‘पालिटिकल तंदुर’ मे ‘ब्लड ब्रेड’ ब्रह्मेश्वर सिंह क हत्या क बाद अचानक कई किस्म क जीव-जंतु सक्रिय भ गेल। उपद्रवी कए मौका भेटल/देल गेल। पूरा दृश्य किछु एहि प्रकार क अछि, मानू राजनीतिक तंदुर मे सब ‘खून स सनल रोटी’ सेंक रहल छथि। बिहार क भविष्य क राजनीति क समीकरण क सेहो ताना-बाना बुनब शुरू भ चुकल अछि। हम इ फेर दोहरेबाक स्थिति मे छी जे ब्रह्मेश्वर क हत्या मे कोनो नक्सली संगठन क हाथ नहि अछि। नक्सली एतबा कायर नहि होइत छथि। हत्या क बाद ओ पोस्टर-पंपलेट छोडैत छथि आओर गर्वोक्ति क संग जिम्मेवारी स्वीकार करैत छथि। ताहि लेल हमरा इ हरगिज नहि लगैत अछि जे एहि खून क बदला मे कोना संहार होएत । बावजूद एकर यदि एहन किछु होइत अछि त इ मानि लेल जाए जे एहि कत्ल क पाछु पैघ रणनीति अछि। एहि प्रकारक रणनीति बिना राजनीतिक मकसद क नहि होइत अछि। ओना हत्या मे कोनो लग क अथवा पुरान मित्र क हाथ हेबाक आशंका हमरा बेसी बुझा रहल अछि । परिजन त जदयू क बाहुबली विधायक सुनील पांडेय पर आरोप मढलथि, मुदा प्राथमिकी मे नामजद नहि केलथि। एहि पर अनुसंधान क दौरान गौर कैल जाएत जे दूनू क बीच की एहन कोनो गंभीर खुंदक छल। ओना भोजपुर क राजनीति क ज्ञान स कहि सकैत छी जे हत्याक बाद एखन जे एतबा ज्वार भड़लि अछि, ओ फौरी प्रतिक्रिया अवश्य छी,मुदा सुनील पांडेय क रास्ता मे ब्रहमेश्वर एतबा पैघ चैलेंज नहि छलाह। मुदा एकटा गप आओर, सुनील पांडेय क पिनक कए बुझब सेहो एतबा आसान नहि अछि।। सक्षम त ओ छथि। माओवादी क घनघोर प्रभाववाला एकटा प्रदेश मे लोहा ल रहल सीआरपीएफ पैघ अधिकारी सेहो निजी गपशप मे ब्रह्मेश्वर क हत्या स मर्माहत देखेलाह। हुनकर कहब छल जे एकटा ‘संतुलन’ खत्म भ गेल। ओ साफ तौर पर कहला जे बिहार मे नरसंहार क जे सिलसिला बंद भेल, ओहि मे एहि ‘संतुलन’ क पैघ भूमिका रहल । ‘अहां मारब म हमहु मारि देब’ क भय पैघ होइत अछि,जेकर परिणति नुका कए सही मुदा युद्धविराम क समझौता होइत अछि। ओ मानैत छथि जे बिहार मे सेहो एहने भेल छल। ताज्जुब त एहि गपक अछि जे इ गप कहनिहार अधिकारी सेहो सर्वहारा समाज स अबैत छथि आ बिहार क रहनिहार छथि। इ सही अछि जे हत्या क बाद नीतीश सरकार बेबसी क स्थिति मे देखायल आ उपद्रवी क खिलाफ कार्रवाई न हेबाक वजह आधार वोट क चिंता बनल। याद करू एनडीए-वन क ताजपोशी क दिन कए। पहिने लालू क राज मे जतए ‘भूरा बाल साफ करो’ क नारा क प्रचलन छल, ओतहि नीतीश क कुर्सी पर बैसैत कहल गेल-‘कुर्मी कए ताज,भूमिहार क राज ।’ वोट क ध्रुवीकरण सेहो चुनाव मे किछु एहने भेल छल। पंद्रह साल तक बैरक मे पडल अधिकारी रातोंरात मेनस्ट्रीम मे लौट एलाह। नीतीश सरकार क एहि उपलब्धि स कतई इनकार नहि कैल जा सकैत अछि जे राज्य क चौपट विधि-व्यवस्था सुधरज, इमेज बदलल आ काज सेहो शुरु भेल । मुदा एनडीए-टू मे इंपैक्ट आ गवर्नेंस क कनि अभाव देखल जा रहल अछि, इ सेहो सत्य अछि । पिछला किछु मास स अपराध सेहो बढैत जा रहल अछि। एहि बीच ब्रह्मेश्वर सिंह क भेल हत्या स पूरा देश कए एहन बुझा रहल अछि जे बिहार पुरान वैभव कए प्राप्त करै जा रहल अछि। ओना एतबा जल्दी इ सोचि लेब हमर हिसाब स एखन कोनो नजरि स ठीक नहि अछि। ब्रह्मेश्वर क हत्या क बाद सबटा राजनीतिक दल क चरित्र सेहो भयावह तरीका स दिखबा लेल भेटल। परिणाम भेल जे उपद्रवी क मनोबल बढैत चल गेल। जदयू नजाकत आ अपन अतिपिछडा-महादलित वोट क चिंता क जतए चुप्पी साधि लेलक, ओतहि भाजपा अपन एहि आधार वोट कए जनैत ब्रह्मेश्वर क तुलना गांधी तक स क देलक। ओना भाजपा कए इ महिमामंडन सेहो काज नहि आयल, पार्टी क प्रदेश अध्यक्ष सीपी ठाकुर आ विधायक अनिल कुमार शव-यात्रा मे शामिल हेबा लेल पहुंचला पर धुना गेलाह। पुर्नपहचान/गगा लगेबा मे लागल लालू प्रसाद सेहो पैंतरा बदलि लेलाह। अपन प्रति अगडा क तामस शांत करबाक लेल ओ एहन किछु नहि कहला जे ब्रह्मेश्वर क बारे मे अपन राजपाट क समय बजैत छलाह। सच कहू त ब्रह्मेश्वर क तारीफ लालू पहिल बेर करैत देखेलाह। मौका क हिसाब स चलनिहार रामविलास पासवान सेहो लालू स सुर मिला लेलथि। शक्तिहीन कांग्रेस कतए पाछु रहितए। दिल्ली स केंद्रीय गृह सचिव राजकुमार सिंह सेहो तुरंत पहुंच गेलाह। एहि सब राजनीतिक हरकत क बीच सरकार आ पुलिस सब कात स घिर गेल छल। सरकार कए लागल जे किछु नुकसान आ बदनामी सही, एक-दू दिन मे तामस अपने शांत भ जाए से नीक। लाठी-गोली क कार्रवाई किया, एहि स त माहौल आओर बिगड़त। एहि लेल सेहो इ दाबा क संग कहि सकैत छी जे उपद्रवी क पहचान लेल मीडियाकर्मी स डीजीपी अभयानंद भले फुटेज मांगि रहल छथि मुदा कार्रवाई किछु नहि होएत, किया जे सब किछु बेस वोट स जुडल अछि।
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