राग पटना द्वारा आयोजित चारिम शशि भूषण स्मृति नाट्य उत्सव क पहिल दिन मैथिली क नाम रहल । पहिल दिनक शुरूआत भेल मैथिली क चर्चित नाटककार रामेश्वर प्रेम लिखित नाटक ‘जल डमरू बाजे’ क मंचन स । एहि नाटकक मंचन करनिहार संस्था छल दिल्ली क बहुचर्चित आ पिछला कैक साल मैथिली क दिल्ली में जिया क रखनिहार मिथिला क नाट्य संस्था मैथिली लोक रंग ( मैलोरंग ) ।
कार्यक्रम क शुरूवात श्री रामेश्वर प्रेम कए तृतीय शशिभूषण स्मृति नाट्य लेखन सम्मान स सम्मानित कए क भेल । निर्मली, बिहार मे जनमल रामेश्वर प्रेम हिन्दी क सर्वाधिक चर्चित नाटकार मे स एक छथि । रामेश्वर जी साहित्य क विविध विधा मे रचनात्मक योगदान देने छथि, खास कए क अपन नाट्य लेखन स साहित्य आ रंगमंच दूनू कए समृद्ध केने छथि ।
मैलोरंग क सर्वाधिक प्रिय नाटक मे स एक ‘जल डमरू बाजे’ मिथिलांचल क बाढि़क विभीषिका पर ओतुका लोगक आर्तनाद पर आधारित अछि । मिथिलांचल क संपूर्ण भू-भाग प्रलयंकारी बाढि़क साले साल सामना करैत अछि । लोग अपन-अपन नेता वा राजकीय प्रशासक क आश्वासन पर एहि तरहे भरोसा करैत अछि कि हुनका बिना एहि प्राकृतिक विपदा स कियो आन निजात नहिं दिया सकैत अछि । आइयो मिथिला क सेह हाल अछि ।
भुखला क रूप मे दूल्हा बनल मुकेश आ कनिया क रूप मे भुखली बनल नीरा झा अपन एकमात्र बच्चा लए क बाढि़ मे टौआएत एकटा बाढ़ राहत प्लेटफार्म पर आसरा लैत अछि । भुखला शब्दभेदी बर्छी चलेबा मे माहिर छल । हुनका इ आश छल कि ओ माछ पकड़त आ दू दिन से भुखल भुखली कए माछ खुआएत । मुदा एहन नहि भए पाबैत अछि । एकटा राति पानि मे माछक चक्कर मे ओ अपन बच्चा पर जेकि अनचोक्के मे पानि मे खसि जाएत अछि पर बर्छी चला दैत अछि । ओ बुझैत अछि जे बड़का माछ पकड़ाएल अछि जे भुखली क पेट भरत आ हुनकर स्तन दुध आएत जाहि से हुनकर बच्चाक प्राण सेहो बचि जाएत । मुदा भोरका इजोत मे हुनकर इ भ्रम दूर भए जाएत अछि । अपन बच्चाक खुनमा-खुन देखि भुखली सेहो अपन प्राण त्याग देति अछि ।
बाढि़क विभीषिका पर मनुखक जीवित रहबाक एक चुटकी आश कए जीवंत करबाक काज केलक मुकेश झा, नीरा झा, अनिल मिश्रा, वंदना, प्रवीण कुमार, सत्यकेति मिश्रा, राजीव रंजन, संतोष झा, अमरजीत राय, नेहा वर्मा आ विपुल जेहन कलाकार । मैलोरंग माजल कलाकार अभिनय नाटक मे चारि चांद लगा देलक । ओतहि प्रकाश व्यवस्था दर्शकक मोन मे किछु छोभ उत्पन्न केलक । किछु जगह पर प्रकाश एकदम समझ से बाहर छल । संगे हॉल क ध्वनी सेहो मोन क उदास केलक । संवाद क स्वर नीक जेंका दर्शक तक नहिं पहुंचि रहल । ध्वनी आ प्रकाश व्यवस्था क हाल इ छल जे कलाकार कए ध्वनी आ प्रकाश क अनुसार अपना आप में एडजस्ट करबा में बड़ मशक्कत करय पड़ल । जेना भुखली कए भुखला क बर्छी चलेला क बाद मंच पर स बच्चा क पानि में खसेनाय । कैकटा दृश्य में कलाकारक तैयार होए स पहिने मंच कए प्रकाशित कए देल गेल छल । मैलोरंग क एहि पर सेहो काज करय पड़त । ओना एहि मे स्पष्ट रुप से हॉल क दोष छल मुदा मैलोरंग एहन संस्था कए हॉल क निरीक्षण आ ओहि अनुसार ध्वनी संयोजन सेहो करबाक जरूरत छल ।
एहि सबहक बादो नाटक पटना क दर्शक पर अपन छाप छोड़बा मे सफल रहल । पटनाक दर्शकक थोपड़ी आ स्नेह हमरा जानिते मैलोरंग क हृदय में बसि गेल हेतय । कार्यक्रम क अंत मे मैलोरंग क निर्देशक प्रकाश झा जी कए राग, पटना दिस स चतुर्थ शशिभूषण स्मृति चिन्ह प्रदान कएल गेल । एहि अवसर पर प्रसिद्द कवि श्री अरूण कमल, कथाकार व नाटकार श्री हृषीकेश सुलभ वा वरिष्ट रंग समीक्षक श्री अजीत राय आदि उपस्थित छलाह ।
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bahut badhiyan lagal ie jane ka ki magadh me maithalik natya prastooti bhel
यु पी बिहारक होली ……..
रंग बिरंगा चुनावी होली देखु
के थिक पप्पु के थिक फेकु
कमल लवने मोदी एलाह
हाथ देखावैत राहुल निकललाह
रौद में लालटेन लालू जड़ेलाह
बिना धनुखक नितिश तिर चलेलाह
लोजपा थिक घरक पार्टी घरे में दोकान
रामविलास रामचन्द्र आ चिराग पासवान
साईकिल हाँकैत मुलायम पछुएला
मायाक गजराज जंगल पड़ेलाह
अमर सिंह धेला अजितक दलान
जयाप्रदा बिसरली मुलायमक नाम
जोगिरा सारा रा रा …………….
आंध्रक होली …………..
चंद्रबाबु किरन KCR आओर जगन
सिमांध्र तेलंगाना में सब मगन
नबका पार्टी खोललाह पवन
रामाराव लेताह फेर जनम
कांग्रेस भाजपाक हाल नञि पुछु
दुनुक हाल बेहाल से बुझु ।
जोगिरा सारा रा ……..,……