सुनील कुमार झा
नई दिल्ली । रविदिन मैथिली आ मिथिला लेल ऐतिहासिक दिन छल। एहि साल पहिल बेर जयपुर साहित्योत्सव मे मैथिली कए शामिल कैल गेल। महोत्सव मे मैथिली क थीम छल “एक भाषा हुआ करती हैं”। करीब 17 टा भारतीय भाषा क बीच मैथिली कए शामिल करब मिथिला लेल गौरव क गप रहल। एहि आयोजन मे मैथिली क प्रतिधिनित्व केलथि मैथिली क जानल मानल विद्वान उदय नारायण सिंह ‘नचिकेता’, विभा रानी आ तारानंद वियोगी। ओतहि एहि सत्र कए मोडरेटर छलाह एनडीटीवी क प्रख्यात विमर्शकार रवीश कुमार।
मैथिली साहित्य क जीवंत परम्परा आओर समकालीन लेखन क प्रवृत्ति क संग संग मिथिला आओर एकर सांस्कृतिक निजता पर विस्तार स चर्चा भेल। पहिल सत्र मे मिथिला, मैथिली आ मैथिली साहित्य की अछि एहि पर विस्तार से चर्चा भेल। तेकर बाद मैथिली साहित्य कतेक पुरान अछि आ एकर प्रादुभाव कहिया भेल ताहि पर चर्चा भेल। एहि पर चर्चा करैत विभा रानी कहलथि जे मैथिली साहित्य करीब 1200 वर्ष पुरान अछि आ विद्यापति एकर अगुवा छथि। विद्यापति समेत अनेक कवि आ साहित्यकार क नाम लैत मैथिली क इतिहास पर विस्तार स चर्चा भेल। सभागार मे बैसल सब गोटे अचंभित छलथि जे मैथिली साहित्य क इतिहास एतबा पुरान रहितो इ जीवंतता त रखने अछि मुदा विस्तार शिथिल अछि।। सब गोटे एक स्वर मे यैह कहैत रहलाह जे एतेक पैघ आ पुरान साहित्य स देश एखनहुं वंचित अछि। देशक सबस प्रतिष्ठित साहित्य मेला मे मैथिली क आगमन कए सब स्वागत के लक आ कहलक जे आइ धरि एहन साहित्य स अवगत नहि भ सकल छलहुं।
मैथिली साहित्य मे महिला क स्थिति पर चर्चा करैत विभा रानी कहलथि जे मैथिली साहित्य मे महिला क स्थिति सीता क जीवन जेकां अछि । सीता पहिल महिला छलीह जे अपन पिता स शस्त्र आ शास्त्र क शिक्षा लेलथि। अपन माइ स शिक्षा ग्रहण केलथि आ हुनके दुनु स ज्ञान प्राप्त कए आइ जगत मे जगजननी क नाम स विख्यात भेलथि। विभाजी एकर बाद भारती क चर्च केलथि जे अपन ज्ञान स आ अपन पति क अर्धांगिनी बनैत शंकराचार्य स शास्त्रार्थ केलथि आ हुनका हरा देलथि। वर्तमान काल पर इजोत दैत विभाजी लिली रे क चर्चा करैत कहलथि जे ओ अपन साहित्य मे आधुनिकता क संग देश विदेश मे महिला क आगू बढेलथि।
मिथिला क महिला किया पाछु अछि ओ विश्व पटल पर किया नहि उभरि रहल अछि ताहि पर विभा रानी कहलथि जे मिथिला क महिला सीता क कारण चुप अछि। मिथिला क महिला क लोक सब दबा कए राखलक अछि। लोक सब मिथिला क महिला कए घर क दुहारि स बाहर आनब अपना हीनता बुझैत छल ताहि लेल महिला पाछु छल, मुदा आब समाज बदलि रहल अछि आ महिलाक स्थिति मे सुधार भ रहल अछि।
मिथिलाक सामाजिक स्थिति पर मैथिली साहित्य क भूमिका पर चर्च करैत विभा रानी विद्यापति क पद “पिया मोरा बालक हम तरुनी गे” क उदाहरण दैत कहलथि जे विद्यापति कोना बाल विवाह कए भर्त्सना करैत एहि पर विशेष प्रकाश देलथि अछि आ हुनकर प्रभाव छल जे आइ बाल विवाह मिथिला स उपटि गेल अछि। आन आन ढेर रास मसला पर गप करैत पहिला सत्र समाप्त भेल। साहित्योत्सव मे नचिकेता जी आ वियोगी जी सेहो अपन ज्ञान स मिथिला क महिमा मंडन केलथि आ देश-विदेश कए मैथिली आ मिथिला क साहित्य स अवगत करेलथि। कर्यक्रम क दोसर सत्र मे काव्य पाठ भेल जेकर शीर्षक छल “पोएट्रीवाला” जाही में विभा रानी संगे भूटान क सोनम दोरजी आ कर्नाटक क विक्रम सम्पत छलाह। एही मे विभा रानी विद्यापति क एकटा पदावली सुनेलथि आ श्रोता मंत्रमुग्ध भए एकर रसपान केलथि। श्रोता क उत्साह मैथिली क प्रति जे देखबा मे आयल से मिथिला मैथिली लेल गौरव क विषय रहल। पदावली क बाद कर्यक्रम समाप्ति क घोषणा भेल। एहि अवसर पर रवीश क चटपट गप आ हुनकर संचालनक तरीका श्रोता क सत्र स जोडने रहल। निश्चित एकटा नीक प्रयास एकटा नीक डंग आ मैथिली क एकटा आर पैघ उपलब्धि रहल इ साहित्य महोत्सव।
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‘के थीक मैथिल, की थीक मिथिला.. हम कहैत छी ओरे स; मिथिलावासी सुनु पिहानी, हम कहैत छी भोरे स’…..बारह सौ सालक इतिहास !!! आगा देखनाई आवश्यक थीक| यो, मैथिली भाषा त अपने एहन मीठ छैक जे एक बेर क्यों सुनि लेत, भने बुझो चाहे नई, ध्वनि के मिठास के अवश्य कायल भ जाएत|
..आहांक आलेख बड सुन्नर|साधुवाद लिए|
Great Works. Congrats!