कुमुद सिंह/ आशीष झा
नई दिल्ली। संविधानसभा क सदस्य, राज्यसभा सांसद आ दरभंगा क पूर्व महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह क निवास नरगौना पैलेस 1975 मे बिका गेल। मुदा की ओ सौदा अवैध छल। आइ इ सवाल एक बेर उठि रहल अछि। इ मामला 37 साल बाद फेर अदालत जेबाक बाट ताकि रहल अछि जे आखिर एहि महलक स्वामी के अछि। कहबा लेल महारानी कामसुंदरी आ राजकुमार शुभेश्वर सिंह इ महल बिहार मे कांग्रेस क तत्कालीन सरकार कए बेचने छथि, मुदा सवाल अछि जे 1975 मे हिनका सब लग महल बेचबाक अधिकार छल। एहि सौदा पर पहिनो सवाल उठि चुकल अछि। 1975 मे महाराजा कामेश्वर सिंह क विलक एक्सेक्यूटर पूर्व न्यायाधीश लक्ष्मीकांत झा आपत्ति दर्ज केने छलाह, मुदा लक्ष्मीकांत झा क आपत्ति एहि आधार पर खारिज भ गेल जे महरानीक मरलाक बाद इ महल शुभेश्वर सिंह क व्यक्तिगत संपत्ति होएत आ हुनका एहि सौदा पर कोनो आपत्ति नहि अछि। लक्ष्मीकांत झा क आपत्ति खारिज भेलाक बाद बिहार मे कांग्रेस सरकारक तत्कालीन मुख्यमंत्री एहि महल पर कब्जा क मिथिला विश्वविद्यालयक स्नातकोत्तर विभाग खोलि देलथि। दरअसल राजकुमार शुभेश्वर सिंह क अनापत्तिपत्र देखि लक्ष्मीकांत झा एतबा निराश भ गेलाह जे महाराजक विल क मूल आधार कए नजरअंदाज क देलथि आ बिहार मे कांग्रेस सरकारक क तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्साहित भ महल पर कब्जा क लेलथि। मुदा पूरा मामला ओहि दिन नव दिशा ल लेलक जहिया महारानी कामसुंदरी कए जीबैत कुमार शुभेश्वर सिंह क निधन भ गेल। 1975 मे ककरो इ अंदेशा नहि छल जे राजकुमार शुभेश्वर सिंह क निधन महरानी से पूर्व भ जाएत आ ओ एहि महलक स्वामित्व नहि पाबि सकताह।
दरअसल डा कामेश्वर सिंह कए इ पूर्ण विश्वास छल जे हुनक पत्नी आ भातिज हुनक संपत्ति कए बेचबा काल किछु नहि सोचताह। ताहि लेल ओ अपन विल मे नरगौना समेत अपन संपूर्ण संपत्ति कए काफी सतर्कता स बचेबाक प्रयास केने छथि। ओ एहन प्रावधान बनेलथि जे महारानी एकरा बेच नहि सकथि आ शुभेश्वर सिंह अपना जीबैत एकर स्वामित्व नहि पाबि सकैतथि, मुदा विधि कए विधान एहन जे हुनक संपत्ति एक एक क बेच देल गेल। नरगौना क सौदा कए अवैध करार देबाक सबस पैघ आधार महाराजा कामेश्वर सिंह क विल क ओ उपबंध अछि जाहि मे श्री सिंह साफ साफ लिखने छथि जे शेड्यूल ‘बी’ क संपत्ति (नरगौना महल, बगीचा सहित) महारानी कामसुन्दरी कए हुनका जीवन भरि लेल मात्र निवास हेतु (कोनो आओर काज लेल नहि)..। ओ घर आओर फर्नीचर क निर्बाध उपयोग करतथि..। हुनकर निधन क बाद, इ संपत्ति हमर छोट भतिज राजकुमार शुभेश्वर सिंह कए पूरा तरह स द देल जाएत। विलक इ प्रावधान साफ तौर स चारिटा गप कहैत अछि जे एहि सौदा कए अवैध घोषित करैत अछि। पहिल जे नरगौना मे रहबाक अलावा एहि महल पर महारानीक कोनो अधिकार नहि अछि। दोसर गप इ जे कोनो परिस्थिति मे महारानी कामसुंदरी कए एहि महल स बाहर नहि कैल जा सकैत अछि। तेसर गप इ जे महारानी अपन मर्जी स सेहो अगर इ महल छोडि दैत छथि, तखनो हुनका जीबैत एहि महल पर शुभेश्वर सिंह क अधिकार नहि भ सकैत अछि। एहन मे सवाल उठैत अछि जे 1975 मे बिहार मे कांग्रेस क तत्कालीन सरकार एहि महल कए कोना खरीद केलक आ एहि पर कब्जा केलक। किया त विल स साफ अछि जे महरानी कए इ महल बेचबाक, किराया लगेबाक या दान देबाक अधिकार नहि अछि। ओ एहि महलक मात्र भोग क सकैत छथि। ताहि लेल इ महल महारानी स कीनबाक कोनो आधार नहि बनैत अछि। दोसर दिस महारानी कए जीबैत एकरा ककरो हाथ स बेचबाक अधिकार राजकुमार शुभेश्वर सिंह ल नहि छल। महारानीक निधन बाद ओ एहि महल कए ककरो द सकैत छलाह। जे संभव नहि भ सकल। कानून क जानकार क कहब अछि जे 1975 मे महल पर स्वामित्व बदलबाक अधिकार ककरो लग नहि छल। अगर शुभेश्वर सिंह क निधन नहियो भेल रहिते तखनो महल बेचबा पर मात्र अनापत्ति जता देला स ओकर सवामित्व बदलल नहि जा सकैत छल। बिहार मे कांग्रेस क तत्कालीन सरकार क एहि महल पर कब्जा अवैध अछि किया त महारानीक जा धरि जीवैत छथि एकर स्वामित्व नहि बदलल जा सकैत अछि। स्वामित्व बदलबा लेल शुभेश्वर सिंह जेना बिहार सरकार कए सेहो महारानीक निधनक इंतजार करए पडत। किया त महाराजाक विल क अनुसार महारानी कए एहि महल स कोनो आधार पर निकालल नहि जा सकैत अछि। हुनक मर्जी एहि मे कतहु महत्व नहि रखैत अछि। महाराज कामेश्वर सिंह अपन संपत्ति मे स महारानी कामसुंदरी कए जे संपत्ति देने छथि तेकर जिक्र सेहो साफ साफ कैल गेल अछि। विल क अनुसार- हम महारानी राज्यलक्ष्मी आ महारानी कम्सुन्दरी कए पंद्रह – पंद्रह लाख क संपत्तियां दैत छी। महाराज लिखैत छथि जे उपरोक्त गपक तदुपरांत .. हमर एस्टेट (राज) क सम्पूर्ण शेष परिसंपत्ति एकटा बोर्ड ऑफ ट्रस्टी क अधिकार मे होएत जेकर सदस्य शेड्यूल ‘सी’ मे वर्णित छथि।.. ओ एहि संपत्ति कए हमर दूनू कनिया आ तीनू भातिज (हमर मृतक भाई क पुत्र) लेल रखताह..। ट्रस्टी महारानी राज्यलक्ष्मी कए ‘कैपिटल एसेट’ क रूप मे आठ लाख आ महारानी कामसुन्दरी कए बारह लाख टका देताह.. आ सबटा परिसंपत्ति क देखभाल आ मरम्मत (रिपेयर) क काज करताह..। हमर कनिया सबहक निधन क बाद परिसंपत्ति क एक तिहाई हमर सबस छोट भतिज राजकुमार शुभेश्वर सिंह क बच्चा (जे हुनकर अपन कनिया स पैदा लेने हुए आ कनिया हमर अपन जाति स हुए) कए द देल जाए..। एक तिहाई हमर दोसर दूनू भातिज राजकुमार जीवेश्वर सिंह आ राजकुमार यज्ञेश्वर सिंह क बच्चा कए द देल जाए। एकर बाद हमर बचल एक तिहाई संपत्ति जनता कए द देल जाए आ एकटा ट्रस्ट ओहि संपत्ति कए सामाजिक उपकार (चैरिटेबल परपस) क काज मे उपयोग करत..
कुल मिला कए महाराजा कामेश्वर सिंह क संपत्ति तीन भाग मे बंटल आ ओकर एक भाग जनता क हिस्सा मे सेहो आयल। रामबाग आ नरगौना सन किछु संपत्ति सीधा व्यक्तिगत संपत्ति रहल जाहि मे बंटबारा क कोनो आधार नहि बनैत अछि। एकर बावजूद 1987 मे पारिवारिक समझौता सुप्रीम कोर्ट मे भेल। भारतीय कानून क इतिहास मे इ पहिल उदाहरण अछि जाहि मे सुप्रीमकोर्ट ककरो विल संग छेडछाड करबाक मंजूरी देलक। एहि समझौता क दोसर आपत्तिजनक आधार इ रहल जे एहि मे केवल महाराजक संपत्ति क दू भाग क लोक शामिल भेल आ तीन भाग में बांटल संपत्ति कए चारि भाग मे बांटी देलक। अर्थात जनता लेल देल एक तिहाई संपत्ति कए दू हिस्सा क लोक मिल कए एक चौथाई क देलक, जे कानून कोन आधार पर कैल गेल से बुझब कानून क जानकार लेल सेहो मुश्किल भ रहल अछि। महाराजक वंशजक कहब अछि जे फैमली सेटलमेंटक बाद विल क कोनो महत्व नहि रहल। सवाल उठैत अछि जे 1975 क सौदा फैमली सेंटलमेंट क आधार पर नहि भेल छल बल्कि विल क आधार पर भेल छल, दोसर जे फैमली सेंटलमेंट सेहो विलक आधार पर भेल अछि नहि त वंशानुगत महाराजक उत्तराधिकारी जीवेश्वर सिंह छलाह। मुदा महाराज अपन संपत्ति वंशानुगत नहि द विल क माध्यम स बंटने छथि।पटना हाइकोर्ट क एकटा वरीय अधिवक्ता क कहब अछि जे 1987 मे भेल एहि पारिवारिक समझौता मे सेहो नरगौना सौदा क जिक्र नहि अछि। अगर 1987 मे नरगौना क जिक्र रहिते तखनो 1975 स 1987 तक नरगौना पर बिहार सरकार क स्वामित्व क दावा लेल कोनो आधार नहि बचैत अछि। अगर बिहार सरकार महारानी कए नरगौना क एक हिस्सा मे बसा देबाक तर्क देत तखनो इ तर्क मे दम नहि रहत किया त नरगौना क एकटा वस्तु तक बेचबाक अधिकार ता धरि ककरो लग नहि अछि जा धरि महारानी कामसुंदरी जीबैत छथि।
कानून क जानकार क कहब अछि जे अगर नव परिस्थिति मे कुमार शुभेश्वर सिंह क अनापत्ति खारिज भ जाइत अछि जे हुनका लग 1975 मे इ अनापत्ति देबाक कोनो अधिकार नहि छल त ताजा हालात मे महारानीक निधनक बाद इ संपत्ति शुभेश्वर सिंहक पुत्र कए भेटत आ ओ एहि संपत्तिक भविष्य तय करताह, मुदा पिता क देल अनापत्ति कए खारिज करब हुनको लेल आसान नहि अछि। दोसर परिस्थिति इ भ सकैत अछि जे शुभेश्वर सिंह क ओहि अनापत्ति कए मानि लेल जाए। तखनो बिहार सरकार कए महल पर स्वामित्व लेल महारानीक निधनक इंतजार त करए पडत। दूनू परिस्थिति मे नरगौना क स्वामित्व बिहार सरकार लग नहि रहत आ बिहार सरकार कए इ महल पर स कब्जा छोडए पडत। संगहि एहि 37 साल मे नरगौना क भेल क्षति क मुआवजा सेहो दरभंगा कए देबाक चाही।
अपन एक तिहाई संपत्ति जनता कए द महाराज कामेश्वर सिंह निश्चित रूप मे जनता कए अपन वंशज जेका मान्यता प्रदान केने छथि। एहन मे हुनक भावना क रक्षा करबा लेल जनता ढार भ रहल अछि। एहि मामला मे सेहो जनता कानूनी लडाई लडबाक तैयारी क रहल अछि। एहन मे किछु संगठन अदालत मे पीआइएल दायर करबाक विचार क रहल अछि। पीआइएल क माध्यम स सरकार स इ पूछल जाएत जे ओ नरगौना पैलेस केकरा स कीनलक आ जहिया एहि महल पर कब्जा केलक तहिया ओ व्यक्ति कए महल बेचबाक अधिकार छल या नहि। एहि पूरा मामला मे महारानी या राजकुमार शुभेश्वर सिंह दिस स जखन पक्ष लेबाक कोशिश कैल गेल त ओ उपलब्ध नहि भेलथि। शुभेश्वर सिंहक पुत्र एहि पर कोनो टिप्पणी करबा स इनकार क देलथि।
कुल मिला कए अपन मौत क 50 साल बाद तक देखबाक महारात रखनिहार डा कामेश्वर सिंह कए बुझल छल जे हुनक कनिया आ भातिज दरभंगाक एहि अमूल्य धरोहर कए नष्ट करबाक पूरा प्रयास करत। ताहि लेल ओ एहन प्रावधान बनेलथि जे महारानी एकरा बेच नहि सकथि आ शुभेश्वर सिंह अपना जीबैत एकर स्वामित्व नहि पाबि सकैतथि, मुदा विधि कए विधान एहन जे बिहार मे कांग्रेस क तत्कालीन सरकार एकरा केवल अवैध रूप स कीनबाक दावा नहि केलक बल्कि अवैध रूप स एहि पर कब्जा क एकरा नष्ट सेहो क देलक। देखबाक चाही जे इ नव हवा मौसम कए केतबा बदलैत अछि।
नोट : इस रिपोर्ट का हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद भी उपलब्ध है।
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एकर विरोध जोरदार तरीका स हेबाक चाही .
Nargoana Palace ,a residential palace of Dr.Kameshwar Singh of Darbhanga been sale out illegally be used as Hotel.
I wish to salute you Kumud, for your precious information in details, which may convert the entire scenario. You are so grate. ADN
Jata anya pradesh sabh (jena Rajsthan) me mahal evam kila sabh ke paryatak sthan me parivartit ka del gel tahina Mithila me seho hobak chahi, muda Bihar sarkar sab ke nasht ka delak.
बिहार सरकार आ बिहारक कांग्रेसी सरकार अलग भेल- आब कांग्रेस क सरकार नहीं छैक
दरभंगा राजक सम्पूर्ण संपत्ति जनताक छैक, कोनो महाराज के पसीना स कमायल नहि आ अन्तोगत्वा जनता के हेबाक चाही आ हेतैक मुदा ककरो ओ व्यक्तिगत नहि भेटक चाही कोनो सौदा व लेन देन स
एकर उपयोग विश्वविद्यालय, पुस्तकालय, संग्रहालय आदि सन ज्ञानवर्धक चीज लेल होइत रह्क चाही आ कोनो अवैध कब्जा के हटा देबाक चाही – होटल बनायब उचित नहि ई मिथिलाक सांस्कृतिक छबिस मेल नहि खेत अछि
महाराजक वंशजके अपन पूरा संपत्तिके सहमतिस समाज उपयोगमे दय देबाक चाही
अन्यथा भारत सरकारके विशेष कानून बना अधिग्रहित कय लेबाक चाही अयोध्या राममंदिरक जमीनजकां
धनाकर जी अपनेक इ कहब जे दरभंगा राजक सम्पूर्ण संपत्ति जनताक छैक, मात्र भाषण भेल। किया त जखन सुप्रीम कोर्ट महाराज द्वारा जनता कए देल एक तिहाई संपत्ति कए एक चौथाई मे बदलि देलक त सब चुप रहलहुं। तखन इ सोच बिला गेल जे जनता क संपत्ति राजवंशक जेब मे जा रहल अछि। एखनो समय अछि जनता क संपत्ति लेल सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती देल जाए, ऐना बचला स मात्र राजपरिवार क प्रति कुठा देखार भ रहल अछि जनताक प्रति स्नेह नहि। जनता प्रति स्नेह अछि त उचित स्थान पर आपत्ति दर्ज करू। पहिने कानूनी हक द दिया देल जाए, बाद मे अहां सैंद्धांतिक हक दिया दी त आर नीक।
lok me jankaree k abhav chhaik.
aa kanoonee ladai sab ladi nhi sakait achhi.
ehi lel prabuddh vakeel aga abathi.