क नोडल एजेंसी योजना आओर विकास विभाग भ गेल।
निश्चित रूप स बिहार क राजनीति मे इ एकटा नव भोरक लालिमा सन अछि। नव संभावना क सूर्य देखा रहल अछि। भारत क दुर्गंध दैत राजनीति क समानांतर, बिहार मे उगल एहि सूर्य कए पूरा देश क लेल एकटा उम्मीद भरल भोर क शुरुआत क संकेत कहि सकैत छी। बिहार, जे पूरा देश मे व्यंग्य, हास्य आओर कटु गप क पर्याय छल, ओ आइ देश क राजनीति मे एकबेर फेर ‘मानक’ बनबाक उम्मीद जगा देलक अछि।
एमपी या एमएलए फ़ंड, भारतीय राजनीति क एकटा गंभीर बीमारी (भ्रष्टाचार क कैंसर) क सबस दागदार प्रतीक भ गेल छल। पूरा देश मे जनता क लोक मान्यता भ गेल अछि जे खांटी ईमानदार नेता सेहो घर बैसल 20 फ़ीसदी, एहि कोष स पाबि लैत छथि। ओना एखनो कईटा नेता एहन छथि आ हेताह जे एहि फ़ंड स एक आना नहि लैत हेताह,मुदा निश्चित रूप स हुनकर संख्या बहुत कम अछि।
देखल जाए त एहि कोषक शुरूआत जाहि परिस्थिति मे भेल, ओतहि एकर भविष्य तय भ गेल छल। 1991-1996 क दौर । नरसिंह राव क सरकार कए लोकसभा मे बहुमत सिद्ध करबाक छल। पहिल बेर तखन सांसद घूस कांड भेल। ओहि सरकार क मौलिक चिंतन या सांसद कए खुश रखबाक योजना स एकर शुरूआत भेल छल।
पिछला दू दशक मे इ कोष राजनीति क सतीत्व (ईमानदारी) पर सवाल उठा देलक। पवित्र आओर धवल राजनीति क चादर पर सबस कसगर दाग लगा देलक। समय समय पर एकरा खत्म करबाक मांग बिहार मे उठैत रहल। किछु दिन पहिने लालू जी सेहो कहने छलाह जे एमएलए फ़ंड स आब कार्यकर्ता नहि, ठेकेदार जन्म लैत अछि। पिछला 15 साल मे ईमानदार राजनेता एकरा कोसैत रहलाह अछि। मुदा कियो एकरा हटेबाक हिम्मत नहि जुटा सकल। बिहार सरकार एकरा खत्म करि देश कए बाट देखेबाक काज केलक अछि। जे राजनीति व्यवसाय-धंधा क प्रतीक बनि गेल छल, ओकर साख लौटेबाक इ प्रस्थान (मानक) बिंदु भ गेल अछि।
अंततः राजनीति छोडि आर कोनो आओर विधा देश या समाज कए शिखर पर नहि पहुंचा सकैत अछि। ओहि राजनीति क चीरहरण करबा मे इ ‘फ़ंड योजना’ क कारगर भूमिका रहल अछि। इ योजना लांछन क प्रतीक बनि गेल छल।
आइ लांछन स मुक्ति क पहल, बिहार स भ गेल, उम्मीद कैल जा सकैत अछि जे देश क मौजूदा राजनीति पर एकर दबाव पडत। कारण जनता मे भ्रष्टाचार क खिलाफ़ आक्रोश अछि।
एहन मे नीतीश कुमार अपन दोसर पारी मे प्रो-पीपुल कदम उठा कए, देश क सब दल कए, पूरा राजनीति क मौजूदा व्याकरण कए बदलबाक पृष्ठभूमि तैयार करि देलाह अछि। ओना एहि लेल असगर नीतीश कए धन्यवाद नहि देबाक चाही, एहि मे बिहार क सबटा विधायक, विपक्षी दलक नेता आ सबस उपर बिहारक जनता जे अपना लेल यश आओर कीर्ति क नव अध्याय लिख रहल अछि। राजनीति क इतिहास मे बिहार आजुक तारीखक स्मरण कैल जाएत।