मिथिलाक अंतिम स्वतंत्र राजा शिवसिंह क राजधानी समस्तीपुर आजादी स पूर्व मुगल आ अंग्रेज शासन क अधीन रहल। शिवसिंह क बाद इ इलाका बहुत दिन तक अनाथ रहल। बाद मे मुगल एकरा अपन अधीन केलक आ महेश ठाकुर क नेतृत्व मे तिरहुत सरकार क गठन भेल। मुदा जखन अंग्रेज सबस पहिने बंगाल पर जीत दर्ज केलक त तिरहुत सरकार अंग्रेजक अधीन भ गेल। 1857 क विद्रोह एहि इलाका मे देखार नहि भेल, कारण छल जे नेतृत्वकर्ता (तिरहुत सरकार लक्ष्मेश्वर सिंह)नाबालिग छलाह। मुदा गद्दी पर बैसलाक उपरांत युवा नेतृत्वकर्ता औद्योगिक क्रांति क सूत्रपात एहि ठाम स केलाह। आजादी क लड़ाई मे सेहो एहि इलाक क अहम योगदान रहल आ जमींदारी राज सबस पहिने एहि ठाम खत्म भेल। वामपंथ आ सरकारीकरण क नीति स ल कए उदारवाद क मनमोहनी नीति तक कोना समस्तीपुर मिथिलाक छवि आ भविष्य तय करैत रहल एहि पर गंभीर शोध क आवश्यकता अछि। एहन मे मुकुल सिंह झा क इ शोधपरक आलेख किछु जिज्ञासा कए जरूर शांत करैत अछि। —समदिया
उत्तर बिहार क औद्योगिक क्रांति आ औद्योगिक विनाश पर बहस बिना समस्तीपुर कए संभव नहि अछि। समस्तीपुर कहबा लेल दरभंगा प्रमंडलक एकटा जिला अछि, मुदा इ ओ जमीन अछि जे तमाम बाधाक बावजूद मिथिला मे औद्योगिक क्रांतिक सूत्रपात केलक। चाहे अंग्रेजी शासनक तिरहुत सरकार हुए बा भारतीय गणतंत्रक बिहार सरकार। जखन-जखन सरकारी नीति बदलल समस्तीपुर अपना कए ओहि नीतिक तहत बदलैत रहल। दरभंगा गजैट कहैत अछि जे समस्तीपुर जा धरि सरकारी नीति क संग अपना कए बदैलत रहल, विकास क अगुआ बनल रहल। मुदा जखन समस्तीपुर अपन इ प्रवृति बिसरि गेल, त आइ समस्तीपुर टा नहि पूरा मिथिला विकास स कोसो दूर भ गेल। एहन मे जा धरि समस्तीपुर अपना कए नहि बदलत ता धरि उम्मीद बेकार अछि जे मिथिला मे विकासक नव दुहारि खुलत।
इतिहासक पन्ना कहैत अछि जे उत्तर बिहार मे औद्योगिक क्रांति क सूत्रपात 19वीं शताब्दी क अंत मे भेल। इ मिथिला लेल मानव आ मशीन क बीच परिचय क काल छल। देश मे रेल माल आ बाजार क बीचक दूरी कम क रहल छल। देश मे रेल एलाक महज 20 साल बाद उत्तर बिहार मे रेलमार्ग क स्थापना सबसे पहिने समस्तीपुर मे भेल। मोहीउद्दीन नगर क सुल्तानपुर घाट स दलसिंहसराय होइत दरभंगा तक रेल पटरी बिछाउल गेल। तिरहुत स्टेट रेलवे इ रेल लाइन 1874 मे बिछेने छल। ओहि समय मे कोनो आन इलाका लेल इ एकटा सपना जेकां छल, मुदा समस्तीपुर वर्तमान स आगू भविष्य क बाट देख रहल छल। रेल पटरी बिछेबाक उद्देश्य अकालग्रस्त इलाका लेल खाद्य सामग्री सुगम रूप स पहुंचेबाक छल, मुदा स्थाई तौर पर 1875 मे दलसिंहसराय-समस्तीपुर-दरभंगा रेल लाइन क निर्माण क बाद इ माल आ बाजार क बीचक दूरी घटा देलक।
कोनो इलाका मे विकास लेल आधारभूत संरचना सबस जरूरी होइत अछि। एकर विकास सेहो समस्तीपुर मे सबस पहिने भेल। 1881 मे तिरहुत स्टेट रेलवे अपन रेल डिब्बा आ इंजन क रखरखाव आ मरम्मत लेल एहि ठाम रेलवे यांत्रिक कारखाना क स्थापना केलक।
दोसर विश्वयुद्ध क उपरांत उद्योग लेल बनल नव नीति क लाभ उठेनिहार इलाका मे समस्तीपुर सबस आगू रहल। खास क चीनी आ जूट उद्योग कए भेटल छूट क इ खूब फायदा लेलक आ एहि ठाम एहि दूनू उद्योग क स्थापना भेल। देश कए चीनी क मामला मे आत्मनिर्भर करबा मे एहि इलाका क महत्वपूर्ण योगदान अछि।
टूकड़ा टूकड़ा में लिखल गेल इतिहास स पता चलैत अछि जे मिथिला मे उद्योग क स्थापना क माहौल कहियो सुगम नहि रहल। एहि ठाम औद्योगिक क्रांति लेल दिमाग स बेसी भावना काज केलक। ताहि लेल फायदा स बेसी आत्मसंतोष आ माहौल तैयार करबाक उद्देश्य स दरभंगा राजघराना समस्तीपुर अनुमंडल क मुक्तापुर मे रामेश्वर जूट मिल क स्थापना केलक। माहौल नहि बनल या फायदा नहि भेल इ नहि कहल जा सकैत अछि, किया त एकर बाद दलसिंहसराय मे सिगरेट फैक्ट्री, समस्तीपुर आ हसनपुर मे चीनी मिल आ पूसा मे कृषि अनुसंधान केंद्र क स्थापना एहि क्षेत्र मे क महत्व कए स्वत: प्रमाणित करैत गेल। प्राकृतिक संसाधन आ मजदूर क उपलब्धता क संग पूंजी सेहो पहिने एहि इलाका कए आसानी स उपलब्ध छल। आजादीक उपरांत जमींदारी उन्मूलन सबस पहिने बिहार मे भेल, जेकर फायदा समस्तीपुर सबस पहिने उठेलक। डा कामेश्वर सिंह कए जमींदार स उद्योगपति बनबा मे समस्तीपुर मे कैल गेल निवेश महत्वपूर्ण भूमिका निभेलक। डा कामेश्वर सिंह जखन अपन निवेशक केंद्र समस्तीपुर कए बनेलथि त आन पूंजीपति सेहो एहि ठाम लेल आकर्षित भेल। जिला मुख्यालय स करीब तीन किलोमीटर दूर जितवारपुर (हसनपुर) मे स्थापित ठाकुर पेपर मिल एकर एकटा उदाहरण अछि। जमींदारी उन्मूलनक तत्काल बाद 1957 मे एहि मिल क स्थापना भेल छल। केंद्र आ बिहार सरकार जखन उद्योग क स्थापना लेल जगह क चयन शुरू केलक त सबस पहिल जमीन समस्तीपुर आ बेगूसराय क बीच बरौनी मे ताकल गेल आ ओहि ठाम सार्वजनिक उद्यम तेलशोधक कारखाना, थर्मल आ उर्वरक कारखानाक स्थापना भेल। निजी निवेशक लेल सेहो इ जमीन प्राथमिकता सूची मे रहल। 1960 मे एहि ठाम 32 करोड़ क लागत स ग्रेफाइट फैक्ट्री आ 8 करोड़ क लागत स आॅटो मोबाइल्स स्पेयर्स फैक्ट्री लगेबा लेल लगभग 50 एकड़ भूमि हरपुर एलौथ मे अर्जित कैल गेल। मुदा एक दिस जतए निजी निवेश जमीन पर उतरबा लेल तैयार भ रहल छल, त दोसर दिस वामपंथ उद्योगनीति कए प्रभावित करबा मे सफल भ रहल छल।
1975 मे मिथिला क सबस पैघ नेता ललित नारायण मिश्र क हत्या समस्तीपुर मे क देल गेल। ललित बाबू क हत्या क बाद समस्तीपुर नहि बल्कि पूरा मिथिलाक चालि आ चरित्र दूनू बदलि गेल। जेपी आंदोलनक बाद देश मे लागल आपातकाल कए वामपंथी दल समर्थन देलक जेकर बदला मे तत्कालीन कांग्रेस सरकार अपन आर्थिक नीति मे बदलाव केलक। सरकारी नीतिक संग समस्तीपुर एक बेर फेर अपना कए बदलि लेलक। निजी कारखाना क अधिग्रहण क शुरुआत एहि ठामक कारखाना स भेल। अगर आंकड़ा पर गौर करि त देशक कोनो इलाका मे निजी कारखाना क एहि प्रकार स अधिग्रहण नहि भेल जेना मिथिला मे कैल गेल। वाम क गढ बंगाल तक मे बिड़ला क जूट मिल क अधिग्रहण नहि भेल, मुदा समस्तीपुर मे जूट समेत सबटा मिल सरकार क हाथ मे चल गेल। दस्तावेज कहैत अछि जे वामपंथ क प्रभाव आ अधिग्रहण स पूर्व समस्तीपुरक अधिकतर कारखाना फायदा मे चलि रहल छल। स्थानीय लोक कए रोजगार उपलब्ध करेबा मे इ उद्योग सब मददगार साबित भ रहल छल, मुदा सरकारीकरण आ यूनियनबाजी एक-एक क सबटा मिल में जे ताला लटकेलक ओ आइ धरि नहि खोलल जा सकल अछि।
वामपंथ आ सरकारीकरण क नीति केवल समस्तीपुर मे नहि पूरा देश मे असफल रहल। देशक आर्थिक हालत खराब भ गेल। विकास दर जमीन पर आबि गेल। एहन मे नरसिंहराव सरकार उदारवाद अपना देशक बाजार खोलि देलथि आ एक बेर फेर निजी निवेशक युग शुरू भ गेल। विनिवेशक युग मे कईटा कारखाना निजी हाथ में सौंप देल गेल आ बंद मशीन जंग लगवा स पूर्व निजी प्रबंधन मे अपना कए पूणर्जिवित क लेलक, मुदा समस्तीपुर मे एहन नहि भ सकल। पिछला सवा सौ साल मे पहिल बेर समस्तीपुर सरकारी नीतिक संग अपना कए नहि बदललक आ बदलावक फायदा नहि उठा सकल। कारण रहल जे 70 क दशक मे भेल बदलाव आन बेर स भिन्न छल। संपूर्ण क्रांति आ सामाजिक न्याय क बीच आर्थिक विकास स्थानीय नेतृत्वक प्राथमिकता सूची स हटैत गेल। जेकर प्रभाव रहल जे जतए आन इलाका मे बंद मिल क प्रबंधन निजी उद्यमी क हाथ सौंपल जा रहल छल, ओतहि समस्तीपुर मे तत्कालीन सरकार क प्रभावशाली लोक बंद मिल कए जाति आ वर्ग क निशानी मानि ओकर कलपुर्जा कबाडी क हाथ स बेचबा लेल प्रयासरत रहलाह। मिलक जमीन पर अतिक्रमण क छूट द देल गेल। ग्रेफाइट फैक्ट्री आ आॅटो मोबाइल्स स्पेयर्स फैक्ट्री क लगभग 50 एकड़ भूमि दरभंगा औद्योगिक विकास प्राधिकरण कए सौंप देल गेल। बाद मे प्राधिकरण इ जमीन खंड-खंड मे छोट-छोट ईकाई जेना फोम प्रोडक्ट्स, सीमेंट ह्यूम पाइप फैक्ट्री, प्रिंटिंग प्रेस आ इलेक्ट्रिक स्पेयर्स कारखाना आदि कए सौंप देलक, मुदा सबटा एक-एक क बंद भ गेल। समस्तीपुर चीनी मिल कई साल स बंद अछि।
देखल जाए त समस्तीपुर मे कहियो नेतृत्व कमजोर नहि रहल। जमींदारी युग मे कामेश्वर सिंह सबस प्रभावशाही जमींदार छलाह जे अपन प्रभाव क प्रयोग एहि इलाका मे औद्योगिक क्रांति करबा लेल खूब केलथि। आजादीक उपरांत सेहो एकटा सांसद क रूप मे ओ एहि ठाम निजी उद्यमी कए प्रोत्साहित आ संरक्षण देबा मे लागल रहलाह। हुनक निधनक बाद ललित नारायण मिश्र आ कर्पूरी ठाकुर एहि इलाका क विकास मे लागल रहलाह। वाम धारा आ सरकारीकरणक युग मे सेहो एहि इलाका मे नेतृत्व संकट नहि रहल, जेकर प्रमाण अछि जे मिलअधिग्रहणक कोनो राजनीतिक विरोध नहि भेल। आपातकालक उपरांत बिहार मे बनल पहिल गैर कांग्रेसी सरकारक मुखिया कर्पूरी ठाकुर जरूर भेलाह, मुदा हुनक प्राथमिकता मे उद्योग नहि छल, दोसर जे हुनका समय सेहो कम भेटल।
90 क दशक मे जखन देश मे उदारवाद आयल तखन जरूर समस्तीपुर कए नेतृत्व क पहिल बेर अभाव खटकल। दरअसल 90 क दशक मे समस्तीपुर पूर्व जेका अपना कए सरकारी नीति क संग नहि बदलि सकल। समय रहैत मिलक विनिवेश नहि भ सकल मिल जर्जर होइत गेल। मशीनक जंग एतबा मोट होइत गेल जे आइ ओकरा फेर स चालू करब असंभव भ चुकल अछि।
स्थानीय नेता क प्राथमिकता सूची मे आर्थिक विकास नहि रहबाक कारण उदारवाद क रेल समस्तीपुर सबस पाछु पहुंचल। पिछला सवा सौ साल मे कोनो सरकारी नीतिक रेल एतबा देरी स समस्तीपुर नहि पहुंचल छल। पूरा देश जखन उदारवाद क फायदा उठा लेलक तखन समस्तीपुर एकर नफा-नुकसान बुझबा मे लागल अछि। नीतीश कुमार क सरकार काफी प्रयासरत अछि, मुदा इलाका क राजनीतिज्ञ क कमजोर इच्छाशक्ति आइ सबस पैघ बाधा बनि गेल अछि। कहबा लेल आइ जिला क दसटा विधानसभा क्षेत्र मे स आठटा पर जद-यू आ भाजपा क कब्जा अछि, जखनकि दूटा पर राजद क कब्जा अछि। जिला क दूनू लोकसभा सीट पर जद-यू क कब्जा अछि। बिहार विधान परिषद मे सेहो एहि जिला क दूटा प्रतिनिधि छथि। एकटा राजद स आ दोसर जद-यू स।
सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र स जद-यू क टिकट पर चुनाव जीतनिहार वर्तमान जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी कहबा लेल राज्य क प्रभावशाली मंत्री छथि मुदा समस्तीपुर कए हिनका स कोनो प्रकारक फायदा नहि भेटल। भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कपूर्री ठाकुर क पुत्र रामनाथ ठाकुर दस साल तक समस्तीपुर विधानसभा क्षेत्र क प्रतिनिधित्व केलथि। एक बेर ओ बिहार विधान परिषद क सदस्य सेहो भेलाह। लालू प्रसाद यादव क सरकार मे ओ उद्योग राज्य मंत्री सेहो भेलथि आ नीतीश कुमार क सरकार मे राजस्व आ भूमि सुधार मंत्री, विधि, सूचना आ जनसंपर्क मंत्री क कुर्सी पर पांच साल तक विराजमान रहलाह, मुदा ठाकुर समस्तीपुर क औद्योगिक विकास लेल नहि त कहियो चिंतित भेलाह आ नहि त कहियो जनता हुनका स एहन अपेक्षा केलक। उद्योग मंत्री रहैत ओ नहि त मोहनपुर मे गे्रफाइट कारखाना खुलबा सकलाह आ नहिये समस्तीपुर चीनी मिल आ ठाकुर पेपर मिल चालू करबा लेल कोनो प्रयास केलथि। वर्तमान उद्योगमंत्री रेणु कुशवाहा एहि जिलाक प्रभारी मंत्री छथि, मुदा हुनक जिलाक प्रति इच्छाशक्ति देख एकरा दुर्भाग्य कही त गलत नहि होएत। स्थानीय नेतृत्व क इच्छाशक्ति क अभाव स राज्यटा नहि केंद्र सेहो एहि इलाका संग व्यवहार बदलि लेलक अछि। आजादी स पूर्व स्थापित रेल कारखाना कए देखनिहार आइ कियो नहि अछि। एहि ठाम क पुरान कारखाना मे आब कोनो डिब्बा आ इंजन क मरम्मत क काज नहि होइत अछि। जखनकि पहिने एमजी क इंजन आ वैगन क मरम्मत (पीओएच) होइत छल। एखन ओना वर्तमान बड़ी लाइन क बाक्सन-एचएल वैगन क निर्माण भ रहल अछि, मुदा ओ सेहो स्पेयर पार्ट्स क अभाव मे बाधित होइत रहैत अछि। सवाल अछि जाहि ठाम सबस पहिने आधारभूत संरचनाक विकास भेल आखिर आइ किया आ कोना ओ आधारभूत संरचनाक अभाव झेल रहल अछि।
सवाल एक बेर फेर यैह उठैत अछि जे समस्तीपुर केना बदलत। प्राकृतिक संसाधन आ मजदूर क उपलब्धता त एखनो जिला मे पहिने जेकां अछि, पहिने जेकां नहि अछि त डा कामेश्वर सिंह सन पूंजी आ नेतृत्वकर्ता जे अपने टा निवेश नहि करैत छल, बल्कि आन उद्यमी कए सेहो एहि इलाका मे निवेश करबा लेल प्रोत्साहित कैरत छल। आजुक नेतृत्वकर्ता डा कामेश्वर सिंह जेकां पूंजी निवेश त नहि क सकैत छथि मुदा हुनका जेकां आन उद्यमी कए एहि इलाका मे निवेश करबा लेल प्रोत्साहित त क सकैत छथि। की एतबो काज क उम्मीद आजुक नेतृत्वकर्ता स नहि कैल जा सकैत अछि। किया त जा धरि समस्तीपुर अपना कए नहि बदलत ता धरि उम्मीद बेकार अछि जे मिथिला मे विकासक नव दुहारि खुलत।
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