नई दिल्ली। मलंगिया महोत्सव क तेसर दिन मैथिली क सर्वश्रेष्ट रंगदल “मीनाप ( मैथिली नाट्य परिषद्) इ साबित कारबा मे सफल रहल जे ओ मैथिली क सर्वश्रेष्ट नाट्य दल अछि। एहि मौका पर मैलोरंग क निर्देशक प्रकाश झा कहलैथि जे आय अद्भुत संयोग अछि जे एक संग एतेक संयोग भेल। आय दिल्ली क सबसे नीक प्रेक्षागृह मे, मैथिली क सबसे पैघ लोग ( महामहिम राष्ट्रपति, नेपाल ) क बीच, मैथिली क सबसे पैघ नाटककार क सबसे पैघ नाटक क मंचन मैथिली क सबसे सर्वश्रेष्ट नाट्यदल क द्वारा मंचित भए रहल अछि। सचमुच जबरदस्त रहल इ नाटक। प्रथम पांति स लए क अंतिम धरि सबके कना देलक एही नाटकक मंचन। एतेक नीक अभिनय, एतेक नीक मंच परिकल्पना, एतेक नीक प्रकाश आ ध्वनी, एतेक नीक संगीत आ एतेक नीक कलाकार पहिने कहियो नै देखल। दर्शकक थोपड़ी आ नोर रुकबाक नाम नै लए रहल छल।
ओकर आँगनक बारहमासा एकटा गरीब आ दलित परिवार क किस्सा अछि जेकर बारहोमास विपन्नता आ दरिद्रता मे कटैत अछि। ताहि पर जमिन्दारक कर्ज आ रोग कोना कए क तील-तील क मरबाक लेल बाध्य करय छैक, तकरे चरित्र चित्रण अछि “ओकर आंगनक बारहमासा”। इ नाटक गरीबक ओ समय क चित्रण करैत अछि जहिया दिन भरि काज केलाक बाद गरीब क तीन सेर धान भेटैत छल। मजदूरी सेहो सभ दिन नै भेटैत अछि ओहि स कपड़ा-लत्ता, दवाई-दारू आ घरक सामान किननाय मुश्किले नै असंभव अछि। ओहो पर जमींदार क कर्ज सुरसा क मुंह जोंका बढैत छल जे गरीब क आर गरीब कए दए अछि। एही तरह अपन गरीबीक मारि झेलैत लोक एही दुनिया स विदा भए जाएत अछि। मरतो काल हुनकर इक्षा होयत अछि जे ओ छौंकल दालि आ भात खेतिये मुदा हुनकर सपना राखले रहि जाएत अछि। मरला क बाद सेहो मुंह म मुखबत्ति लगा क कमला माय मे भसा दैल जाएत अछि कियाकि जमीन क अभाव आ कफ़न लेल कपडा नै भेटैत छल।
मल्लर बनल राम नारायण ठाकुर क अभिनय एतेक जीवंत छल जे लोक दांत तोर आंगुर दबा लेलक। हुनकर वृद्ध बला खोंखी दर्शक क चकित कए दैत छल। एहन बुझायत जेना सत्ते मे ओ टीवी क मरीज़ होए। ओतहि मल्लर क पुतौह आ बेटा क भूमिका म प्रियंका झा आ अनिल चन्द्र झा जबरदस्त अभिनय केलैथि। हुनकर जीवंतता एतेक की दर्शक क आंखि नोरा गेल। ज्ञात होए जे प्रियंका झा क अदम्य साहस आ हुनकर रंगमंच क कला क मादे मैलोरंग हिनका पूर्व मे प्रमिला झा नाट्यवृति स सम्मानित कए चुकल छैथ। बच्चा क रूप मे आलोक मिश्र दर्शक क मोन मे बैस गेल। हुनकर बाल सुलभ मुंह आ संवाद “माए बड़ जाड़ लागैत अछि” क परिपक्वता दर्शक अवाक कए देलक। ओतहि रविन्द्र झा आ कृष्णकांत मिश्र सेहो गज़ब क अभिनय केलैथि। अभिनय एकदम कसल आ सटीक छल जाही मे धीरज ठाकुर क कोरियोग्राफी एकरा मे चारि चान लगा देलक। दर्शक क हिंदी वा अंग्रेजी सिनेमा बला कोरिओयोग्रफि क आनंद भेटल एही नाटक मे। मल्लिक बंधू (प्रवेश मल्लिक आ रमेश मल्लिक) क संगीत आ ध्वनि समायोजन श्रोता क मंत्रमुग्ध केने रहल। अंत धरी हुनकर एक-एकटा तान दर्शक क बंधबाक काज करलक। दर्शक अंत धरि कुर्सी स चिपकल रहल आ एकटा अद्भुत मंचन कए गवाह बनल।
कुल मिला कए एकटा सुन्दर नाटक क एकटा अद्भुत मंचन छल “ओकर आंगनक बारहमासा”
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