विनीत ठाकुर
दरभंगा। संस्कृत विश्वविद्यालय क ऐतिहासिक दरबार हॉल मे संस्कृत सप्ताह समारोह क अवसर पर बेनीपुर क विधायक श्री सुनील कुमार चौधरी बजलाह जे शिक्षा दान सर्वोत्तम सेवा थिक। संभव अछि जे एहि सेवा मे मनोनुकूल अर्थोपार्जनक संभावना नहि हो परंतु आत्मसंतुष्टि अवश्य भेटैत छैक।शिक्षाक एहन दानवीर पर भगवानो कृपा करैत छथि। मिथिलांचल केँ ज्ञान वितरण केंद्र कहैत माननीय विधायक कहलनि जे भाषे से कोनो संस्था, संस्थान क परिचय भेटैत अछि तेँ संस्कृत जतेक विकसित होयत ,हमर सबहक संस्कृति ओतवे प्रखर आ मजगूत होयत। श्री चौधरी विशिष्ट अतिथि क रूपेँ अपन विचार व्यक्त कयल।
श्री चौधरी जनौलनि जे शिक्षक क स्थान समाज मे सर्वोपरि अछि। इतिहास प्रमाण दैछ जे जखन कखनौ आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक आ संस्थागत संकट आ समस्या उत्पन्न होइछ, शिक्षक क भूमिका सबसँ बेशी बढ़ि जायत छैन्हि। तेजी सँ होइत सांस्कृतिक क्षरण पर चिंता व्यक्त करैत ओ गुरूवर, प्राध्यापक संँ उचित रास्ता देखाए एहि माया जाल सँ बाहर निकालवा हेतु निवेदन कयलनि।ओ स्पष्ट रूपेँ स्वीकार कयलनि जे देववाणी संस्कृत केँ एक वर्ग विशेष के भाषा कहि एकर क्षेत्र सीमित कैल गेल अछि।ओ क्षोभ व्यक्त कयलनि जे एहि क्षेत्र में कार्यरत शिक्षक सब केँ उचित सम्मान आ वेतन नहि भेट रहल अछि। ओ संस्कृत क उत्थान हेतु सब संभव सहायता देबाक आश्वासन देलन्हि। ओ जनौलनि जे इतिहास क छात्र रहलाक कारणे भूतकाल सँ सीख लय वर्तमान केँ सुंदर बनेबा क प्रयास करैत छथि। मिथिलांचल के पुत्र छथि आ जे बजैत छथि से करितो छथि।सब स्तर पर संग देबाक लेल अपना केँ प्रस्तुत करैत ओ अजमेबाक आह्वान कयलनि।
समारोह केँ अध्यक्षता करैत कुलपति श्री सर्वनारायण झा कहलनि जे आई संकल्प क दिन अछि। विशेष रूपेँ गवेषक, शिक्षक,छात्र संकल्पित भय संस्कृत आ संस्कृति क जीवंतता हेतु काज करबा लेल संकल्पित होथु। एहि क्षेत्र मे अनेको संभावना अछि जकरा मात्र चमकेबाक प्रयोजन अछि। कुलपति नवागंतुक शिक्षक क मध्य ‘ ग्रहस्पष्टीकरण’ विषय पर सफल शास्त्रार्थ पर हर्ष व्यक्त कयलनि आ श्लोक वाचन करैत कहलनि जे बच्चो सब कुशल विद्वान भय सकैछ।ओ नियमित रूपेँ शास्त्रार्थ क आवश्यकता जनौलनि।
ध्यातब्य अछि जे आजुक शास्त्रार्थी छलाह उत्तर पक्ष सँ वरुण कुमार झा आ पूर्व पार्षद सँ विकास। दुनू ज्योतिष क शिक्षक थिकाह। एहि अवसर पर उपकुलपति प्रो. चंदेश्वर प्रसाद सिंह कहलनि जे संस्कृत केँ मात्र पूजा पाठ आ कर्मकांड क भाषा बूझब आजुक समय मे भयंकर गलती होयत। संस्कृत देववाणी क संगहिं विज्ञान क भाषा थिक। ओ संस्कृत अनुरागी सब सँ संस्कृत भाषा केँ विज्ञान सँ जोड़बाक अपील कयलनि आ कहलनि जे एहि सँ संस्कृत भाषा व्यापक होयत। ओ कहलनि जे प्रसन्नताक विषय अछि जे कुलपति एहि लेल प्रयासरत छथि आ छात्र क संगहिं गवेषक लोकनि केँ उत्साहितो कय रहल छथि। ओ कहलनि जे विदेश मे संस्कृत शिक्षा लेल आश्चर्यजनक उत्साह देखल जाए रहल अछि।हमरो सब केँ संकल्पित भय किछु नव काज करय पड़त, तखनहिं संस्कृत समृद्ध होयत आ जनमानस में बैसल गलत अवधारणा निर्मूल होयत।
पी आर ओ निशिकान्त जनौलनि जे प्रो. शशिनाथ झा क संचालन मे संपादित एहि कार्यक्रम मे सर्वप्रथम भगवती सरस्वती क चित्र पर माल्यार्पण पश्र्चात वरुण कुमार झा आ अखिलेश मिश्र द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत कयल गेल। निशा, अनुपम, राखी, गुड्डी, वीणा,राजन,रंजय,चंदन, दीपक, पंकज, श्यामानंद आ भवेश सम्मिलित स्वर मे कुलगीत गौलनी। स्वागत भाषण डॉ विद्येश्वर झा कयलनि आ धन्यवाद ज्ञापन शिवकांत झा कयलनि।
दोसर सत्र मे क्विज क आयोजन भेल। संयोजक प्रो. श्रीपति त्रिपाठी, प्रो सुरेश्वर झा, प्रो चौठी सदाय, डॉ दिलीप कुमार झा, डॉ हरेंद्र किशोर झा, डॉ विनय कुमार मिश्र, डॉ पुरेन्द्र वारिक , डॉ दयानाथ झा, डॉ रामप्रवेश पासवान, डॉ सत्यवान कुमार, डॉ शैलेन्द्र मोहन झा, डॉ तेज नारायण झा समेत सब कर्मी उपस्थित छलाह। तकनीकी व्यवस्था सूचना वैज्ञानिक नरोत्तम मिश्रा क संग पवन सहनीआ सतीश कुमार कयलनि।
संस्कृत सप्ताह दिवसक अवसर पर विश्वविद्यालय क दरबार हॉल मे संस्कृत क तीन विद्वान, क्रमशः ऊजान, धर्मपुर निवासी साहित्य पुरौधा, महाकवि आचार्य श्री राम जी ठाकुर, सरिसब पाही निवासी आचार्य शशिशेखर झा आ ककरौल निवासी ज्योतिषाचार्य देवानंद झा केँ सम्मानित कयल गेल। विद्वतजन अपन अपन अनुभव आ विचार सँ सभा केँ अवगत करौलन्हि।