नयी दिल्ली । अखिल भारतीय मिथिला संघ अपन 48 म आयोजन में पहिल मैथिली निर्देशक सी परमानंद आ एहि साल साहित्य अकादमी स पुरस्कृत लेखिका सैफालिका वर्मा समेत किछु आओर गोटे कए मिथिला विभूति सम्मान देलक अछि। दिल्ली मे मिथिला क सांस्कृतिक विरासत, धरोहर, कला आ भाषा क झंडा उठेनिहार एहि संस्था क पुरस्कार सूची एहि बेर सेहो विवाद स अछूत नहि रहल। एहि साल सेहो मैथिली नाटक कए न केवल दिल्ली बल्कि समस्त देश मे शिखर पर पहुंचा देनिहार प्रकाश झा आ मैथिली पत्रकारिता लेल पाथर पर दुइब साबित भेल मिथिला आवाज क सीइओ अजित आजाद क नाम सूची मे नहि देखायल। जहां धरि परमांनद जीक सवाल अछि त एहि संस्था कए सी परमांनद कए मिथिला विभूति मानबा मे 48 साल लागि गेल, जखनकि मैथिली फिल्म पिछला साल अपन 50म वर्षगांठ मनेलक अछि। सैफालिका वर्मा कए सेहो इ पुरस्कार देरी स भेटल। कतहु नहि कतहु साहित्य अकादमी स पुरस्कृत भेलाक बाद हुनका इ पुरस्कार देबाक संस्था क मजबूरी छल।
कर्यक्रम क शुरुआत बुद्धिनाथ झा क मंच संचालन स भेल, जाहि मे ओ अपन अद्भुत कविता शैली स दर्शक कए मंत्रमुग्ध क देलथि। तेकर बाद रंजना झाक गौसाउनि गीत जय जय भैरवी क गायन भेल। गीतक बाद मंच पर मुख्य अतिथि सब मंचासीन भेलथि। मुख्य अतिथि आ कर्यक्रम उद्घाटनकर्ता छलथि पद्मश्री डा. गजेन्द्र नारायण सिंह। हिनका संग मंच पर मौजूद छलाह महाबल मिश्रा (संसद, पश्चिमी दिल्ली), अनिल कुमार शर्मा (सीएमडी,आम्रपाली ग्रुप), डा. एससीएल गुप्ता (विधयाक, संगम विहार) आ डॉ जगन्नाथ मिश्र क जेठपुत्र संजीव मिश्रा। कार्यक्रम मे रश्मि रानी क स्वागत गीत ‘मंगलमय दिन आजू हे पाहून छथि आयल’ दर्शक आ अतिथि क मोन जीत लेलक।
कर्यक्रम क स्वागताध्यक्ष जगन्नाथ मिश्र क पुत्र श्री संजीव मिश्रा कहला जे इतिहास भविष्य नहि देखबैत अछि, अपितु वर्तमान भविष्यक नींव रखैत छथि। श्री मिश्र क इ कथन कतहु नहि कतहु ओहन लोक कए बचेबा लेल छल जे मैथिली क वर्तमान हालात लेल इतिहास मे दोषी अछि। श्री मिश्र अपन भाषण मे मैथिली संस्कृति पर सेहो चोट केलथि आ अंतरजातीय विवाह कए समर्थन केलथि। श्री मिश्र कहला जे मिथिलाक लोक कए आब विवाह लेल जातिक बंधन तोडबाक चाही आ बहुजातीय विवाह कए स्वीकार करबाक चाही। श्री मिश्र स ठीक उलट विचार डा गजेन्द्र नारायण सिंह क छल। श्री सिंह कहला जे आधुनिकताक मतलब मिथिला क संस्कार स हटब नहि भ सकैत अछि। ओ कहलथि जे देसिल बयना सब जन मिठ्ठा। ओ कहलथि जे गीतकार सब अपन गीत मे मैथिली क सुगंध कए बचा कए राखू। एकरा आधुनिकता क रंग मे नहि रांगल जाए। ओ कहलथि जे आधुनिकता क मतलब इ नहि होयत अछि जे हम अपन पहचान मिटा दी। सांसद महाबल मिश्रा कहलथि जे पाग मिथिला क पहचान अछि एकरा कोनो नन मैथिल क माथ पर नहि देल जाए। एससीएल गुप्ता कहलथि जे दिल्ली मिथिलांचल क बिना अधूरा अछि। दिल्ली क रफी मार्ग स्थित मावलंकर सभागार आयोजित एहि समारोह मे मिथिला क मशहूर कलाकारक गायन आ नृत्य क दर्शक लोकनि आनंद उठेलनि। ओना करीब दू घंटा तक भाषण आ पुरस्कार वितरण क कार्यक्रम चलबा स क्षुब्ध दर्शन सांस्कृतिक कार्यक्रम क दौरान सभागार स चलि गेल छलाह। कार्यक्रम क अंत विकाश झा, धनिक लाल मंडल आदि क गीत स भेल। पूरा कार्यक्रम मे एक दिस जतए संगीत पक्ष आ नृत्य पक्ष मजबूत छल ओतहि साउंड क झंकार दर्शक कए कर्णकटु लागल। मिथिलेश क कोरियोग्राफी मे भेल नृत्य पर दर्शक खूब थोपड़ी बजेलक। कुल मिला कए दर्शक क भरपूर मनोरंजन भेल।
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