दरभंगा । कोविड-19 लॉकडाउन क बीच मिथिला मूल क लोक सब रविदिन अपन समृद्ध सांस्कृतिक विरासत आ पहचान कए बढ़ावा देबा लेल ट्विटर पर एकटा अदभुत, अविश्वासनीय, अकल्पनीय अभियान चला इतिहास रचि देलथि। लामबंदी मे कमजोर रहल मैथिल समाज रविदिन ट्विटर पर ट्रेंड भ दुनिया कए चौंका देलक।
मिथिलाकॉलिंग नामक ट्विटर पर चलल इ अभियान विशुद्ध रूप स मिथिला मूल क लोकक एकटा गैर-राजनीतिक पहल छल, जो दुनिया क विभिन्न हिस्सा मे सक्रिय छल। अप्रवासी मैथिल क विशेष रूप स युवा वर्ग अभियान मे भाग लेलक आ मिथिलाक कला, संस्कृति और सामाजिक पहलु स संबंधित रोचक तथ्य साझा केलक।
आश्चर्य क गप इ रहल जे, “मिथिलाकॉलिंग” नामक इ अभियान महज एक छू मिनट मे भारत मे दस पायदान क भीतर ट्रेंड करै लागल। अभियान चारि घंटा क भीतर भारत मे एक लाख स बेसी ट्वीट क संग पहिल रैंक प्राप्त केलक। विश्व स्तर पर शीर्ष 25 क सूची मे ट्रेंड भेल। मिथिलाक नाम पर लामबंदी क इ पिछला 50 साल मे सबसे सफल अभियन रहल। एहि अभियान मे सब वर्गक लोक हिस्सा लेलक, नौकरशाह, डॉक्टर, शिक्षाविद, पत्रकार, खिलाडी, वैज्ञानिक आ राजनीति से जुडल लोक सेहो बढि चढि कए भाग लैत देखल गेल।
नवभारत टाइम्स के पत्रकार नरेंद्र नाथ कहैत छथि, ”हम सब मिथिला क्षेत्र क समृद्ध विरासत आ क्षमता क बारे मे लोक कए जागरूक करबा लेल एहि अभियानक कल्पना केने रही, जाहि मे मिथिलाक लोक शामिल छलथि।” पत्रकार पंकज प्रसुन कहैत छथि जे लॉकडाउन क समय क हम सब सदुपयोग कैल। लॉकडाउन क एहि समय मे एकटा इतिहास रचि देल गेल। कुछ दिन पहिने तक मिथिलाक नाम पर पांच सौ लोक जमा नहि होइत छल। पिछला किछु दिन पहिने एकटा अभियान Mithilarise स लामबंदी क नव जमीन भेटल छल, ओ अभियान सेहो ट्विटर पर महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त क देश ध्यान मिथिला दिस आकर्षित केने छल। 19 अप्रैल क इस दिन आब हरदम स्मरण रहत, किया त एहि दिन पहिल बेर ट्विटर पर मिथिला शब्द पहिल पायदान पर ट्रेंड कर रहल छल। एक लाख स बेसी लोक एहि हैशटैग कए ट्वीट केलथि। सेहो महज किछु घंटा मे। अभियानक सूत्रधार आ मिथिला स्टूडेंट यूनियनक महासचिव आदित्य मोहन कहैत छथि जे एहि अभियान मे सब पंथ आ विचारक लोक भाग लेलक। करीब 30टा देश मे बसल मिथिला क लोक ट्वीट केलथि अछि। खास बात इ रहल जे एहि दौरान लोक मिथिला क पिछड़ेपन क कारण कए खूब उजागर केलथि। जनप्रतिनिधि पर सेहो खूब सवाल भेल। मिथिला आ मैथिली लेल मैथिल कए लामबंद करबाक इ अभियान एकटा पैघ सफलता क रूप मे देखल जा सकैत अछि।
द टेलीग्राफ क पत्रकार विजयदेव झा कहैत छथि जे हमरा सब कए आब जानकीनंदन सिंह, लक्ष्मण झा आ सुरेंद्र झा सुमन सन नेता चाही जेकर एक मात्र लक्ष्य मिथिला छल। इसमाद क शोध संपादक सुनील कुमार झा कहैत छथि जे मिथिला एकटा एहन क्षेत्र अछि जेकर इतिहास काफी समृद्ध रहल अछि, मुदा राजनीतिक इच्छाशक्ति क अभाव कहू या अन्य कारण एखुनका दौर मे इ अत्यंत पिछड़ल इलाका भ चुकल अछि।
आइ बहुत लोक इ सवाल क रहल छथि जे एहि प्रकारक ट्रेंड स की होएत। एनडीटीवीक पत्रकार दयाशंकर सिंह एहि संबंध मे कहैत छथि जे हम मैथिल सब भाषाक नाम पर एकजुट भ जाइत छलहुं मुदा क्षेत्र क समस्या लेल हमर लामबंदी बेहद कमजोर छल। कमजोर लामबंदी क कारण सरकार हमर सबहक गप नहि सुनैत छल आ विकासक मामला मे हम सब पछुआ गेल छी। इ अभियान हमर सबहक कमजोर लामबंदी कए मजबूत हेबाक प्रमाण बनत। ठीक छै जे सम्मेलन, सभा या रैली मे हम सब एतबा संख्या मे जमा नहि भ सकलहुं अछि, मुदा एहि मच पर सेहो एतबा संख्या मे लामबंद भेनाइ कम आश्चर्यक गप नहि अछि। आजुक तारीख मे प्रधानमंत्री स लकए मुख्यमंत्री आ तमाम नीति निर्धारक अधिकारी ट्विटर क गतिविधि पर नजरि रखने छथि। मिथिला स जुड़ल मुद्दा अगर ट्विटर पर ट्रेंड करत त एकर बहुत दिन तक अनदेखी नहि कैल जा सकैत अछि। जनप्रतिनिधि सेहो सतर्क हेताह आ सरकार सेहो जागत।
मैथिलक एहि लामबंदी पर मीडिया संस्थान क सेहो नजर बनल रहल। ट्विटर क ट्रेंडिंग कए देखकए तमाम राष्ट्रीय चैनल कए बुझबा मे आबि गेल जे मिथिला कए प्रमुखता स स्थान देब आब टीआरपी क मामला अछि। ट्विटर पर टॉप ट्रेंड करबाक अर्थ इ सेहो भेल जे मिथिला क लोक सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव छथि। बस एहि समाज कए लामबंद करबाक जरुरत छै, जे आब भ रहल छै।