आधुनिक काल मे साहित्यकार लोकनि मडूआ जेकां साग कए सेहो अपना सब दिस गरीबी स जोडि देलथि मुदा साग जीवन लेल केतबा जरुरी अछि एहि पर हम सब कम विचार केलहुं । एकर पौष्टिकता पर कोनो जानकारी नहि रखलहुं । निश्चित रूप स साग सब लेल उपलब्ध एकटा वस्तु अछि । राजा स रंक तक अपन भोजनक शुरुआत साग स करैत रहल अछि। भोज भात मे सेहो साग आ सन्ना पात पर सबस पहिने परसल जाइत अछि। साग क सामाजिक, एतिहासिक आ वैज्ञानिक तीनू पक्ष एहि आलेख मे गजानन मिश्र एक संग रखबाक प्रयास केलथि अछि। प्रस्तुत अछि गजानन मिश्र क इ शोधपरक आलेख। – समदिया
मिथिला मे ई फकड़ा अछि- साग भात पांच हाथ । एकर निहितार्थ बहुत गंभीर छैक । ई तिरहुत के अकूत प्राकृतिक उपादान एवं एतुक्का पर्यावरण के उच्च आर्थिक तथा सामाजिक उत्पादकता के द्योतक थिक । साग जे हरियर पादपीय पदार्थ तथा भात यानि चावल । मनुष्यक स्वास्थ्य बास्ते जे प्राकृतिक रासायनिक तत्व और यौगिक पदार्थ अनिवार्य एवं प्रधान अछि, से थिक- कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटासियम, सोडियम, फोस्फोरस, आयरन, आयोडीन, फ्लोराईड, जिंक, सेलेनियम एवं विटामिन्स,खनिज और फाइबर । साग और भात एहन किछु पदार्थ अछि जाहि मे उपरोक्त सभ उपलब्ध अछि ।
तिरहुत मे दर्जनों एहन हरियर साग/पात उपयोग मे रहल अछि । अनेकों छानल/तरल रूप मे सेहो खेबाक परिपाटी रहल अछि । एहि साग/पात के उपलब्धता सहज और प्रचुर रहल छल । एकर खेती अतिशय सहज । अनेक त’ अपनेआप उपजैत छैक । ई एकटा common property छल । निम्नांकित साग जानकारी मे अबैत अछि – गेन्हारी, ठढ़ीया, बथुआ, सरिसो, रैंची, गद्पुरैन, पटुआ, खेसारी, मेथी, नोनी, केराव, चना, पालक, लौफ, करमी, सरंची, अरुआ, सुसनी, ललका, कोचला, गुलफा, पोई, मुली, मुनगा आदि । जाहि हरियर पात अथवा फुल के उपयोग बचका/तरुआ/ चक्का के रूप मे होईत अछि तकर जानकारी निम्नवत अछि- कदीमा, कद्दू, मुनगा, अगस्त, थलकमल, पिरार, कुम्हर, कचनार, गुलैंच, सनई, चकोर, तिल्कोड़, कुतरुम, पुरैन, बेली, कन्ना, सग्गा प्याज, पत्थरचुड, अरकोंच, मुली, मखान-डनटी आदि । साग ह्रदयरोग, कैंसर, डायबिटीज, हड्डी, आंखी मे विशेष रूप मे लाभदायक अछि । ई शरीर के प्रतिरोधक क्षमता बढबैत अछि ।
जहाँ तक भात के प्रसंग अछि, धान मे भूसा,ओकर भीतर वला ललाओन bran तथा सभ सँ अन्दर वला स्टार्च थिक ।भूसा मे फाइबर और लवण बहुत छैक । bran मे त’ उपरोक्त सभ रासायनिक तत्व एवं योगिक पदार्थ भरल अछि । चावल के उसिनबाक क्रम मे भूसा के तत्व चावल मे आबि जाईत छैक । तैं उसना चावल अरबा चवल सँ बेशी नीक अछि । सभ सँ ख़राब polished चावल थिक जाहि मे मात्र स्टार्च रहैत छैक; bran और भूसा वला कोनो गुणवत्ता एहि मे नहि अछि । जाहि brown rice के दुनिया दीवाना अछि, से वस्तुतः उसना चावल थिक ।
धान क खेती बहुत सहज छल । बाढ़ी- डुबल खेत मे मात्र धान के बीज छींट देला सँ सेहो धान उत्पादन भ जाईत छलैक । साठ दिन वला साठी धान, भदई मे गम्हरी धान, अगहनी धान और नदी के कात मे बोड़ो धान- ई चार प्रकार छल । चंपारण, तिरहुत और पुरनिया मे अगहनी धान के 120 प्रकार,भदई धान के 32 प्रकार तथा चौर वला लतराहा धान के 5 प्रकार छल । धान के abundant production के उल्लेख गज़ेतियेर्स मे भरल अछि ।फ्रांसिस बुकानन, hunter,AB Macdonnel,Finnucanes आदि के रिपोर्ट तथा Village नोट्स धान के abundant production के साक्षी अछि । साग-भात के पौष्टिकता,एकर nutrition गुणवत्ता, एकर सहज और प्रचुर उपलब्धता निहितार्थ थिक ‘साग भात पांच हाथ’।