तटबंध बनला क बाद बढैत गेल बाढिग्रस्त इलाकाक क्षेत्रफल : पुष्यमित्र
सोमू आनंद
सुपौल । बाढ़ आओर बांध विशेषज्ञ नदी पुत्र दिनेश कुमार मिश्र कहला अछि जे हरेक साल बाढ़िक विभीषिका झेलनिहार कोसी क्षेत्र मे एकर स्थाई समाधान लेल ठोस राजनीतिक पहल जरुरी अछि। ओ कहलाह जे कोसी नदी क बाढ़ि भारत आओर नेपाल लेल पैघ राजनीतिक खींचतान क मुद्दा ज़रूर रहल अछि, मुदा दुनू तरफ़ से एकर स्थाई समाधान क कोशिश कम देखल गेल। एहि इलाका कए बाढ़ स निपटारा लेल देसी समाधानक जरुरत अछि।
श्री मिश्रा सुपौल क कालिकापुर मे कोसी प्रतिष्ठान क ‘कोसी के किसान’ सेमिनार कए संबोधित क रहल छलाह। सरकारी मुलाज़िम रहैत अपन अनुभव कए साझा करैत श्री मिश्र कहलाह जे आम तौर पर बाढ़िक समय सरकार खानापूर्ति मे जुटि जाएत अछि। राहत सामग्री क नाम पर एनजीओ क भूमिका पर किछु सवाल उठबैत मिश्र कहला जे इ बाढिक समाधान नहि छी। ओ कहला जे सरकारी स्तर पर सेहो बाढिक निदान खोजबा लेल जे कोशिश कैल गेल बा कैल जा रहल अछि, ओ तरीक़ा मे कैकटा खोट अछि। कोसी मे हरेक साल आबय बला बाढ़ि लेल श्री मिश्रा सरकारी नीति आओर लालफीताशाही कए ज़िम्मेदार ठहरेलथि। ओ कहलथि जे कोसी क्षेत्र मे बाढ़ि पर क़ाबू पाओल जा सकैत अछि, मुदा एहि लेल सरकार आओर सरकारी मुलाज़िम कए ज़िम्मेदारी आओर ईमानदारी स काज करय पड़त। बांध निर्माणक तौर-तरीका पर सेहो ओ सवाल उठेलथि। कोसी तटबंध क ऊंचाई कए ओ पूरा क्षेत्र लेल ख़तरनाक करार देलथि।
सेमिनार मे अपन विचार रखैत पत्रकार पुष्यमित्र आंकड़ा क ज़रिए ई कहलाह जे जाहि रफ़्तार से बिहार मे तटबंध बनल अछि, ओहि रफ़्तार से बाढ़िक चपेट मे आबय बला ज़मीन क मात्रा सेहो बढ़ैत गेल अछि। ओ तटबंध क उपयोगिता पर कैकटा सवाल उठेलथि । पुष्यमित्र कोसी कए डायन वा बिहार क शोक करार देल जेबा पर आपत्ति जाहिर केलथि आओर कहलाह जे कोसी कात रहनिहार लोग क मन मे कोसी क लेल इज़्ज़त क भाव अछि । पुष्यमित्र बाढ़ि क वजह स आबय बला उपजाऊ मिट्टी संगे मछली पालन मे बाढ़िक सकारात्मक भूमिका कए सेहो रेखांकित केलथि।
एहि दौरान पानिक मुद्दा पर लगातार सक्रिय रहनिहार रणजीव जी कहलथि जे कोसी इलाक़ा मे सामाजिक कार्यकर्ता क स्वीकार्यता नहि बनल अछि। ओ बाढ़ि आओर नदी क लेल इलाक़ा मे भेल संघर्ष सए लोग सबकए रूबरू करेलथि। रणजीव कहलथि जे धीरे-धीरे आब जलवायु परिवर्तन कए सोझ असर पैघ आपदाक रूप मे देखा रहल अछि। रामदेव सिंह कोसीक बाढ़िक कैकटा खिस्सा सुनेलथि आओर कहलथि जे सरकार कए एहि मामला मे संजीदगी से काज लेना चाही।
एहि अवसर पर मशहूर पत्रकार अरविंद मोहन सेहो बाढ़िक काल सरकारी महकमा आओर एनजीओ क बजाए स्थानीय लोग क हिस्सेदारी बढ़ेबा पर जोर देलथि। ओ कहलथि जे हरेक गाम मे नाव रखनिहार लोग कए सरकारी अनुदान भेटबा चाही ताकि आपदा काल ओ स्थानीय लोगक मदद करि सकय। ओ सरकारी योजना कए सही तरीक़ा स लागू करबाक ज़रूरत पर बल देलथि। अरविंद मोहन आईसीडीएस आओर मिड डे मील जेहन योजना क प्रशंसा त ज़रूर केलथि, मुदा इहो कहलथि जे मिड डे मील जेहन योजना मे ताज़ा खाना क बजाए पैकेटबंद खाना लागू करेबाक लेल पैघ कंपनी ज़ोर लगा रहल अछि, किएक ओ मोट कमाई कए सकय। अरविंद मोहन ई गप कए एकदम्मे नकारि देलथि जे चंद लोग कए अमीर बनेबाक फ़ायदा देशक बाक़ी ग़रीब कए भेटत। ओ कहलथि जे देश मे एहि स बिल्कुल उलट हालात पैदा भए गेल अछि आओर अमीर-ग़रीब क बीचक खाई आओर बढ़ैत जा रहल अछि। अरविंद मोहन मनरेगा कए ग़रीब क लेल नीक योजना बताबैत कहलाह जे एहि स मज़दूरी दर बढ़ेबा मे मदद भेटल अछि।
पत्रकार शंभू भद्रा कहलथि जे ग़रीब क लेल चलाओल जा रहल योजना से ग़रीबी क उन्मूलन नहि होएत, बल्कि एहिक लेल ग़रीब कए आत्मनिर्भर बनेबाक ज़रूरत अछि। ओ कैकटा राज्य मे दशक तक रहनिहार सरकार क हवाला दैत कहलाह जे कैकटा राजनीतिक पार्टी आओर मुख्यमंत्री अलग-अलग राज्य मे पैघ काल धरि शासन केलथि आओर जनता हुनका कैक बेर मौक़ा देलक, मुदा एकर बावजूद लोगक माली हालत पर एकर कोनो असर नहि पड़ल । एहि दौरान युवा शोधार्थी सुजीत कुमार सिन्हा कोसी प्रतिष्ठान दिस से स्थानीय स्तर पर कैल गेल सर्वेक्षण क ज़रिया ई बतेलथि जे कोना लोग सरकारी योजना स महरूम रहैत अछि । ओ कहलथि जे सरकार भ्रष्टाचार कए ‘योजना लागू करबा मे भेल देरी’ बताकए टालि देत अछि ।
पत्रकार दिलीप ख़ान सरकारी योजना मे हीला-हवाली कए कल्याणकारी राज्यक अवधारणा क ख़िलाफ़ बतेलक। ओ कहलाह जे एक दिस ग़रीब क लेल योजना चलाओल जाएत अछि आओर ठीक वैह काल सरकार ग़रीब क परिभाषा बदलिकए करोड़क करोड़ लोग कए ग़रीबी क दायरा से बाहर निकालि दैत अछि। एहि तरह, जिनका योजना क लाभ भेटबाक चाहि, ओ सरकारी बाज़ीगरी क शिकार भ कए एहि स वंचित रहि जाएत अछि। ओ कहलाह जे एहि पंचायत कए खुला मे शौच से मुक्त घोषित कैल जेबाक बावजूद 80 फ़ीसदी लोग आइयो मैदान मे जेबाक लेल मजबूर अछि। दिलीप ख़ान कहलथि जे देश क बाक़ी हिस्सों मे सेहो कमोबेश यैह कहानी अछि ।
सुपौल क कालिकापुर गांम मे चलि रहल एहि दू दिवसीय संगोष्ठी क पहिल दिन खेती-किसानी, बाढ़ि, शिक्षा आओर स्वास्थ्य जेहन तमाम बुनियादी मुद्दा पर देशक अलग-अलग हिस्सा से आएल विद्वान अपन बात राखलथि। सरकार दिस से खेती-किसानी पर बरतल जा रहल उदासीनता पर चिंता व्यक्त करैत देशक जानल-मानल पत्रकार अरविंद मोहन कहलथि जे एहि काल कृषि क्षेत्र गंभीर संकट से गुजैर रहल अछि। ओ कहलथि स्थिर-स्थिर पारंपरिक खेती लगातार विलुप्त होएत जा रहल अछि आओर पैघ पूंजीपति पश्चिमी देशक खेत कए संकट मे डालिकए किसानक ज़मीन अपने हड़पय चाहैत अछि। ओ कांट्रैक्ट फार्मिंग क नीति कए एकर बानगी करार देलक। कोसी प्रतिष्ठान क दू दिवसीय सेमिनार ‘कोसी के किसान’ क पहिल सत्रक वक्तव्य मे ओ कोसी अंचल मे किसान क दुर्दशा क लेल सरकारी नीति क जमिकए आलोचना केलथि। अरविंद मोहन कहलथि जे सरकार एक दिस न्यूनतम समर्थन मूल्य क ऐलान करैत अछि, मुदा ओकरा ज़मीन पर लागू करबाक क कोनो ठोस कोशिश नहि कैल जाएत अछि । ओ एकरा किसान संगे धोखा करार देलक। अरविंद मोहन कहलथि जे एकटा जमाना मे कोसी क्षेत्र ज़रूरी सामान क लेल आत्मनिर्भर छल, मुदा आब रोज़मर्रा क ज़रूरत क सामान लेल सेहो लोग कए बाहर क मुंह देखय पड़ैत अछि । ओ कहलथि जे नमक आओर मेवा (ड्राई फ्रूट्स) कए छोड़िकए बिहार क लोग पहिने सभटा सामान अपने बनाबैत छल, मुदा आब ई तस्वीर बदैल गेल। ओ कोसी आओर बिहार स बाहरी राज्य आओर विदेशों मे भए रहल पलायन पर सेहो चिंता जतौलथि। अरविंद मोहन कहलथि जे सरकार लोग कए रोज़गार क बुनियादी साधन धरि मुहैया नहि करेलक आओर यैह वजह से लोग मजबूरन बाहर जेबा लेल अभिशप्त अछि।
कृषि विशेषज्ञ डी एन ठाकुर कहलथि जे किसान क आर्थिक हैसियत लगातार कमज़ोर होएत जा रहल अछि । ओ कहलथि जे खेती क दम पर किसान क लेल बैंक क़र्ज़ चुकायब मुमकिन नहि रहि गेल अछि। श्री ठाकुर कहलथि जे सरकारी दावा क बावजूद किसान एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर फ़सल बेचबा मे क़ामयाब नहि भए पबैत अछि । ओ कहलथि जे कोसी क किसान कए एकजुट भकए खेती मे आबि रहल संकट से लड़य पड़त आओर आपसी सहयोग क रास्ता एहि संकट कए कम कैल जा सकैत अछि।
पत्रकार रंजीत कुमार कोसी क्षेत्र मे होएबला ग़ैर-संक्रामक बीमारी क लेखा-जोखा पेश केलक । ओ नीति आयोग क आंकड़ों क ज़रिए कहलथि जे स्वास्थ्य सुविधा पहुंचेनाए त दूर, सरकार कए एहि इलाक़ा क हालात धरि क आधिकारिक तौर पर अंदाज़ा नहीं अछि । रंजीत कुमार साफ पेयजल संगे कैकटा मुद्दा पर गप राखलथि।
कथाकार आओर यात्रा वृतांत लेखिका मीना झा स्वास्थ्य क प्रति जागरुक हेबाक क लेल महिला से ख़ास अपील केलथि। ओ साक्षरता दर बढ़ेबा आओर स्वास्थ्य क लेल संजीदगी कए ज़रूरी क़रार देलथि। एहि दौरान प्रसिद्ध मनोचिकित्सक विनय कुमारक बताओल स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारी अओर सुझाव से सेहो दर्शक कए रूबरू कराओल गेल। प्रोफेसर ललितेश मिश्र कोसी क्षेत्र क बुनियादी समस्याओं दिस विस्तार से लोगक ध्यान खीचलक आओर कहलथि जे कोसी क विकास लेल ज़ोरदार मुहिम क दरकार अछि।
ओ कहलथि जे जखन धरि किसान समृद्ध नहि होएत, तखन धरि देश क विकास मुमकिन नहि होएत। रामदेव सिंह खेती-किसानी कए समृद्ध करबाक क लेल कैकटा गप राखलथि आओर कहलथि जे सरकार किसान क समस्या दिस ध्यान नहि देलक।
पत्रकार दिलीप ख़ान कहलथि जे खेती-किसानी कए जान-बूझिकए घाटा क सौदा मे तब्दील केल गेल अछि आओर सरकार किसान क समस्या कए सोझरेबाक बजाए हुनका आओर गहिर संकट मे डाल देने अछि। ओ कहलथि जे कोसी संगे पूरा बिहार मे 70 फ़ीसदी से बेसी कामगार कृषि पर निर्भर अछि, मुदा सरकार हुनकर सुधि नहि लए रहल अछि। रणजीव कोसी क किसानक संकट कए देशक सोझा मौजूद कृषि संकट क छोटी बानगी करार दैत कहलाह जे जखन धरि किसान एकजुट नहि होएत, तखन धरि हुनकर आवाज़ नहि सुनल जाएत।
एहि स पहिने आयोजक गौरीनाथ संगे नामचीन लोग कोसी प्रतिष्ठान दिस से ‘कोसी के किसान’ स्मारिका क विमोचन केलथि। कार्यक्रम मे खाद्यान्न क प्रदर्शनी सेहो लगाओल गेल संगे पटेर से गोनारि बनेबाक कार्यशाला क सेहो आयोजन कैल गेल।
एहि दू दिवसीय सेमिनार सह अध्ययन शिविर क पहिल दिन क समापन पमरिया नाच संगे भेल । कार्यक्रम मे देशक अलग-अलग हिस्सा से आएल विद्वान क संगे-संग पैध तादाद मे ग्रामीण युवा पत्रकार आ समजवेवी रौशन झा, सोमू आनंद, निशांत झा, कमल मिश्रा, बिनय झा,इत्यदि सेहो हिस्सा लेलथि आओर कार्यक्रम मे अपन सहयोग देलक।
सेमिनार क आख़िरी सत्र मे ‘लोक कला, संस्कृति आओर हस्तकला’ पर रंगकर्मी अकबर रिज़्वी एहि आरोप कए सिरा से ख़ारिज कए देलथि जे लोक कला विलुप्त भए रहल अछि । ओ कहलथि जे पेशेवर लोक कला समूह ज़रूर सिमैट रहल अछि, मुदा दौर बदलबाक साथ-साथ कला सेहो अपन रूप बदलने अछि आओर ई पेशेवर भेला क बजाए निजी दायरे मे आओर रीति-रिवाजक रूप मे ज़िंदा अछि । एहि दौरान वरिष्ठ रंगकर्मी कुणाल मैथिली आओर कोसी क कला पर विस्तार से अपन बात राखलथि आओर कहलथि जे लोक कला क दायरा आओर विस्तार देबाक ज़रूरत अछि । कवयित्री सुष्मिता पाठक आओर कवि-कथाकार अरविंद ठाकुर संस्कृति पर किछु महत्वपूर्ण टिप्पणी केलथि। एहि सत्रक संचालन कए रहल कमलानंद झा कोसी क समृद्ध कलाक हवाला देलक आओर उम्मीद जतेलथि जे आगू सेहो ई ज़िंदा रहेंत। एहिक बाद राम बहादुर रेणु, सुरेन्द्र स्निग्ध आओर किछु अज्ञात कवी क कोसी से जुड़ल कविता क पाठ केलथि। दू दिन क एहि कार्यक्रम क समापन सति कमला नाच संग भेल। कालिकापुर मे कोसी प्रतिष्ठान दिस से एहि तरह क ई पहिल कार्यक्रम छल। कार्यक्रम क संयोजक गौरीनाथ कहलथि जे आगू सेहो एहि तरह क मुहिम जारी रहत। आबय बला दिन मे प्रसिद्ध चित्रकार अशोक भौमिक संगे देशक कैकटा नामचीन चित्रकार एक हफ़्ता धरि कालिकापुर मे कार्यशाला मे हिस्सा लेताह आओर एतय रहिकए ओ चित्रकारी करताह।