“बहुमत एकटा भीड़क नाम थिक एकरा लग विवेक नहि होइत छैक आ’ ओ मनमाना ढंग सँ काज करैत अछि, आओर हमरा भीड़क परवाह नहि अछि।”
प्रो. ईशनाथ झा
“बहुमत एकटा भीड़क नाम थिक एकरा लग विवेक नहि होइत छैक आ’ ओ मनमाना ढंग सँ काज करैत अछि, आओर हमरा भीड़क परवाह नहि अछि।”
ई जबाब सुकरात देने छलाह क्रीटो कें, ओहि समय जखन क्रीटो सुकरात दिस विषक कटोरा बढ़ा रहल छल आ सुकरात सँ बहुमतक सम्मान हेतु आग्रह क’ रहल छल।
ईसापूर्व 399, वसंत ऋतु क प्रात:कालीन समय। एथेंस नगरमे 501 सदस्यीय विशालकाय जूरीक सभ सदस्य न्यायालय परिसर मे अपन आसन ग्रहण क’ लेने छलाह। जूरी कें 70 वर्षीय वृद्ध दार्शनिक सुकरात क विरुद्ध मुकदमा पर अंतिम सुनवाई करबाक छल आ निर्णय लेबाक छल। ई एकटा एहन मुकदमा चल जे आइयो संसारक समक्ष अनबूझ पहेली बनल अछि जे कियै एक गोट वृद्ध कें ओकर शिक्षा आ दर्शन लेल विश्वक प्राचीनतम संस्कृतिक संवाहक देशमे मृत्युदंड देल गेल !
न्यायालय मे जूरीक सामने एकटा प्लेटफॉर्म पर अभियोगकर्ता प्राचीन यूनानी कवि मिलेटस ( Meletus), राजनेता एनाइटस ( Anytus) एवं प्रभावशाली वक्ता लाइसन (Lycon) ठाढ़ भेलाह। दोसर प्लेटफॉर्म पर आरोपित सुकरात कें ठाढ़ कयल गेल। फैसला सुनबाक लेल विशाल यूनानी जनता सेहो मौजूद छल। प्लेटो समेत सुकरातक किछु शिष्य सेहो उपस्थित छल। प्लेटो एहि अभूतपूर्व मुकदमाक संपूर्ण विवरण अपन ‘एपोलॉजी’ (Apology) नामक आलेखमे केने छथि जकरा एखनहु प्रामाणिक मानल जाइत अछि। अभियोजन पक्ष सुकरात पर बहुत रास गंभीर आरोप लगबैत मृत्युदंडक माँग केलक।
मुख्य आरोप निम्नलिखित अछि –
- सुकरात एथेंस क देवी-देवताक पूजा नहि करैत छथि, ओ नास्तिक छथि।
- ओ एथेंसवासी नवयुवक कें भ्रष्ट करैत छथि, बरगलबैत छथि।
- ओ भूमिगत एवं आकाशीय वस्तुक खोजबीन करैत छथि, नीक चीज कें अधलाह आ अधलाह कें नीक साबित करैत रहैत छथि।
- ओ वाचाल छथि आ बड्ड भाषण दैत छथि एवं अपन भाषण मे सूर्य कें पाथर आ चंद्रमा कें माटि संँ बनल कहैत छथि।
यद्यपि वास्तविकता ई छल जे सुकरात यूनानक तत्कालीन सत्ताधारी दलक घोर विरोधी अभिजात्यवर्गीय दल संँ निकट संबंध रखैत छलाह। आरोप सभक उत्तर दैत सुकरात बाजल छलाह — “यदि ई सत्य थिक जे हम एथेंसक युवक कें गुमराह करैत छी तँ कि हम एत्ते मूर्ख छी जे ई नहि बूझि सकब जे यैह लोक एक दिन हमरो क्षति पहुँचा सकैत अछि। हम अपन भाषण मे सत्य बजैत छी, अपन वैचारिक उद्गार प्रकट करैत छी आ हमर कथन कथमपि लच्छेदार आ अलंकारिक नहि होइत अछि।”
नास्तिक हेबाक आरोप कें नकारैत सुकरात भरल न्यायालय मे बाजल छलाह, “हम एथेंसक देवी-देवताकें नहि मानैत छी, परन्तु ईश्वर पर हमरा पूर्ण विश्वास अछि अटूट आस्था अछि, अगाध श्रद्धा अछि। तैं नास्तिकताक आरोप सर्वथा अनुचित अछि। कोनो बुझनुक व्यक्ति कोनो काज करैत काल मात्र यैह देखैत अछि जे काज ठीक अछि कि गलत ! कोनो व्यक्ति सही काज करैत समय मृत्युक परवाहि नहि करैत अछि। ईश्वर हमरा सत्यक अनुसंधान करबाक काज देने छथि आ जँ हम अपन से काज छोड़ि देब तँ ईश्वरक अवज्ञा हैत। हमरा लेल मृत्यु सँ डरेनाइ उचित नहि थिक।”
दोष सिद्ध भेलाक बाद अभियोजन पक्ष आ बचाव पक्ष दुनू कें दंड प्रस्तावित करबाक अवसर देल गेल। अभियोजन पक्ष तँ पहिनहि मृत्युदंड मँगने छल, लेकिन सुकरात स्वयं दंडक बदला मे ईनामक माँग केलनि, संगहि जीवनपर्यन्त मुफ्त राजकीय भोजन उपलब्ध करेबाक माँग केलनि। ई सूनि जूरी आओर भड़कि उठल। सुकरात न्यायालयीय प्रक्रिया कें गंभीरता सँ लइए नहि रहल छलाह। ओना सुकरातक शिष्य सब विशेषतया प्लेटो आर्थिक दंडक प्रस्ताव देलक जे बहुमत सँ ठुकरा देल गेल। अंततः 360 सदस्य मृत्युदंडक पक्ष मे मतदान कयलक। सुकरात स्वयं कें आसन्न मृत्युक लेल तैयार क’ चुकल छलाह तैं सजा कम करबाक वा हल्लुक करबाक कोनो अपील नहि केलनि आ बहुमतक अन्याय रूपी जहर पीबाक लेल उद्यत् भ’ गेलाह।
मृत्युदंडक लेल प्रस्तुत सुकरात एथेंसवासीक समक्ष अपन अंतिम भाषण मे बजलाह —- “अहाँ लोकनि जे हमरा विरुद्ध मतदान केलहु तकर सजा अवश्य पायब, आ’ ओ सजा होयत जे कोनो समय आओत जखन हमर दंडकें अहीं सब धिक्कार करब। हम सत्तरि वर्ष जीब चुकल छी। किछु बरखमे प्राकृतिके रूप सँ अहाँ सब सँ पिण्ड छूटि जैतै। व्यर्थे अहाँ सब ई कलंक माथ पर लेलौं। हम ककरो सँ दयाक भीख नहि माँगब कियैक तs ई मनुष्यता सँ आओर नीचा उतरब होयत। भीखमे देल जीवन सँ श्रेष्ठ थिक मृत्यु। हम बहुमतक इच्छा कें सहर्ष स्वीकार करैत छी। मृत्यु या तs स्वप्नहीन निद्रा थिक या मृतकक आत्मा कोनो दोसर लोक मे चल जाइत अछि। दुनू परिस्थिति मे मृत्यु कोनो प्रकारक दुख नहि दैत अछि। हम अपन सत्यान्वेषी काज अन्यान्यो लोक मे जारी राखब।”
सुकरात अपन अंतिम संबोधन मे जतेक वाक्य कहलनि ओ मानवमात्रकें हर युगमे प्रेरणा दैत रहत। ओ कहैत छथि —– “आब समय भ’ चुकल अछि। हमर महाप्रयाणक आ अहाँ सबहक जीवन जीबाक। जीवन पैघ अछि वा मृत्यु, ई तs ईश्वर जनैत छथि, मात्र ईश्वर।” सुकरात एक गोट गरीब मूर्तिकारक पुत्र छल जे एथेंस मे सड़क पर घूमैत रहल छल आ’ लोक कें अपन विद्रोही दार्शनिक विचार सँ अवगत करबैत रहैत छल। सामान्य लोक ओकर बातक प्रति अति आकर्षित होइत रहै छल। सुकरात यूनान एवं पश्चिमी देशक प्रथम दार्शनिक छलाह। प्लेटो हुनक प्रिय शिष्य छलाह एवं प्लेटोक शिष्य अरस्तू छलाह।
जखन सुकरातक शिष्य आ प्रशंसक सब मृत्युदंड सँ बचबाक लेल हुनका चुपचाप एथेंस छोड़ि देबाक सलाह देलकनि तखन सुकरात कहलनि : ” हम मृत्यु सँ भयभीत नहि छी। मृत्यु एक मानवीय वरदान थिक। हम एथेंस में यूनानक नीक नागरिक जकाँ रहब आ विष पी लेब।” ई कहलाक बाद सुकरात हेमलॉक ( hemlock) नामक विषक मिश्रण पीबि प्राण त्यागि देलनि। जिनका विरोधी देशद्रोही कहैत छल ओ यूनानक सपूत निकलल।बहुमत सँ लेल गेल प्रत्येक निर्णय लोककल्याणकारी नहि होइत अछि।
बहुत सूंदर ऐतिहासिक कथा लेल आभार आर जेना हर किस्सा संगे एक ता सत्य ढुलकैत ाबाई छै , ेहु में एकदम सत्य छै -बहुमत सम्बंधित।