बिहार क संबंध मे वीएस नॉयपॉल क इ कथन जे ‘सभ्यता का अंत’ होइत अछि, सेहो झूठ साबित भ रहल अछि। उत्तर भारत क जाहि बीमारू प्रदेश क हालत पर दक्षिण तरस खाइत छल, आब ओहि बीमारू क अगुआ बिहार ओकरा लेल चुनौती बनि रहल अछि। आखिर कोना? एकरा लेल मॉर्गन स्टेनले इंवेस्टमेंट मैनेजमेंट लिमिटेड क प्रबंध निदेशक आ एहि कंपनी क इमर्जिग मार्केट क हेड रुचिर शर्मा क किछु तथ्य पर गौर करब जरूरी अछि।
पहिल – : पिछला पांच वर्ष मे बिहार मे टेलीकॉम ग्राहक क संख्या मे 68 फीसदी क वृद्धि भेल अछि। राष्ट्रीय औसत 43.7 फीसदी स बहुत बेसी। दक्षिण क राज्य आंध्रप्रदेश आ तमिलनाडु मे इ वृद्धि दर केवल 40 फीसदी रहल।
दोसर -: 2007 स 2010 क बीच दक्षिणी राज्य क विकास दर सात फीसदी स घटि कए छह फीसदी भ गेल, जखनकि एहि अवधि मे उत्तर भारत क राज्य क विकास दर 4.5 फीसदी स बढि कए 6.8 फीसदी भ गेल।
तेसर -: दक्षिण क अपेक्षा उत्तर मे कार क बिक्री तेजी स बढल अछि। 2006 मे एकटा प्रमुख कार निर्माता कंपनी अपन मार्केटिंग बजट क केवल 20 फीसदी खर्च करैत छल। आब उत्तर आ दक्षिण मे इ अनुपात 50-50 क भ गेल अछि।
इ आजाद भारत क नव चेहरा छी। इ तथ्य उत्तर भारत (जाहि मे बिहार सेहो शामिल) क उदय आओर दक्षिण क गरूर (अहंकार) टूटबा दिस इशारा क रहल अछि। देश क अर्थव्यवस्था आओर निवेश कारोबार पर पैनी नजर रखनिहार आ वीसीए मैनेजमेंट क पोर्टफोलियो मैनेजर रुचिर शर्मा क नवका किताब ‘ब्रेकआउट नेशंस – इन पसरुअट ऑफ द नेक्स्ट इकोनॉमिक मिराकल्स’ भारत मे भ रहल एहि ऐतिहासिक बदलाव आ बदलाव मे बिहार क भूमिका कए रेखांकित केलक अछि। श्री शर्मा न्यूज वीक क कॉलमिस्ट रहला अछि आ द वाल स्ट्रीट जनरल मे इ नियमित लिखैत रहला अछि। श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स क छात्र रहल शर्मा दिल्ली मे प्राइम सेक्युरिटीज मे अधिकारी सेहो छलाह।
श्री शर्मा किताब मे लिखैत छथि – एकटा एहन प्रदेश, जेकरा वीएस नॉयपॉल एकटा एहन जगह क रूप मे वर्णन केने छलाह, जाहि ठाम सभ्यता क अंत होइत अछि। नीतीश कुमार 2005 मे अफरा-तफरी स त्रस्त मतदाता क निराशा क लहर पर सवार भ कए धमाकेदार तरीका स गद्दी पर बैसलाह आओर कानून-व्यवस्था कायम करबाक धुंआंधार प्रचार अभियान चलेलाह। कानून क अवमानना करनिहार इलाका मे पुल आ सड़क तेज रफ्तार स बनल। आब एकर अर्थव्यवस्था 11 प्रतिशत क दर स बढल अछि, जे भारत मे दोसर स्थान पर अछि।
श्री शर्मा क मानब अछि जे बीमारू प्रदेश (बिहार, यूपी, मध्यप्रदेश आ राजस्थान) मे विकास दर, साक्षरता, निवेश-व्यापार आदि क मामला मे जे बदलाव आयल अछि ओ उत्तर भारत क नव चेहरा पेश क रहल अछि। एनडीटीवी पिछला सप्ताह एहि पुस्तक पर परिचर्चा क आयोजन केने छल।
एहि पुस्तक मे कहल गेल अछि जे आर्थिक सुधार क प्रक्रिया केंद्र क अपेक्षा राज्य मे तेज देखल जा रहल अछि। लोक अपन समस्या क समाधान लेल केंद्र दिस कम स कम देख रहल अछि। दक्षिण-पश्चिम क जे राज्य आर्थिक सुधार क केंद्र बनल छल, ओ आब उत्तर क राज्य दिस आबि रहल अछि।
देश क एकटा पैघ आबादी एहि राज्य सब मे रहैत अछि। पुस्तक मे कहल गेल अछि जे भ्रष्टाचार क मुद्दा एहि राज्य सब मे निवेश मे भले बाधा पहुंचा सकैत अछि मुदा सरकार स्थानीय कारोबारी परिदृश्य कए सुदृढ़ करबा मे लागल अछि आ ओहि ठाम उपभोक्ता संस्कृति मजबूत भ रहल अछि।
रुचिर एकटा अंगरेजी अखबार मे छपल आलेखक हवाला दैत लिखलथि अछि जे ओहि मे पटना मे डोमिनो पिज्जा क आउटलेट खुलबा स उमडल भीड़ क चर्चा अछि। ओ कहैत छथि जे जाहि ठाम सभ्यता क अंत’ होइत छल ओहि ठाम ‘फास्ट फूड क दुकान’ खुलि रहल अछि। बिहार क ग्रामीण इलाका मे कईटा नामी-गिरामी कंपनी क उत्पाद बिका रहल अछि। पुस्तक कहैत अछि जे दक्षिण क सर्वोच्चता क सोच क बीच उत्तर कए एकटा नव बाट भेट गेल अछि। देश मे जे नव नेतृत्व उभरल अछि ओ भारत क जटिल परिदृश्य कए बुझबा मे लागल अछि।
साभार- प्रभात खबर
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