प्रभाकर झा
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एहि पुलक मरम्मत आ रखरखावक जिम्मा संभारनिहार कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट एहि पुल लेल आओर कई टा योजना तैयार केने अछि। पोर्ट ट्रस्टक अध्यक्ष विनीत कुमार कहै छैथ जे एकरा लेल पेशेवर वास्तुविदक सहायता लेल जायत जाहि स ब्रिज के खूबसूरती ओहिना बनल रहे।
उल्लेखनीय अछि जे तीन-चौथाई सदी स कोलकाता के पहचान बनल हावड़ा ब्रिज यानी रवींद्र सेतु अपन ऐ पैघ सफर के ल क कै टा ऐतिहासिक घटनाक के मूक गवाह रहल अछि। साल 1936 में एकर निर्माण कार्य शुरू भेल छल और 1942 में ई पूरा भ गेल। 3 फरवरी, 1943 क इ जनता के लेल खोल देल गेल। 2018 मे एकर 75 साल पूरा भ गेल। इ जतय द्वितीय विश्वयुद्धक समय भारी बमबारी झेलक, ओहि ठाम स्वाधीनता आंदोलन, देशक आजादी और बंगालक भयावह अकाल सेहो देखलक।
दिलचस्प बात इ अछि जे कि पूरा दुनिया में मशहूर और सैलानि सभ हक आकर्षणक केंद्र रहल अहि पुल के औपचारिक उद्घाटन तक नै भेल छल।
एकर वजह इहो छल जे तखन द्वितीय विश्व युद्ध पूरा शबाब पर छल। दिसंबर, 1942 में जापानक एकटा बम इ ब्रिज स कुछ दूरी पर खसल छल।
अहि स इ तय भेल जे ऐकर उद्घाटन के मौका पर कोनो धूमधाम नै हेतै। फरवरी, 1943 में पुल के ट्रैफिक लेल खोल देल गेल।
इ ऐतिहासिक ब्रिज देशी-विदेशी सैलानि सब के अलावा सत्यजीत रे स ल कए रिचर्ड एटनबरो और मणिरत्नम जेहन फिल्मकार सब के सेहो लोभाबैत रहल अछि। ऐतय अनगिनत फिल्मक शूटिंग भ चुकल अछि। वर्ष 1965 में कविगुरु रबींद्र नाथक नाम पर एकर नाम रवींद्र सेतु राखल गेल।
प्राप्त दस्तावेजक अनुसार कोलकाता और हावड़ा क बीच हुगली नदी पर पहिने कोनो ब्रिज नै छलै नदी पार करबा के लेल नाव टा एकमात्र जरिया छल।
बंगाल सरकार के ओर स वर्ष 1871 में हावड़ा ब्रिजक अधिनियम पारित होय कए बाद वर्ष 1874 में सर ब्रेडफोर्ड लेसली
नदी पर पीपा के पुलक निर्माण करेलक। साल 1874 में 22 लाख रुपया के लागत स नदी पर पीपा के एकटा पुल बनायल गेल जेकर लंबाई 1528 फीट और चौड़ाई 62 फीट छल। फेर 1906 में हावड़ा टीशन बनै के बाद धीरे-धीरे ट्रैफिकक और लोगक आवाजाही बढ़अ लागल, मुदा तखन तक पहिल विश्वयुद्ध शुरू भ चुकल छल अहि वजह स काज शुरू नै भेल। साल 1922 में न्यू हावड़ा ब्रिज कमीशनक गठन केल गेल कुछ साल बाद एकरा लेल निविदाएं आमंत्रित केल गेल। तखन जर्मनी क एकटा फार्म सबस कम दरक निविदा जमा केने छल, लेकिन तहन जर्मनी और ग्रेट ब्रिटेन कए आपस में संबंधों मे भारी तनाव रहै के वजह स जर्मनक फार्म कए ठेका नै देल गेल। बाद मे वेह काज ब्रेथवेट, बर्न एंड जोसेप कंस्ट्रक्शन कंपनी कए सौंपल गेल। एकरा लेल ब्रिज निर्माण अधिनियम में संशोधन कैल गेल।
एहि कैंटरलीवर ब्रिज कए बनाब में 26 हजार 500 टन स्टील के इस्तेमाल कैल गेल अछि जाहि में स 23 हजार पांच सौ टन स्टीलक सप्लाई टाटा स्टील केने अछि। तैयार होय कए बाद इ दुनिया मे अपन तरहक तेसर सबस लंबा ब्रिज छल पूरा ब्रिज महज नदी के दुनू किनार पर बनल 280 फीट ऊंच दू टा पाया पर टिकल अछि। इ दूनू पाया क बीचक दूरी डेढ़ हजार फीट अछि नदी के बीच में कोनो पाया नै अछि। एकर खासियत इ अछि कि एकर निर्माण में स्टील प्लेट कए जोड़बा लेल नट-बोल्ट क बजाय धातु स बनल कांटी यानी रिवेट्स क इस्तेमाल कैल गेल अछि।
अखन अहि स रोजाना लगभग सवा लाख वाहन और पांच लाख स ज्यादा पैदल यात्री गुजरैत छैथ। ब्रिज बनै के बाद अहि पर पहिल बेर एकटा ट्राम गुजरैत छल। मुदा वर्ष 1993 स ट्रैफिक काफी बढि़ जेबा के बाद ब्रिज पर ट्राम की आवाजाही बंद क देल गेल। 75 साल पूरा होय पर एकटा कॉफी टेबल बुक सेहो प्रकाशित केल गेल। अहि में ब्रिज क जन्म स ल कए अखन तक के सफर कए तस्वीर क जरिए स उकेरल गेल अछि। यह ब्रिज बीते खासकर डेढ़ दशक क दौरान के टा हादस और तकनीकी समस्या सब कए शिकार भेल अछि
साल 2005 में एमवी मणि नामक एकटा मालवाहक जहाज क मस्तूल एकर ढांचे मे फंसि गेल छल। अहि स ढांचे के काफी नुकसान पहुंचल छल। ओ नुकसानक मरम्मत के लेल कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट इ ब्रिज कए निर्माण क दौरान सलाहकार रहल इंग्लैंड के रेंडल, पाल्मर एंड ट्रिटान लिमिटेड स सेहो सहायता लेने छलैथ।
पोर्ट ट्रस्ट कए वर्ष 2011 क दौरान एकटा अजीब समस्या स जूझअ पड़ल छल, तखन एकटा अध्ययन स इ बात सामने आयल कि तंबाकू थूकै के वजह स ब्रिज के पायों के मोटाई कम भ रहल अछि। तखन स्टील के पाया के नीचा फाइबर ग्लास स ढंकै पर लगभग 20 लाख रुपये खर्च भेल ।
पोर्ट ट्रस्टक अध्यक्ष विनीत कुमार कहै छथि जे सामान्य तौर पर ऐहन ढांचे के जीवन सौ से डेढ़ सौ साल तक होबा चाहि, मुदा बीतल 75 वर्षों क दौरान अहि स गुजरअ वाला ट्रैफिक केय गुना बढ़ गेल अछि। अहि स एकर नियमित जांच जरूरी अछि।