पटना । मधुबनी जिला क पुरातात्विक स्थल बलिराजगढ़ क खुदाई करेबा लेल दायर एकटा जनहित याचिका पर पटना हाइकोर्ट कहलक अछि जे एजेंसी लग एखन बहुत काज अछि, ताहि लेल तत्काल एहि ठाम खुदाई शुरु करब कठिन अछि, मुदा समय भेटला पर एकर खुदाई एजेंसी द्वारा कैल जाय। मैथिली साहित्य संस्थान ककार्यकारणी सदस्य सुनील कुमार कर्ण क दिस स दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करैत प्रभारी मुख्य न्यायाधीश कहला जे एहि ठाम भेटल वस्तु आ जतउल गेल संभावना स स्पष्ट अछि जे एखन आओर खुदाई क जरुरत अछि। एखन एहि ठाम स बहुत किछु बाहर आबि सकैत अछि। सरकार कए एकर खुदाई जारी रखबाक चाही। हाइकोर्ट क फैसला स असंतुष्ट याचिकाकर्ता क कहब अछि जे इ स्थल एहन नहि अछि जेकरा लेल एजेंसी कए समय निकालबाक जरुरत अछि। सरकार कए एकर खुदई प्राथमिकता आ महत्व कए देखैत तुरंत शुरु करेबाक चाही। श्री कर्ण एहि फैसला पर अपन प्रतिक्रिया दैत कहला अछि जे ओ शीघ्र एकटा पुनर्विचार याचिका एहि संबंध मे दायर करताह आ कोर्ट स आग्रह करताह जे एजेंसी कए खुदाई शुरु करबा लेल निदेर्शित कैल जाये।
श्री कर्ण कहला जे बलिराजगढ़ भारत क एहन ऐतिहासिक स्थल अछि जहिठााम एक संग चारिटा सभ्यता क अवशेष भेटल अछि। एहि ठाम अगर ढंग स उत्खनन हुए त विश्व सभ्यता पर नव इजोत पड़ब तय अछि। ओ कहला जे एजेंसी पहिने कहैत छल जे एहि ठाम स जे निकलबक छल जे निकलि लेल गेल, आब उत्खनन क कोनो जरुरत नहि अछि, मुदा कोर्ट मे मानलक अछि जे करीब 4500 साल क अवशेष भेटबाक संकेत विशेषज्ञ कए भेट चुकल अछि। एखन धरिक विश्व यैह जनैत अछि जे मिथिला जनक (राजा) क राजधानी नेपाल क जनकपुर मे अछि, मुदा पुरातात्विक साक्ष्य एकरा झूठ साबित क देलक अछि। जनकपुर क आसपास पांच सौ वर्ष स पुरान अवशेष नहि भेटल अछि। दोसर दिस, हिन्दू धर्मग्रंथ क अध्ययन स सेहो स्पष्ट हेइत अछि जे बलिराजगढ़ जनक क राजधानी छल। भारत सरकार क पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग 1938 स एहि साइट कए संरक्षित केने अछि आ इ साइट ओकर पहिल संरक्षित साइट अछि। एकर बावजूद एहि ठाम सतत उत्खनन नहि भेल। मिथिला नरेश महाराजा कामेश्वर सिंह क प्रयास स 1962 मे एहि ठाम पहिल बेर खुदाई भेल। मुदा हुनक निधन क बाद बंद भ गेल। फेर लोकप्रिय नेता ललित नारायण मिश्र क प्रयास स पुन: 1972-73 आ 74-75 मे राज्य सरकार खुदाई कराउल गेल। मुदा इ उत्खनन महज खानापूत्र्ति सिद्ध भेल। हाल मे बिहार क माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं एहि स्थल पर गेलाह आ भारत सरकार स उत्खनन लेल विशेष अनुरोध केलथि। ओकर बाद भारत सरकार द्वारा उत्खनन भेल मुदा एहि बेर सेहो महज खानापूत्र्ति।
बाबूबरही प्रखंड क पचरूखी गांव क निवासी, स्वतंत्रता सेनानी आ धरोहर सेनानी रामलखन झा एखन धरि क प्रयास कए नाकाफी मानैत छथि। ओ कुदाल सेना क अध्यक्ष सेहो छथि। ओ कहला अछि जे या त सरकार उत्खनन करए अथवा कुदाल सेना एहि भूखंड कए ‘तामÓ देत। ओ कहला जे उत्खनन भ जाये त हुनकर गाम विश्व इतिहास क महत्वपूर्ण केन्द्र बनि जाएत, एकटा महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनि जाएत आ मिथिला क गरीबी दूर करबा मे सहायक होएत।
जनकपुर क बदला मे एकरा जनक क राजधानी कहबाक संबंध मे बिहर रिसर्च सोसायटीक शोधकर्ता डॉ. शिवकुमार मिश्र क कहब अछि जे ककरो कहला या नहि कहला स इतिहास खास क पुरातत्विक इतिहास नहि लिखा सकैत अछि। एकरा सिद्ध करबा लेल पुरातात्विक साक्ष्य क जरुरत पडैत अछि आ ओ एकर पक्ष मे अछि। डॉ. शिवकुमार मिश्र कहला जे वाल्मीकी रामायण मे लिखल अछि जे विशालापुरी स राम, लक्ष्मण आ विश्वामित्र गौतम मुनि क आश्रम पहुंचलाह। ओहि ठाम स ओ सब ईशान कोण मे चलिकए जनक नगरी क यज्ञमण्डल पहुँचलाह। पुराण मे लिखल अछि जे गौतम आश्रम ब्रह्मपुर (जाले प्रखण्ड, जिला-दरभंगा) मे छल। ब्रह्मपुर स इशान कोण दिस विदा होई त आजुक तारीख मे बलिराजगढ़ पहुंचब। एहन समृद्ध पुरातात्विक स्थल ओहि दिशा मे आओर कोनो नहि अछि। जहां धरि जनकपुर क सवाल अछि त आधुनिक जनकपुर ब्रह्मपुर स उत्तर दिशा मे अछि नहि कि इशान कोण मे। एहन मे जनक नगरी बलिराजगढ़ मे हेबाक प्रचुर संभावना अछि। मुदा एहि लेल आओर उत्खनन आ शोध क जरुरत अछि। उत्खनन लेल कियो गंभीर नहि अछि। राम क जन्मस्थल, कृष्ण क द्वारिका नगरी आ हस्तिनापुर लेल बहुत वाद-विवाद भेल, मुदा सीता क जन्मस्थली आ जनक नगरी लेल कोनो चर्च नहि। ककरो बेचैनी नहि।