कुलपतिक नेतृत्व मे धरोहर संरक्षण लेल तैयार मैथिल बुद्धिजीवी
पटना। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय क कुलपति डॉ साकेत कुशवाहा कहला अछि जे मिथिलाक समाज अपन धरोहर आ परंपराक प्रति उदासीन छथि। 1905 मे स्थापित बिहार रिसर्च सोसायटीक सभागार में मैथिली साहित्य संस्थानक दिस स आयोजित इसमाद प्रकाशनक पहिल पुस्तक दयानंद मल्लिक रचित उपन्यास सोनदाइक सोहाग क लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि क रूप मे सभा कए संबोधित करैत डॉ कुशवाहा कहला जे मिथिला मे धरोहर आ परंपरा कए संरक्षण बुद्धिजीवीक पहिल काज हेबाक चाही, मुदा पूरा समाज एकरा प्रति उदासीन अछि। डॉ कुशवाहा कहला जे ओ अपन स्तर स किछु प्रयास शुरु केलथि अछि, मुदा हुनका अपेक्षापूर्ण सहयोग नहि भेट रहल अछि। ओ कहलथि जे धरोहरक प्रति एहन उपेक्षापूर्ण व्यवहार समाज मे आर कतहु देखबा लेल नहि भेटल। धरोहर कए क्षतिग्रस्त क लोक ओकर ईंट आ पाथर अपन घर उठा ल जाइत छथि। अपन अनुभव स सभा कए अवगत करबैत डॉ कुशवाहा कहला जे जखन कोनो धरोहर क एकटा हिस्सा क्षतिग्रस्त भ जाइत अछि त आनठाम ओकर दोसर हिस्सा जेकां या पूर्वहि जेकां बना देबाक प्रयास होइत अछि, मुदा मिथिला मे खास क हमर संस्थान मे सलाह देल जाइत अछि जे दूनू हिस्सा कए एक रंग करबा लेल किया नहि दोसर हिस्सा कए तोडि देल जाये। डॉ कुशवाहा कहला जे ओ व्यक्तिगत रूप स धरोहरक संरक्षण लेल बुद्धिजीवी सबस आग्रह करैत छी जे अपन परंपरा आ इतिहास कए बचेबा लेल आगू आउ। सभाक अध्यक्ष प्रो हेतुकर झा कहला जे मिथिला क धरोहरक प्रति उदासीननता समाज मे शुरु स नहि छल। ओ कहलथि जे महाराजक निधनक बाद एकटा खास वर्ग हाथ मे छेनी-हथौडी ल दरभंगा समेत पूरा मिथिला मे सक्रिय भ गेल। आइ जे किछु बचल अछि ओकर पाछु एक मात्र कारण इ अछि जे छैनी-हथौडी स ओ क्षतिग्रस्त नहि भ सकल। प्रो झा कहला जे नवतुरिया सब आब एकरा लेल गंभीर प्रयास क रहल अछि, जाहि स उम्मीद देखा रहल अछि। मैथिली साहित्य संस्थानक एहि आयोजन मे पहिल बेर मिथिला विश्वविद्यालयक कोनो कुलपति दरभंगा स पटना एलाह अछि। इ एकटा पैघ बदलाव अछि। ओ कहला जे जेना दरभंगा मे मैथिली विश्वविद्यालय नहि मिथिला विश्वविद्यालय अछि, तहिना मिथिला क धरोहर आ एकर परंपरा कोनो खास जाति या वर्गक नहि अछि। डॉ कुशवाहा कए सुच्चा मैथिल कहैत प्रो झा कहलथि जे कुलपति अपना कए असगर नहि बुझैथि, पूरा मैथिल बुद्धिजीवी हुनकर पाछु ढार अछि। संस्थानक सचिव भैरव लाल दास अपन संबोधन मे संस्थान दिस स धरोहर आ परंपरा संरक्षण लेल कैल गेल प्रयासक सविस्तार उल्लेख करैत कहलथि जे मिथिलाक बुद्धिजीवी सब कए जे डॉ कुशवाहा आइ झकझोरि देलथि अछि, एकर प्रभाव आगू देखबा लेल जरुर भेेटत। श्री दास कहला जे एहि सभा मे उपस्थित बुद्धिजीवी वर्ग मिथिलाक कोनो आस सभाक मे उपस्थित बुद्धिजीवी वर्ग स समृद्ध छथि। एहन मे इ सभा कुलपति महोदय कए विश्वास दैत अछि जे हिनकर नेतृत्व आ संरक्षण मे आगूक काज संपन्न कैल जायत। कुलपतिक संग पूरा मिथिला समाज अछि आ कुलपति अपना कए कहनो असगर नहि मानैैैथि। श्री दासक एहि घोषणा कए सभा मे उपस्थित सब कियो थोपरी बजा समर्थन केलक। कुलपति सभाक प्रति आभार व्यक्त करैत कहला जे एहि काज लेल टकाक कोनो अभाव नहि हुए देल जायत। ओ कहला जे इंटैक क मिथिला चैप्टर क संरक्षक क रूप मे ओ आब कतहु रहताह, मुदा मिथिला स हुनकर संबंध स्थायी बनल रहत। सभा मे धन्यवाद ज्ञापन करैत डॉ शिवकुमार मिश्र कहला जे धरोहर आ पंरपरा क प्रति मैथिलक उदासीनता अपन चरम पर जा चुकल अछि। डॉ मिश्र कहला जे मिथिलाक पुरात्व पर आयोजित एकटा सेमिनार मे एकटा मैथिल ब्राहमण कए शोध पढबाक छल, मुदा ऐन बेर मे ओ उपस्थित नहि भेलाह। जेना-तेना पूर्व निदेशक संग्रहालय एसएन दिवेदी जी कए भार देल गेल। भरि राति किताब क अध्ययन क द्विवेदी जी जे शोध प्रस्तुत केलथि ओ एखन धरिक सर्वश्रेष्ट अछि। डॉ मिश्र कहला जे इंटैक संग बैसार कामेश्वर नगर स्थित दूनू विश्वविद्यालयक कुलपति क भेल। एकदिस जतय डॉ कुशवाहा अपन सबटा पदाधिकारीक संग बैसार केलथि आ रौद मे घूमि-घमि महलक अवलोकन करौलथि, ओतहि दोसर कुलपति असगर बिना कोनो पदाधिकारी कए बैसार कए महज औपचारिकता प्रदान केेलथि, जखनकि हुनका लग पुरान महल अछि आ करीब एक करोड टका सेहो महलक संरक्षण लेल खर्च नहि भ रहल अछि। डॉ मिश्र कहला जे मिथिला मे धरोहरक संख्या त बहुत अछि मुदा लोकक उदासीनताक कारण सरकार सेहो ओकरा सूचिबद्ध नहि क रहल अछि। ओ आगत अतिथि कए धन्यवाद दैत कहला जे हुनक संस्थान धरोहर आ परंपरा लेल सब स्तर पर काज जारी राखत।
सभा मे उपस्थित मैथिल बुद्धिजीवी -: पद्मश्री उषाकिरण खान, इंद्रकात झा, रजनी झा(मैथिली विषय ल यूपीएससी केनिहारि पहिल महिला), बासुकीनाथ झा, विवेकानंद, रमानंद झा रमन, कथाकार अशोक, रत्नेश्वर मिश्र, नाटककार कुणाल, अभिनेत्री प्रेमलता मिश्र, पन्ना झा, नरेंद्र झा, डॉ पं भवनाथ झा, अमरनाथ झा, जयचंद्र मल्लिक, अमरनाथ चौधरी, पंचानन मिश्र, आनंद मोहन शरण, एसएन द्विवेदी, सुनील कुमार झा, बालमुकुंद पाठक, संजय बिहारी, पत्रकार पियूष मित्र, पत्रकार आशीष झा, वास्तुविद अरुण कुमार, स्पनिल सोमल आदि ।