पटना । सुलभ अंदोलन क जनक डॉ0 विन्देश्वर पाठक कहला अछि जे दू गोट मानव क बीच विषमता त दूर कैल जा सकैत अछि, मुदा ओकर बीच जे अंतर अछि ओ मिटायब संभव नहि अछि । श्री पाठक शुक्रदिन मैथिली साहित्य संस्थान व पटना संग्रहालय क संयुक्त तत्वावधान मे आयोजित संगोष्ठी मे मुख्यधारा मे वंचित समाज विषय पर बाजी रहल छलाह । सरकार क नीतिक आलोचना करैत श्री पाठक कहला जे सरकार मे बैसल लोक विषमता आ अंतर में फर्क नहि बुझि रहल अछि आ विषमता दूर करबा लेल अंतर मिटेबाक निअर्थक प्रयास मे लागल अछि । श्री पाठक कहला जे छुआछूत एकटा विषमता अछि । जीव निर्माण करनिहार तत्व हमरा एक दूसर स अलग करैत अछि, हमरा आ अहां क बीच एहि अंतर कए कियो नहि मिटा सकैत छी, हम प्रकृति कए नहि बदलि सकैत छी । मुदा विषमता प्रकृतिक देन नहि अछि । लोक क मानसिकता बदलि कए समाज स छुआछूत मिटाउल जा सकैत अछि । विषमता क कारण आइ समाज मे सब कए समान अवसर नहि भेट रहल अछि । सबकए समान नजरि स देखबा लेल सरकार क नीति क आलोचना करैत श्री पाठक कहला जे ज्योतिषक काज केनिहार कए गाय देला स कोनो फायदा नहि अछि, ओकरा गाय स बेसी पंचांग क जरुरत अछि, मुदा लंदन मे पढल नौकरशाह दिल्ली मे जे समान अवसर देबाक योजना तैयार करैत छथि ओहि मे सबकए गाय देबाक प्रावधान क दैत अछि । समान अवसर देबा मे धर्म बा जाति क भेद नहि, बल्कि ओकर जरुरत देखबाक नीति हेबाक चाही । बिहार रिसर्च सोसायटी के सभागार मे आयोजित एहि कार्यक्रम मे श्री पाठक कहला जे समाज मे विषमता कए दूर करबा लेल कोनो एक वर्ग कए तिरस्कार क दोसर कए ओकर समान नहि बनाउल जा सकैत अछि । दूनू कए संग अगर बैसेबाक अछि त इ शांति आ समझौता स संभव अछि । आइ एकटा वाल्मिकी समाज क महिला अगर एकटा क्षत्रिय मंत्री राजनाथ सिंह कए अपन आठि खुएबाक हिम्मत देखा रहल अछि त इ सब शांति आ समझौता स संभव भ सकल अछि । इ बदलाव सामान्य सोच क परे अछि । एहन बदलाव अहिंसा टा स संभव अछि । जे सुधार समाज क हर वर्ग स्वीकार करे, वैह सुधार युग बदलि सकैत अछि, विषमता दूर क सकैत अछि । गांधीवाद क चर्चा करैत श्री पाठक कहला जे गांधीवाद हुनकर खादी, मांस निषेद बा बकरीक दूध मे नहि अछि । इ सब तत्व हमरा आ गांधी मे अंतर करैत अछि । गांधीवाद गांधी क विचार कए आत्मसात करब अछि । सुलभ आंदोलन गांधी क विचार कए आत्मसात केलक आ हुनकर विचार क सबस पैघ व्यावहारिक प्रयोग केलक । हम अहिंसा स पांच हजार साल पुरान प्रथा कए खत्म क देल । आइ सुलभ क प्रयास स 80 फीसद अछूत मुख्यधारा मे शामिल कैल जा चुकल अछि । जे हुनका छूबा स परहेज करैत छल, ओ आइ हुनकर बनाउल भोजन खा रहल अछि । श्री पाठक कहला जे कोनो समस्या क अध्ययन क उपसंहार तखन होइत अछि जखन अहां ओकर व्यावहारिक निराकरण करैत छी । किताब मे लिखब आ शोध पत्र से आगू समाज मे जमीन पर ओकर उतारबा लेल हम सुलभ क खोज कैल । अगर सुलभ शौचालय क खोज नहि भेल रहितए त आइ गांधी क इ सपना पूरा नहि भ सकैत छल । हम समस्याक निराकरण लेल तकनीक तकलहुं आ अछूत क आगू अवसर आ विकल्प रखलहुं । समाज क अन्य वर्ग जेकां आकर सेहो संस्कार देलहुं । ओ आब पढाई क रहल अछि, मंदिर जा रहल अछि, भोजन पका रहल अछि । जेना हम अहां जीव रहल छी, तहिना ओ सेहो जीव रहल अछि । इ सबकिछु एहि लेल भेल किया त जाहि कारण स हुनका मे आ समाज क अन्य वर्ग मे विषमता छल हम ओहि कारण कए समाप्त करबा लेल तकनीक क सहारा लेलहुं । जखन ओ कारण खत्म भ गेल, त फेर विषमता सेहो अपने आप खत्म भ गेल । एहि स पहिने श्री पाठक क पुष्पगुच्छ स पटना संग्रहालय क निदेशक जेपीएन सिंह स्वागत केलथि । तदुपरांत स्वागत भाषण दैत मैथिली साहित्य संस्थान क अध्यक्ष इंद्रकांत झा कहला जे इ खुशी क गप जे श्री पाठक आइ हमरा सबहक बीच छथि । श्री पाठक बिहारक आ खास क मिथिलाक एहन पुत्र छथि जे दुनिया भरि मे एहन काज लेल प्रसिद्ध छथि जे काज पांच हजार वर्ष स कियो नहि क सकल छल । अपन अध्यक्षीय भाषण मे प्रसिद्ध समाजशास्त्री डा0 हेतुकर झा कहला जे श्री पाठक सन लोक कए सुनब किछु ने किछु नव जानकारी प्राप्त करब अछि । श्री पाठक मैथिली साहित्य संस्थान मे आबि एहि संस्थान कए अंतर्राष्ट्रीयता प्रदान क देलथि । धन्यवाद ज्ञापन करैत बिहार रिसर्च सोसाइटी क शोध सहायक डॉ0 शिवकुमार मिश्र कहला जे मैथिली साहित्य संस्थान क जखन स्थापना भेल छल तखन दरभंगा क कुमार शुभेश्वर सिंह, लक्ष्मीपति सिंह, जस्टिस सुशील कुमार झा जइसन लोक एकर संरक्षक छलाह । आइ ओहन लोकक समाज मे कमी देखि रहल छी। एहन मे डॉ0 पाठक अगर संस्थान क संरक्षक क भूमिका स्वीकार करतथि त इ सामाजिक विकास लेल एकटा पैघ आयाम खुलत । मंच का संचालन संस्थान क सचिव भैरव लाल दास केलथि । श्री दास अपन संबोधन मे सूचिता पर विश्वस्तर पर भेल काज क संग संग श्री पाठकक काज पर सेहो प्रकाश देलथि । एहि अवसर पर सभागार पूरा भरल छल ।
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