जनकपुर [मिथिला]। नेपाल एक बेर फेर राजनीतिक संकट स घेरा गेल अछि। ओना त राजशाही पतन क बाद स नेपाल कहियो राजनीतिक स्थिरता नहि देखलक मुदा रविदिन नेपाल क भविष्य एक बेर फेर लिखल जाएत। वर्तमान संविधान सभा का कार्यकाल रविदिन खत्म भ रहल अछि। देखल जाए त संविधान सभा क चुनाव दू साल लेल भेल छल। एहि दौरान सत्ता संचालन आ संविधान बनाएब हुनकर प्राथमिकता छल, मुदा तय समय सीमा मे संत्ता संचालन मे एतबा दिक्कत भेल जे संविधान निर्माण दिस ककरो ध्यान नहि गेल। नतीजतन अंतरिम संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति क प्रयोग करैत संविधासभा अपन कार्य अवधि कए एक वर्ष अर्थात 28 मई वर्ष 11 तक बढ़ा लेलक। ओ समय सीमा सेहो खत्म भ गेल, मुदा संविधान नहि बनि सकल।
कोनो स्थायी आ जनमान्य संविधान नहि रहलाक कारण नेपाल मे घोर राजनैतिक संकट पैदा भ चुकल अछि। एहि तीन साल मे सहो नेपाल मे संविधानहीनता के कारण शक्ति आ पद क बीच झंझट होइत रहल अछि। 2009 मे प्रधान सेनापति रुक्मांगत कटवाल कए पद स हटेबा संबंधी प्रधानमंत्री प्रचंड क निर्णय कए राष्ट्रपति डा. रामबरन यादव द्वारा पलटि देलाक बाद इ देखबा मे भेटल अछि। जेकर परिणाम स्वरूप प्रचंड पद स त्यागपत्र द देलथि । फेर माओवादी सेहो राष्ट्रपति कए पद स हटेबा लेल जोरदार मांग उठेलक। प्रचंड क बाद माधव नेपाल आ वर्तमान सरकार क मुखिया झलनाथ खनाल देश क प्रधान मंत्री भेलथि मुदा संविधान निर्माण क दिशा मे कोनो प्रगति नहि भ सकल। नेपाल क राजनैतिक दल आ नेता मे एतबा खींच-तान आ परस्पर अविश्वास अछि जे वर्तमान संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण क उम्मीद नहि कैल जा सकैत अछि। एहि लेल नेपाल मे इ आवाज सेहो उठि रहल अछि जे एकरा भंग करि नव सिरा स चुनाव हेबाक चाही।
दोसर दिस सांसद आओर मंत्री चाहैत छथि जे कहुना एक बेर फेर संविधान सभा क कार्य काल बढ़ा देल जाए। परेशानी इ अछि जे अंतरिम संविधान मे कार्यकाल कए दोबारा बढेबा लेल कोनो व्यवस्था नहि अछि। ओकरा लेल एहि संविधान मे पहिने संशोधन करए पडत। एहि लेल काठमांडू मे विभिन्न दलक नेता बैसार क क्रम जारी अछि। प्रधानमंत्री आ हुनकर सरकार क मंत्री सेहो राष्ट्रपति स भेंट करबा लेल गेलथि अछि, मुदा अंतरिम संविधान मे संशोधन क लेल जरूरी आम सहमति नहि बनि पाबि रहल अछि। एहन स्थिति मे देखबाक चाही जे नेपाल क राजनीतिक भविष्य कोन बाट तकैत अछि।