पटना । देश मे अगर कतहु साहित्य क उत्सव मनाउल जेबाक चाही, त ओकरा लेल स्वाभाविक स्थान कतए भ सकैत अछि? शनिदिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इ सवाल 77 साल बाद एक बेर फेर स पटना मे शुरू भेल पटना लिटरेचर फेस्टिवल क उदघाटन क क्रम मे देलथि। ओ कहला जे बिहार कहियो व्यापार लेल नहि जानल गेल, बिहार सब दिन ज्ञानक केंद्र रहल। बिहार क समाज पठनिहार अछि, साहित्य क कोनो आयोजन लेल बिहार सबस उपयुक्त जगह अछि। पटना लिटरेचर फेस्टिवल क औपचारिक शुभारंभ करैत नीतीश कहला जे बिहार क पहचान अगर ज्ञान केंद्र नालंदा क संग जुड़ल अछि, त एकर राजधानी पटना मे साहित्य उत्सव हेबाक चाही। मुख्यमंत्री कहला जे राज्य सरकार पटना लिटरेचर फेस्टिवल संग एहन कोनो आयोजन मे सहयोग देबा लेल तैयार अछि। संस्कृति विभाग क बजट मे एकरा लेल प्रावधान सेहो कैल जाएत, मुदा सरकार एकर कंटेंट (विषयवस्तु) कए कतई प्रभावित नहि करत। सभागार मे मौजूद साहित्य प्रेमी एहि घोषणा कए करतल ध्वनि स स्वागत केलथि। श्री कुमार कहला जे पटना लिटरेचर फेस्टिवल क आयोजन एना हेबाक चाही जे लोक कए एहि आयोजन कए बाट ताकथि। राज्य सरकार क युवा कार्य आ संस्कृति विभाग संग नवरस स्कूल आफ परफार्मिग आर्ट्स क सहयोग स राजधानी क तारामंडल सभागार मे आयोजित भेल पटना लिटरेचर फेस्टिवल पर प्रसन्नता प्रकट करैत मुख्यमंत्री कहला जे इ शुरुआत बहुत नीक अछि। एकर निरंतरता रहबाक चाही। सब साल इ हेबाक चाही। एकरा व्यापक आ संस्थागत स्वरूप देल जाए। ओ कहला जे एहि महोत्सव मे बिहार क भागीदारी क सेहो ध्यान राखल जाए। बिहारक रचनाधर्मिता क उपेक्षा नहि हेबाक चाही। मशहूर शायर गुलजार, कलीम आजिज, पाकिस्तान स आयल फहमीदा रियाज आ अन्य कईटा शायर क मौजूदगी मे मुख्यमंत्री कहला जेहुनका अंग्रेजी स परहेज नहि अछि, ओकरा सेहो जगह भेटबाक चाही, मुदा साहित्य महोत्सव कए भारतीय भाषा क बीच संवाद क मंच बनाउल जाए।
एहि अवसर पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, कला संस्कृति मंत्री डा.सुखदा पांडेय आ मुख्यमंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार पवन कुमार वर्मा सेहो अपन विचार रखलथि।
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