विजय/ वरूण
दरभंगा। बेल्जियम क डेनियम फाउंडेशन क माध्यम स दरभंगा आयल छात्र डीएमसीएच क टीबी डीसी वार्ड मे बनि रहल इंटर मिडिएट रिफयार्स लैब मे श्रमदान क पूरा शहर कए अपना दिस आकर्षित क लेलथि अछि। विदेश स आयल इ छात्र सब 12वीं कक्षा क छथि। बेल्जियम क इ छात्र सब केवल एहि ठाम श्रमदान नहि क रहल छथि बल्कि एहि दल क सदस्य डेनियम फाउंडेशन क छत्रछाया मे एहि केंद्र लेल 1 करोड़ 80 लाख टका सेहो जुगाड केलथि अछि। इ अर्थ संग्रह इ छात्र सब अपन देश मे क एहि ठाम दान देलथि अछि आ अर्थदान क संग-संग श्रमदान सेहो द रहल छथि। एहि स डीएमसीएच क टीबीडीसी वार्ड मे राज्यक दोसर पैघ अत्याधुनिक प्रयोगशाला बनि सकत। एहि प्रयोगशाला कए बनला स एहि इलाका क टीबी रोगी कए बहुत सुविधा भेटत। कुल 12टा छात्र-छात्राक इ दल बेल्जियम स एक सप्ताह लेल दरभंगा आयल अछि। हिनक कहब अछि जे श्रमदान आ एहन क्षेत्र लेल फंड जुटायब हिनकर शिक्षाक महत्वपूर्ण हिस्सा अछि। दलक सदस्य एस माइकल कहला जे डब्लूएचओ क रिपोर्ट क अनुसार दरभंगा मे टीबी रोगी क संख्या काफी बेसी अछि। एहि ठाम कैट वन आ टू क दवाई स इलाज नहि भ पाबि रहल अछि। एहन मे अगर एहि ठाम हमर सबहक सहयोग स इ लैब बनि जाएत त इलाज संभव भ सकत। एहि लैब क निर्माण क बाद एहि ठामक मरीज कए इलाज लेल अन्य प्रदेश जेबाक जरूरत नहि रहत। माइकल उम्मीद दैत कहला जे इ लैब दरभंगा कए टीबी रोग स मुक्त क देत।
टीबीडीसी वार्ड मे एहि छात्र सब कए सीमेंट-गारा आ ईंट ढोइत देख कए दरभंगा क लोक आश्चर्य चकित भ रहल अछि। केतबा पैघ विडम्बना अछि जे अध्ययन क दौरान श्रम क महत्ता बतानिहार हमार भारतीय शिक्षा प्रणाली अपन देश मे आब समाप्त भ चुकल अछि। खास कए दरभंगा मे त इ इतिहासक पन्ना मे नुका गेल अछि। पुरानी पीढी क लोक क कहब अछि जे आजादी क बाद तक दरभंगाक राज स्कूल आ किछु आओर स्कूल मे छात्र लेल श्रमदान आ हस्तकला शिक्षा क महत्वपूर्ण आ अनिवार्य हिस्सा छल। स्कूल क कक्षा क सफाई क जिम्मा छात्र सब पर छल। झाडू, टोकरी, चटाई छात्र अपन हाथ स बनबैत छल। स्कूल छात्र सब कए खेती करबा लेल गाम सेहो ल जाइत छल। बाँध मरम्मत, सड़क मरम्मत सन काज सेहो छात्र श्रमदान क करैत छलाह। मुदा आइ शिक्षा क मतलब बदलि चुकल अछि। भारतीय शिक्षा प्रणाली स प्रेरणा लकए विदेशी छात्र-छात्रा जखन हमर घर मे श्रमदान करबा लेल अबैत छथि त हम हुनका देख चकित होइत छी, हमर बीचक किछु लोक हुनका देख हंसैत छथि मुदा एक आदमी हमर सबहक बीच मे एहन नहि छथि जे हुनका संग हाथ मिला कए श्रमदान क सकथि। सात समुन्दर पार स भारतीय संस्कृति क लुप्त भ चुकल सुगंध स दरभंगा कए एक बेर फेर सराबोर करबा लेल आयल बेल्जियम क एहि छात्र-छात्रा क जज्बा कए इ’समाद परिवार दिस स नमन।
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