पटना । स्थानीय पटना संग्रहालय स्थित रिसर्च सोसाइटी सभागारमे रविदिन मिथिला भारती पत्रिकाक तेसर अंकक विमोचन कैैल गेल । मैथिली साहित्यक प्रकांड विद्वान पं गोविंद झा, प्रो० डॉ भीमनाथ झा, पटना हाईकोर्टक पूर्व जज श्रीमति मृदुला मिश्रा, प्रो० डॉ रत्नेश्वर मिश्र आ प्रो० डॉ इंद्रकांत झा संयुक्त रूप स पत्रिका का विमोचन केलथि।
सभा कए संबोधित करैत पं गोबिंद झा कहलथि जे हम सब आय धरि इतिहासक खोज कागजपर वा धरतीपर करैत रहलौ अछि, मुदा कागजपर लिखल शब्दक खोज आई धरि नहि कैैल गेल अछि । एहिपर काज कैैल जेबाक चाही । शब्द अपना माध्यमे इतिहास बताबैत अछि। उदाहरण लेल सलहेस अर्थात सोलह कोसक शासक । पंं झा कहलथि जे मिथिला में तीन गोट गणराज्यक इतिहास भेटैत अछि । एहिमे ब्राह्मण, क्षत्रिय आ पासवान शामिल अछि।
ओतहि कार्यक्रमक अध्यक्षता करैत प्रो० डाॅॅ रत्नेश्वर मिश्र कहलथि जे ओरल इतिहास पर काज कएल जेबाक चाही । प्रो० डॉ भीमनाथ झा मैथिली साहित्यक इनसाइक्लोपीडिया छथि। जे वस्तु लिखल जा रहल अछि ओकर आय नहि काल्हि उपयोग हेबे करत।
श्री भैरव लाल दासक संचालन में संपन्न भेल एहि कार्यक्रम मे प्रो० डाॅॅ भीमनाथ झा मैथिलिक प्रकाशनक परिदृश्य पांच वर्ष 2011-2015 पर आलेख पाठ केलथि। एहि क्रममे ओ कहलथि जे मैथिलीक साहित्यकार लोकनि अपन क्षमता अनुसारे काज क रहल छथि । छपबा सेहो रहल छथि । जे लिखै छथि से केहन लिखै छथि, ओहिपर समीक्षा केहन भ रहल अछि, के देखाओत हुनका लोकिन कए ई मार्ग । पाठक बेस मौन साधने रहै छथि । समीक्षक लोकिन आरक्षित दर्जाक भ गेल छथि । बाद बाकी आलस्य आ उपेक्षावश आँँखि मुनि नेने छथि। नवतुरिया लोकनि कए आँँगा एबाक चाही। आबियो रहल छथि। प्रोफेसर शिक्षक लोकनि के चाहयिन जे ओ हुनका सभक मदद करथि। हुनका लोकनिके चाहयनि जे नव पोथी जे लिखल जा रहल अछि ताहि सभ पर समीक्षा लिखथु । समाजक बीच आनथु । जाहिसं समाज लाभान्वित भ सकए।
प्रो० डाॅॅ भीमनाथ झा एहि क्रम मे कहलथि जे हमरा लग जतेक उपलब्ध पोथी अछि ताहि आधार पर वर्ष 2001-2011 केर बीच 580 टा पोथी प्रकाशित भेल अछि। ओतहि 2011-2015 धरि 361 पोथीक प्रकाशन भेल अछि। कहल जाए तं प्रति वर्ष एक सय पोथी छपा रहल अछि। आंकड़ा दैत प्रो० डॉ झा कहलथि जे वर्ष 2011 मे 64, 2012 मे 83 टा पोथी छपल अछि। तहिना 2013 -81, 2014- 60, 2015- 73 टा पोथी छपल अछि। विधाक आधार पर देखल जाए तं कथाक बावन, कविताक एकासी, निबंधक इक्यानवे, उपन्यासक अठाइस, नाटकक तेरह, जीवनी पर आधारित एकतिस, रचनावली आठ, अभिनंदन ग्रंथ पांच, अनुवाद चौबीस, इतिहासक दू, यात्राक पांच, गद्य पद्यक दू आ विज्ञान आधारित सतरह टा पोथी शामिल अछि।
प्रो० डॉ भीमनाथ झा आरम्भ मे अधिकांश पोथीक नामक संग जतए छोट-छोट टिप्पणी केलथि ओतहि समय अभाव हेबाक कारणे पोथीक नाम आ लेखकक नाम कहि आलेख संपन केलनि। एहि क्रममे ओ कहलनि जे कहांदनि फेसबुक पर मैथिलीक हजारो पाठक छथि। आलेख पाठ क क्रममे श्री झा कहलथि जे सुभाष चंद्र यादवक उपन्यास गुलो अपन भाषा शैलीक कारणे लोकक ध्यान आकृष्ट करै छथि। पचपनिया मैथिलीक स्वागत कएल जेबाक चाही। मुदा एकरा मानक मानल जेेनाय हमरा समझ सं ठीक नहि अछि। हसनी पान बजंता सुपारी बाल उपन्यास मे किशोर-किशोरीक कथा लिखल गेल अछि। आँँगा ओ कहलथि जे अगिला सय बरखमे मैथिली केहन होयत से कहब कठिन अछि। श्री झाा कहलथि जे युवा साहित्यकार मे दीपनारायण विद्यार्थी, मनोज शांडिल्य, नारायण झा, चंदन कुमार झा, अरुणा शौरभ, कृष्ण कुमार एहिक अखन प्रमुखता स उभरि रहल अछि ।
एहि अवसर पर मोहन भारद्वाज, कमल मोहन चुन्नू, शरदेंदु चौधरी, सुकांत सोम, श्याम दरिहरे, प्रेमलता मिश्र प्रेम, किशोर केशव, कुमर गगन, भवनाथ झा सहित कतेको गोटे उपस्थित छलाह।