भागलपुर : प्राचीन इतिहास क विद्वान आ तिलकामांझी भागलपुर विवि क प्रो. राजीव सिन्हा कहला अछि जे पूर्व मध्यकाल क विक्रमशिला विश्वविद्यालय क इतिहास काफी समृद्ध रहल अछि। विक्रमशिला क कला अपना आप मे काफी महत्वपूर्ण अछि। अपभ्रंश हिंदी आ बंग्ला भाषा क विकास एहि विक्रमशिला क कारण भ सकल। ‘विक्रमशिला विश्वविद्यालय क ऐतिहासिक प्रासंगिकता विषय पर आयोजित परिचर्च मे प्रो. सिन्हा बुद्धत्व, बोधिसत्व, विक्रमशिला आ चंपानगर क व्यवसायिक इतिहास कए जोड़िकए कईटा विक्रमशिला विश्वविद्यालय क महत्व क जानकारी देलथि। ओ कहला जे एहि विवि क तंत्र विद्या मे बड़ पैघ योगदान अछि। मुदा तंत्र ज्ञान क दुर्गुण क कारण इ बौद्ध धर्म लेल अंतिम धधकैत दीप सेहो साबित भेल।
परिचर्च मे एसएम कॉलेज क एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रमन सिन्हा कहला जे विक्रमशिला विवि नालंदा विश्वविद्यालय स बेसी महत्वपूर्ण अछि। नालंदा विवि गुप्त काल मे बनल छल, ओ स्वर्णिम समय छल आओर इ नालंदा शहर मे बनल छल। मुदा, विक्रमशिला विवि पाल काल मे बनल छल। इ आर्थिक संकट क दौर छल आओर इ निपट देहात मे बनाउल गेल छल। डॉ. सिन्हा कहला जे एकर महत्व कए देखैत एहि ठाम विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय या विक्रमशिला तकनीकी विश्वविद्यालय क स्थापना कैल जेबाक चाही।
ओना टीएनबी कॉलेज क अतिथि शिक्षक डॉ. रविशंकर चौधरी क कहब छल जे नालंदा आ विक्रमशिला क तुलना नहि कैल जेबाक चाही। विक्रमशिला कई मायने मे नालंदा स बेसी महत्वपूर्ण अछि। खास क तंत्र विद्या मे। ओ कहला जे इ अलग गप अछि जे आधुनिक दुनिया मे तंत्र क पढ़ाई खत्म भ चुकल अछि आ इ विधा आइ जादू-टोना क रूप ल लेलक अछि।
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