मुंबई बिहार क लोक लेल पसंदीदा जगह नहि
गरीब मराठी कए सेहो बिहारी बता रहल छथि राज ठाकरे
माधवी राजाध्यक्ष
मुंबई। एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे क दाबा क पोल खुलि गेल अछि। ताजा सरकारी आंकडा क अनुसार मुंबई बिहारक लोक लेल पसंदीदा महानगर नहि अछि आ मुंबई मे ज्यादातर ‘बाहरी लोक’ कोनो आन राज्य क नहि, बल्कि महाराष्ट्र क दोसर हिस्सा स अबैत छथि। नैशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन ( NSSO) क 64म राउंड क डेटा स पता चलैत अछि जे मुंबई मे बाहर स आबि रहल लोक मे स करीब 70 फीसदी केवल महाराष्ट्र क गाम स आबि रहल लोक अछि।
आंकडा क मुताबिक बिहार, उत्तर प्रदेश या ओडिशा सन दोसर राज्य क शहरी इलाका स महाराष्ट्र क कोनो शहर मे अगर एकटा प्रवासी अबैत अछि त महाराष्ट्र क बाकी हिस्सा स 3टा लोक अबैत अछि। ठीक एहने गप गाम पर सेहो लागू होइत अछि। महाराष्ट्र मे शहरी इलाका क 1,000 प्रवासी मे स 370 महाराष्ट्र क गाम स अबैत छथि। जखन कि 198 राज्य क सीमा स लागल गाम स अबैत छथि। आंकड़ों स इ सेहो पता चलैत अछि जे बिहारी प्रवासी क मुद्दा बढ़ा-चढ़ाकए पेश कैल गेल अछि। इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन डिवेलपमेंट क अमृता दत्ता लेबर मार्केट क अध्ययनक बाद कहलथि जे मुंबई बिहार क लोक लेल आब पसंदीदा जगह नहि रहल। ‘दिल्ली-एनसीआर 25.4 फीसदी प्रवासी क संग सबस ऊपर अछि। एकर बाद पंजाब 21.2 फीसदी अछि। महाराष्ट्र मे त महज 8.5 फीसदी प्रवासी रहि रहल छथि।
टाइम्स ऑफ इंडिया रिपोर्ट क सीरीज मे एहि ट्रेंड कए पहिने सेहो देखबैत रहल अछि। 17 फरवरी, 2008 कए इ अखबार NSSO क आंकडा क हवाले स कहने छल जे महाराष्ट्र क शहरी इलाका मे 67.6 फीसदी प्रवासी राज्य क दोसर हिस्सा स अबैत छथि। 5 नवम्बर, 2008 कए अखबार TISS ( टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़) क डेटा क हवाले स कहने छल जे मुंबई मे आबि रहल 2.4 लाख लोक महाराष्ट्र दोसर हिस्सा स आबि रहल छथि।
आंकडा स इ सेहो पता चलैत अछि जे माइग्रेशन केवल नौकरी लेल नहि भ रहल अछि जेना कि राजनीतिक दल बता रहल छथि। महाराष्ट्र क शहरी इलाका मे 1,000 प्रवासी मे स 538, खासकए महिला, त ब्याह क कारण स आबि रहल छथि। एहि संबंध मे TISS क माइग्रेशन एक्सपर्ट डीपी सिंह कहला, ‘सबटा दिक्कत लेल प्रवासी कए जिम्मेदार बताकए चर्चा मे बनल रहब नेता लोकनि लेल आसान अछि। मुदा इ सवाल पूछल जेबाक चाही जे लोकल माइग्रेंट्स कए दल सब केतबा रोजगार दैत अछि।’ हुनकर मुताबिक 1960 क दशक मे मुंबई स सटल इलाका रत्नागिरि आ सिंधुदुर्ग स पैघ संख्या मे लोक आएल छलाह। ओ कहैत छथि, ‘मराठवाड़ा मे लंबा समय तक दिक्कत आ बेरोजगारी क वजह स ओहि ठाम स सेहो बहुत लोक मुंबई एलाह अछि।’
कपड़ा मिल कए बंद भेला स आ नवका कोनो इंडस्ट्रीज़ नहि लगबा स मुंबई मे रोजगार क अवसर काफी तेजी स घटल अछि। आंकडा स पता चलैत अछि जे मुंबई क मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर मे रोजगार 1961 मे 41 फीसदी स घटि कए 2001 मे 20 फीसदी रहि गेल। डीपी सिंह कहैत छथि जे कंस्ट्रक्शन एकटा ऐहन एरिया अछि जतए एखनो मजदूर क आवश्यकता अछि। जनसांख्यिकी विशेषज्ञ क मानब अछि जे मुंबई मे पॉप्युलेशन ग्रोथ खसला स एहन लगैत अछि जे माइग्रेशन या त खसल अछि बा स्थिर भ जाएत।
साभार : इकोनमिक्स टाइम्स
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