दरभंगा मे भेल दी इंडियन फिलॉशोफिल कांग्रेस क 87म कांग्रेस
दरभंगा। लनामिवि क कुलपति डा. एसपी सिंह कहला अछि जे जनक, याज्ञवल्क्य आ विद्यापति सन अनेक दार्शनिक क जन्म स्थली मिथिला रहल अछि। महान दार्शनिक बुद्ध क बिहार क धरती पर नालंदा आ विक्रमशिला सन विवि छल। कुलपति डा.सिंह उक्त गप दरभंगा मे आयोजित दी इंडियन फिलॉशोफिल कांग्रेस क 87म कांग्रेस क उदघाटन सत्र कए संबोधित करैत कहला। ओ कहला जे शिक्षणगण छात्र कए विषयवस्तु क जानकारी देबाक संगहि हुनका स्वाध्याय लेल उत्प्रेरित करथि। प्रतिकुलपति डा. ध्रुव कुमार कहला जे सूचना क्रांति क दौर मे हम नैतिकता स समझौता करबा लेल बाध्य भ गेल छी। फलत: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मे गिरावट आबि गेल अछि। एहन स्थिति मे दर्शनशास्त्री क भूमिका महत्वपूर्ण भ जाइत अछि।
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एडवांस स्टडीज क पूर्व निदेशक प्रो.भुवन चंदेल अपन संबोधन मे क क्रम मे जनक, याज्ञवल्क्य, गणेश उपाध्याय आ मंडल मिश्र आदि दार्शनिक क चर्चा करैत कहला जे मिथिला क धरती पर दर्शन क अध्ययन लेल पहुंचनिहार एहि ठामक भ कए रहि गेल। इंडियन फिलॉसोफिकल कांग्रेस क चर्चा करैत प्रो.चंदेल कहला जे एकर शुरुआत विश्वकवि रविंद्र नाथ टैगोर आ सर्वपल्ली राधाकृष्णन केने छलाह। ओ आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करैत मिथिला क लोकक प्रति आभार प्रकट केलथि।
इंडियन फिलासाफिकल कांग्रेस क अध्यक्ष आ रामकृष्ण मिशन विवेकानंद कालेज चेन्नई मे दर्शनशास्त्र क विभागाध्यक्ष रहि चुकल डा.टीएन गणपति अपन अध्यक्षीय संबोधन मे कहला जे आइ शिक्षक लग समय आ धन क कमी नहि अछि, मुदा ओ एकर सदुपयोग नहि क पाबि रहल छथि। हुनकर कहब छल जे नव लोक क कर्तव्य अछि जे ओ पुरान पीढ़ी क दार्शनिक क अनुभव स सीख लथि। एकरा लेल अध्ययन क आदत लगेबाक चाही। विधान पार्षद डा. विनोद कुमार चौधरी कहला जे मिथिला क संस्कृति अपूर्व अछि। ओ कहला जे एहि कांग्रेस क माध्यम स छनिकए आबि रहल गप पर राज्य सरकार अमल करत।
धन्यवाद ज्ञापन करैत कुलानुशासक डा. टीएन झा कहला जे प्रत्येक वैज्ञानिक मूलत: दार्शनिक होइत अछि। विवि क दर्शनशास्त्र क विभागाध्यक्ष डा.सतीश चंद्र मिश्रा पाहुनक स्वागत मिथिला क परंपरा क मुताबिक केलथि। कार्यक्रम क संचालन विश्वविद्यालयक प्रख्यात मंच संचालक डा.पुतुल सिंह केलथि।
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