पटना । प्रसिद्ध शिक्षाविद आ आइआइएम, कोलकाता क प्राध्या्पक विद्यानंद झा कहला अछि जे मैथिली साहित्य मे खगल लोकक चिंता कतहु नहि देखा रहल अछि । आइ लोक लेल नहि बल्कि लोकप्रियता लेल साहित्यक रचना भ रहल अछि। 60 क दशक तक जे मैथिली क प्रगतिशील साहित्य छल से आइ हेरायल बुझा रहल अछि । लोकपक्षधरिता दिस गेने बिना मैथिली साहित्य क विकास आ भविष्य संभव नहि अछि । श्री झा रविदिन पटना में आयोजित प्रबोध साहित्य सम्मान कार्यक्रम में प्रधान अतिथिक रूप मे सभा कए संबोधित क रहल छलाह । ओ कहला जे आइ जे साहित्य लिखल जा रहल अछि, से मात्र पुरस्कार लेबाक नजरि स लिखल जा रहल अछि । मैथिली कए एहि धारा क पोथीक काज नहि छै । श्री झा कहला जे नव पाठक क अभाव सब भाषा मे अछि । दुनिया भरि मे भाषा क विकास पर मंथन भ रहल अछि । मैथिली कए संविधान मे मान्य ता भेटला स नीक आ अधलाह दूनू गप भेल । लोक इ मानि लेलक जे आब त मैथिली मान्यता प्राप्त क लेलक । सरकारी स्तर पर टकाक बहाव भेल आ सरकारी टका लेल रचना हुए लागल । इ संस्थागत टकाक हमरा जनैत बर्बादी छी, एकर नीक जेकां उपयोग हेबाक चाही । श्री झा कहला जे मैथिली पोथी क वितरण एकटा समस्या अछि, मुदा अधिकतर पोथी लोग अपना लेल लिखी रहल अछि आ अपन किछु परिचित कए बांटी पुरस्कार पाबि रहल अछि। श्री झा कहला जे मैथिली क नव लेखक नव मंच क माध्यम स सामने आबि रहल छथि, मुदा हुनका मे लेखकीय क्षमता त अछि मुदा हुनका लेखकीय प्रशिक्षणक जरुरत अछि, ताहि लेल वर्कशॉप क आयोजन हेबाक चाही। बेव माध्यम क चर्च करैत श्री झा कहला जे आइ बेव पर समग्र साहित्य अछि आ नव लेखक आ पाठक बनि रहल अछि, एकरा आओर बढेबाक प्रयास हेबाक चाही। बेव मंच क कमी कए दूर करबा लेल व्यक्ति आ संस्था दूनू कए प्रयास करबाक चाही। कार्यक्रम कए संबोधित करैत उदयनारायण सिंह नचिकेता कहला जे मैथिली मे रचना क अभाव नहि अछि, मुदा ओकर पाठक तक पहुंच नहि भ पाउल अछि। ओ कहला जे मैथिली लेल सेहो एकटा फ्लिपकार्ड सन मंच चाही, जाहि स दुनिया भरिक लोक मैथिली पोथी कीन सकैथि । श्री सिंह कहला जे मैथिली मे लेखन क संग संग वाचनक सेहो परंपरा पुरान अछि मुदा लोकगीत स ल कए कविता या कहानी कए पाठक लए कोनो रिकार्डिंग हमरा सब लेल उपलब्ध नहि अछि। श्री सिंह कहला जे मैथिली मे इ काज हेबाक चाही । सब कवि क एकटा शैली होइत अछि जेकर संग्रह हमरा सब लग नहि अछि । मैथिली मे गंभीर काज क अभाव पर प्रकाश दैत श्री सिंह कहला जे ओ राष्ट्रीय स्तर पर कईटा एहन समिति क सदस्य छथि जाहि ठाम भाषा विज्ञान पर काज केनिहार कए सरकारी मदद देबाक फैसला लेल जाइत अछि, मुदा हुनक अनुभव रहल अछि जे मैथिली लेल कोनो प्रस्ताव पिछला 10 साल में हुनका नहि भेटल । ओ कहला जे एहि समाजक लोग केवल सरकार स टका चाहैत अछि, मुदा टका कोन आधार पर सरकार देत, से आधार बतेबा मे असमर्थ भ जाइत अछि, जखन कि संताली आ अन्य भाषा अपन प्रस्ताव राखि 20-20 लाख टका क सहयोग सरकार स प्राप्त क रहल अछि । श्री सिंह कहला जे मैथिली साहित्य क भविष्य नव पीढी आ नव विधा पर निर्भर करैत अछि । एहि स पूर्व मैथिली क सुप्रसिद्ध गीतकार रबींद्रनाथ ठाकुर कए 12म प्रबोध साहित्यब सम्मान स पुरस्कृत कैल गेल, संगहि एक लाख टकाक चेक आ प्रस्सति पत्र प्रदान कैल गेल ।
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जे समस्या सब राखल गेल अछि, एकदम सही अछि।युवालेखन कें एहि दिस सचेष्ट हेबाक चाही।मैथिलीक ताकत ओकर मौलिक लेखन मे छै, एहि बात कें हरदम मोन राखबाक चाही।
समाचारक सुंदर प्रस्तुति लेल आभार।