पटना : मैथिली दिवस पर 8 जनवरी, 2014 क’ पटना मे भेल गोष्ठी मे बहुत रास चर्चा भेल। एहि मे निर्णय भेल जे ‘मिथिला भारती’ नामक जर्नल्स जे पहिने मैथिली साहित्य संस्थान द्वारा प्रकाशित होईत छल आ खूब प्रशंसित छल, तेकर पुन: प्रकाशन कएल जाए। एहि मे मिथिला आ मैथिली विषय पर मैथिली आ अंग्रेजी मे आलेख छापल जाईत छल। गोष्ठी मे मैथिली मे मानक विषय पर सेहो चर्चा भेल आ विद्वानक मत छलनि जे मानक ल’क’ मैथिलीक प्रसार रुकि सकैत अछि। मैथिली जीवन्त भाषा अछि आ व्याकरण एवं मानक ल’क’ एकर विकास रोकल नहि जेबाक चाही। छत्रानन्द सिंह झा उर्फ बटुक भाईक कहब छलनि जे एहन कोनो संस्थान होए जे भाषाक संबंध मे गहन विचार-विमर्श करए। श्यामानन्द चौधरीक मत छलनि जे मैथिली कए रोजगारक भाषा बनाओल जाए आ आधुनिक उपकरण सँ सेहो जोड़ल जाए। शरदिन्दु चौधरी क अनुसार मैथिली मे पूर्णकालिक समर्पणक अभाव अछि। कम सँ कम दस गोटे केँ पूर्णकालिक रूप सँ जुड़बाक चाही। विवेकानन्द ठाकुरक कहब छलनि जे संविधानक अष्टम अनुसूची मे मैथिली भले जुडि़ गेल हो, एहि पर कोनो खास काज नहि भेल अछि। कुणालक मतें विद्यापतिक 1800 गीत मे सँ मात्र 10 टा गीत उपलब्ध कराओल गेल अछि। डॉ0 योगानन्द झाक मते मैथिली के सब किछु उपलब्ध अछि जे एकटा भाषाक विकासक लेल आवश्यक अछि। रामनारायण सिंहक अनुसार अनुवाद भाषा विकासक कड़ी अछि। डॉ वीणा कर्णक अनुसार मैथिली भाषी होयबा मे सम्मानक अनुभव क’ रहल छी। नरेन्द्र झाक अनुसार जानकी नवमीक अवसर पर मैथिली दिवसक आयोजन होइत छल, ई नव आयोजन भेल अतएव एकर नाम किछु बदलि देबाक चाही। डॉ रमानन्द झा रमणक अनुसार भाषा रहत त’ साहित्य रहत। मैथिली भाषाक लेल भाषा योजना आ वैज्ञानिक प्रबंधन नीति तैयार करबाक आवश्यकता अछि। डा बासुकीनाथ झाक अनुसार मैथिली कए आर लोकोन्मुखी बनेबाक आवश्यकता अछि। प्रेमलता मिश्रक अनुसार संविधान मे स्थान भेटलाक बाद मैथिली कए की लाभ भेलैक, लोक नहि जनैत छैक। किछु काज हेबाक चाही। प्रसिद्ध समाजशास्त्री आ विद्वान डॉ हेतुकर झा रोचक प्रसंगक उल्लेख कयलनि। मिथिला मे दुसाध जातिक लोकगीत मे सीताक प्रसंगक अध्ययन मे स्पष्ट अछि जे मां जानकीक वनवास ल’क’ लोकगीतमे रामक प्रति बहुत आक्रोशक प्रदर्शन भेल अछि। एतबहि नहि, दुसाध जातिक कुलदेवी सेहो सीता छथिन्ह। डॉ झाक मत छलनि जे प्राय: मिथिला मे दुसाध छोडि. आन कोनो जातिक कुलदेवी सीता नहि छथिन। मुदा एहि सब प्रसंग मे आर शोधक आवश्यकता अछि। डॉ रत्नेश्वर मिश्रक आग्रह छलनि जे जनगणना मे मातृभाषाक रूपमे मैथिली लिखेबाक चाही। रामचन्द्र खान कहलनि जे अंग्रेज अपन उपनिवेश 70 ठाम बनौने छल आ सब ठाम भाषाक स्थिति कमोवेश एके रंग अछि। एहि संबंध मे मैथिलीक स्थिति आन सब भाषा सँ नीक अछि। सुकान्त नागार्जुनक मत छलनि जे जाबत धरि मैथिली केँ राजनीतिक एजेंडाक रूपमे स्थापित नहि कएल जायत, किछु नहि भ’ सकैत अछि। कार्यक्रम क संयोजक भैरव लाल दास सब गोटे कए धन्यवाद ज्ञापन केलथि।
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नीक गप्प , मुदा मैथिली में साहित्यक निर्माण अत्यावश्यक |
नीक गप्प
good news…………..