मनीष झा “बौआभाइ’‘
नई दिल्ली : अखिल भारतीय मिथिला संघ, दिल्ली केर तत्त्वाधान में आयोजित दू दिवसीय मिथिला महोत्सव रविदिन यानी १७ नवम्बर २०१३ क’ सफलतापूर्वक संपन्न भेल।ज्ञात हो कि कार्तिक धवल त्रयोदशी तदनुसार शनि दिन दिनांक १६ नवम्बर क’ पहिल दिन मावलंकर हॉल,दिल्ली में दू सत्र मे मैथिलीक संस्कार,कला,संस्कृति,समाज आदि विषय पर संगोष्ठी आयोजित भेल जाहि मे आमंत्रित छलथि मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार -डा वीरेन्द्र मल्लिक,डा देवशंकर नवीन,डा अशोक अविचल,डा उषाकिरण खान,महेन्द्र मलंगिया,डा अयूब राइन,डा अजय झा,डा प्रेम शंकर सिंह,डा रामी झा,प्रवीण नारायण चौधरी,डा विद्यानाथ झा विदित,प्रदीप बिहारी,काश्यप कमल,डा अशोक कुमार मेहता आदि जे कि मैथिली कला संस्कृति केर वर्त्तमान,अतीत आ भविष्य पर अपन अपन मंतव्य रखलथि।
संगोष्ठी के पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रमक क्रम में जे गवैया आ गीतगाइन लोकनि अपन मंचोपस्थिति देलथि ताहि में मुख्य छलथि: रश्मि रानी,नन्द जी (नवल-नन्द),सुनील कुमार पवन,गुड्डी पाण्डे आदि। एहि पहिल दिनक आयोजन में दू टा बहुचर्चित राजनैतिक छवि शीला दीक्षित, मुख्यमंत्री, दिल्ली आ बेनीपट्टी क विधायक सह प्रवक्त्ता,बिहार बीजेपी क विनोद नारायण झा सेहो प्रेक्षक कए सम्बोधित केलथि। मैथिली साहित्य/संगीत क्षेत्रक दिग्गज कवि/गीतकार सियाराम झा सरस सेहो दर्शक क बेस मनोरंजन करोलथि। सांस्कृतिक कार्यक्रम क पश्चात रंगमण्डल, बेगूसराय दिस स’ अनिल पतंग लिखित आ मनोरंजन मधुकर निर्देशित लोक नाट्य जट-जटिन क प्रस्तुति सेहो अद्भुत छल।कार्यक्रमक अंतिम पड़ाव में मधुबनी जिलाक दीप गोधनपुर स’ आयल पमरिया आ ताहि समूह द्वारा प्रदर्शित पमरिया नाच प्रेक्षागृह मे उपस्थित प्रेक्षक क बान्हि रखबा मे निश्चितरूपेण सफल रहल। हॉल स बाहर विभिन्न प्रकारक स्टॉल सेहो बेस आकर्षित करैत छल जेना कि : कचरी-मुरही,तिलकोरक तरुआ,पथिया-मौनी,अदौरी-दनौरी,मिथिला पेन्टिंग आ मैथिलीक पुस्तक,मैथिली कैसेट्स आ पत्रिका आदि क स्टॉल।
दोसर दिन यानी १७ नवम्बर २०१३ केर आयोजन हेतु स्थान चयनित छल हिन्दी भवन,दिल्ली, जाहि मे मलंगिया आर्ट्स क प्रस्तुति आ अखिल भारतीय मिथिला संघ क संयोजकत्व मे आयोजित भेल “मिथिला फ़िल्म फेस्टिवल”। एहि फ़िल्म फेस्टिवल हेतु क़रीब तीन दर्जन स’ बेसी फ़िल्म प्रस्तावित छल मुदा समयाभाव मे किछुए फ़िल्म प्रदर्शित भेल । प्रदर्शित भेल फ़िल्म मे मैथिल समाजक समस्या पर आधारित फ़िल्म “अफवाह” (लघुफिल्म), निर्देशक-पूर्णेन्दु कुमार झा । “मिथिलाक संस्कार गीत”(वृत्तचित्र), निर्देशक-कुणाल । “मिथिलाक परम्परा”(वृत्तचित्र), निर्माता-कौशलेश चौधरी,निर्देशक-कुणाल। “प्रतिवादी चेतना का लैम्प पोस्ट : राजकमल चौधरी”, निर्देशक-मनोज श्रीपति आ अंत में प्रदर्शित भेल बाल मनोविज्ञान आ बली प्रथा पर आधारित लघुफ़िल्म “रक्त तिलक” जकर निर्देशन केने छथि मनोज श्रीपति। उपरोक्त सभ फ़िल्म आ वृत्तचित्र पर उपस्थित विशेषज्ञ द्वारा सविस्तृत समीक्षा भेल आ एना कही जे महोत्सव पूर्ण सफल आ उद्देश्यपूरक रहल।
राजकमल चौधरीक वृत्तचित्रक प्रस्तुति के पश्चात आ समीक्षा स पूर्व किछु क्षण के लेल जेना मंच पर विषयांतर सन परिस्थिति बनि गेल छल मने ई कही जे समीक्षा स बेसी व्यवसायिक आ व्यवहारिक कटुता देखबा में आओल जे कि अंत में आरोप प्रत्यारोप सन भयंकर स्थिति बना गेल। राजकमल चौधरीक जीवन स जूड़ल हरेक जानकारीक संकलन उपलब्ध करौनिहार संकलनकर्ता डा देवशंकर नवीन केर ह्रदय में टीस दृष्टिगोचर होइत छल कारण सम्पूर्ण फ़िल्म में हुनक कतहु चर्चा मात्र नहि छनि आ प्रायः साहित्यकार संग ई बिडम्बना पूर्वहि स होइत आयल अछि जकर एक साक्ष्य महेन्द्र मलंगिया सेहो प्रस्तुत केलनि। दोसर दिस एहि वृत्तचित्रक निर्देशक मनोज श्रीपति अपन सफाई दैत एक दिस ई कहलनि जे जे ध्यान स देखल जाय त हम अपनहु नामक चर्चा नहि केने छी मुदा दोसर दिस इहो कहलनि जे एहि सहयोग के रूप मे हम हुनक यथोचित पारिश्रमिक दय देने छियनि। आब एहि ठाम एक विचारणीय प्रश्न ई जे कोनो साहित्यकार वा संकलनकर्ता के लेल किछु चंद पारिश्रमिक दय हुनक नामक उल्लेख वा चर्च नै करब हुनक सम्मान के लेल कतेक उचित?
समीक्षक मंडल में मुख्य छलथि डा देवशंकर नवीन,प्रदीप बिहारी,महेन्द्र मलंगिया,प्रकाश झा, अनिल मिश्रा,भवेश नंदन,अविनाश दास,डा वीरेंद्र मल्लिक,नीरज पाठक आदि। बहुचर्चित राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समीक्षक आ आलोचक अविनाश दास जे कि मोहल्ला लाइव के संपादक सेहो छथि । अविनाश दास मैथिली फिल्मक स्तर देखि कहियो ई स्वीकार नहि केलनि जे मैथिली फ़िल्म बज़ार में व्यावसायिक रूप ल सकैत अछि मुदा जखन “अफ़वाह” आ “रक्त तिलक” सनक लघुफिल्मक प्रस्तुतिकरण देखलथि त स्वीकार केलथि आ कहलथि जे हमरा ई स्वीकार करबा मे कनेको संकोच नहि होइयै जे हमर मैथिली फ़िल्म में मोन स काज कैल जाय त व्यासवसायिक रूप मे स्थापित भ’ सकैत अछि। समीक्षा केर क्रम मे अभिनेता अनिल मिश्रा कला क्षेत्र मे भ रहल भाइ-भतीजावाद पर आपति जतौलथि आ आग्रह केलथि जे प्रशिक्षित आ प्रतिभावान कलाकार क सोझा आनल जाय जाहि स मैथिली भाषाक फ़िल्म सेहो व्यवसायिक रूपे बज़ार में स्थापित भ सकै, संगहि मिथिला क्षेत्रक सिनेमा हॉल मालिक पर दूनेती के आरोप लगबैत कहलथि जे मैथिलीक अपेक्षा भोजपुरी क विशेष प्राथमिकता देल जाइत छैक ।
प्रेक्षागृह में उपस्थित छलथि फ़िल्म,रंगमंच,कला,साहित्य,समाज आदि स जूड़ल किछु चर्चित छवि जेना कि : विराटनगर स’ प्रवीण नारायण चौधरी (समाजसेवी आ साहित्यकार), सुनील कुमार पवन(लोकगायक),चन्दन झा(निर्देशक),कश्यप कमल(रंगकर्मी), कौशल कुमार(रंगकर्मी),विभय कुमार झा(समाजसेवी),संजय झा-नागदह(समाजसेवी), कवि एकांत झा राजीव (कवि/समाजसेवी) मुकेश झा(अभिनेता),राधाकांत झा(अभिनेता),विमल जी मिश्र(गीतकार),मनीष झा “बौआभाइ”(कवि/गीतकार),अनिल मिश्रा(अभिनेता),राजीव मिश्रा(रेकॉर्डिंग इंजीनियर),दीपक ठाकुर(संगीतकार),मिथिलेश झा(नृत्य निर्देशक) आदि।
अंत में अखिल भारतीय मिथिला संघ केर अध्यक्ष विजय चन्द्र झा एहि महोत्सव में सम्मिलित सभ विधाक कलाकार आ उपस्थित समस्त मैथिलजन केर आभार प्रकट केलथि। राजकमल चौधरी पर आधारित वृत्तचित्र क हिंदी भाषा मे प्रस्तुति पर आपति करैत कहलनि जे विगत ४५ बरखक आयोजन में एहेन पहिल बेर भेल जे एहि मंच पर कोनो न कोनो माध्यमे हिंदी मे प्रस्तुति भेल जे कि नीक गप्प नहि आ आगाँ एहेन नहि होय कारण एहि मंच क गरिमा अपन मातृभाषा ल क बाँचल छैक आ संगहि आह्वान केलथि जे विद्यापति पर्व स्मृति समारोह जेँका नागार्जुन,मणिपद्म आदि-आदि विद्वान सभक नाम पर सेहो आयोजन होय जाहि लेल अलग-अलग संस्था अलग-अलग व्यक्तिक जयंती मनाबथि त’ बेसी उत्तम।
एहि महोत्सवक आ आयोजनक मुख्य कर्ताधर्ता “मलंगिया आर्ट्स” क निदेशक ऋषि कुमार झा सफलतापूर्वक निष्पादन केलथि। सरस जीक गीत आ नन्द जीक समदाओनक संग समाप्त भेल मिथिला महोत्सवक।
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बहुत नीक वर्णन केलाह भेल मिथिला महोत्सवक मनीष झा “बौआ भाई ” . धन्यबाद बौआभाई केँ संगहि सहर्ष धन्यबादक पात्र छथि ऋषि जी ई महोत्सबक लेल क्रमबद्ध प्रायः तीन माह दिन – राति एक क हर कार्य के संयोजन विधिवत एहि तरहें केलाह जाहि में कतहु कनिकोटा उन्नीस -बीसक गुंजाइस नहि छल.पुनः एकबेर मिथिला महोत्सव मनेनिहार टीम के ढ़ेरी – ढाकी धन्यबाद !
bhadhiya kaaj bhel.
😉
बहुत सुन्नर… सब कियो उपस्थित छलाह आ सफल आयोजन भेल .. अप्पन लोक-अप्पन संस्कृति के लग स खूब देख्लों. मोन गद्द-गद्द भ गेल…
अपने के ढाकी-ढाकी धन्यवाद .
जय मिथिला जय मैथिलि !!