राजगीर मे भेल छल पहिल बौद्ध संगिति, बुद्ध क अस्थि रहल उपेक्षित
पटना । करीब 2259 साल बाद एक बेर फेर पाटलिपुत्र(पटना) मे बौद्ध समागम भेल। ईसा पूर्व 247 मे पाटलिपुत्र मे तेसर बौद्ध संगिति भेल छल। तखन सम्राट अशोक मगध क राजा छलाह आ ओहि संगिति क अध्यक्षता मोगली पुत्र तिस्स केने छलाह। ओहि मे एक हजार बौद्ध संन्यासी हिस्सा लेने छलथि। सदी स बेसी पुरान एहि इतिहास कए पटना आइ फेर देखलक। शनिदिन तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संघ समागम पाटलिपुत्र क घरती पर बुद्ध स्मृति पार्क परिसर मे आरंभ भेल। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क मौजूदगी मे धार्मिक गुरु दलाई लामा एकर उद्घाटन केलथि। एहि समागम मे करीब 12टा देशक बौद्ध विद्वान- प्रतिनिधि हिस्सा ल रहल छथि। एहि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मे हॉलीवुड क चर्चित सितारा रिचर्ड गेरे आ करमापा सेहो हिस्सा लेतथि।
पहिल दिन समारोह क उदघाटन टा भेल अछि। तीन सत्र मे बौद्ध धर्म संबंधी व्याख्यान दोसर दिन होएत। दुनिया भरि स आयल बौद्ध धर्मावलंबी क उपस्थिति मे वर्तमान परिवेश मे बौद्ध धर्म – शिक्षा क भूमिका, बौद्ध भिक्षुणि, बौद्ध संघ आ बौद्ध स्थलक स्थिति पर विचार-विमर्श होएत।
एहि समागम मे सबस दुखद पक्ष इ अछि जे राजधानी पटना मे करीब 4 करोड़ टका स आयोजित एहि समागम मे पटनाक अन्य बौद्ध स्थल क उपेक्षा कैल गेल अछि। पटना संग्रहालय मे भगवान बुद्ध क अस्थि अवशेष तक कए एहि समागमक हिस्सा नहि बनाउल गेल अछि। संग्रहालय क उपनिदेशक जेपीएन सिंह क कहबाक अछि जे हुनका एहि समागम लेल कोनो विशेष दिशा-निर्देश नहि देल गेल अछि। एतबा जरूर जे महापंडित राहुल सांकृतयायन द्वारा तिब्बत स आनल गेल करीब 3500 पांडुलिपि जे बिहार रिसर्च सोसायटी मे संरक्षित छल ताहि मे स किछु कए समागम लेल बतौर नमूना बुद्ध स्मृति पार्क मे राखि देल गेल अछि।
ओना बिहार सरकार अतिथिक सम्मान मे कोनो कोर कसर नहि छोडने अछि। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मे भाग लेनिहार दलाई लामा कए राजकीय अतिथिशाला मे ठहराउल गेल अछि जखन कि अन्य प्रतिनिधि राजधानी कए विभिन्न होटल मे ठहराउल गेल अछि। शनिदिन मुख्य समारोह स्थल बौद्ध स्मृति पार्क कए आकर्षक सजावट कैल गेल अछि। बिना सरकारी सुरक्षा पास कए ककरो समारोह स्थल मे प्रवेश करबाक अनुमति नहि अछि।
समागमक इतिहासक संबंध में जानकार क कहब अछि जे भगवान बुद्ध क महापरिनिर्वाण क बाद ईसा पूर्व 479 मे राजगीर मे पहिल बेर राजा आजातशत्रु क समय मे बौद्ध संगिति क आयोजन भेल छल। महाकशप फेरा एकर अध्यक्षता केने छलाह। सात मास तक चलल एहि पहिल समागम मे उपालि विनय पाठ आ आनंद धम्मपाठ केने छलाह। संगिति मे पांच सौ अरहंत हिस्सा लेने छलाह।एकरा लेल एक सौ साल बाद वैशाली मे दोसर बौद्ध संगिति भेल। राजा कालाशोक क शासन काल मे संपन्न एहि संगिति मे सात हजार संन्यासी हिस्सा लेने छलाह। तेसर संगिति मे बुद्ध क प्रवचन कए कथावत्तु क नाम स त्रिपिटक मे शामिल कैल गेल छल।
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