पटना । ऐतिहासिक फैसला लैत दिल्ली सरकार दिल्ली क सरकारी स्कूल मे आठवीं स बारहवीं तक मैथिली आ भोजपुरी भाषा कए वैकल्पिक विषय क रूप मे मान्यता दए देने अछि । आय धरि विद्यार्थी खाली पंजाबी आ उर्दू कए वैकल्पिक विषय मे पढ़ैत छलाह । दिल्ली क उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आ मैथिली-भोजपुरी अकादमी क उपाध्यक्ष नीरज पाठक एकटा प्रेस कॉन्फ्रेंस मे एहि बातक जानकरी देलथि ।एतबे टा नहि सिविल सेवा आ आन प्रतियोगी परीक्षा मे मैथिली विषय कए वैकल्पिक विषय रखनिहार विद्यार्थी कए दिल्ली सरकार फ्री मे कोचिंग करवाओत । जानकरी दैत श्री पाठक कहलाह जे संस्कृत अकादमी मे पहिने से ई प्रयोग भए रहल अछि आ काफी नीक नतीजा भेटि रहल अछि, एहि कए देखैत मैथिली-भोजपुरी अकादमी दिस स मैथिली क फ्री मे कोचिंग कराओल जाएत । एहि क अलावे सरकार मैथिली फॉन्ट बनेबा लेल दिल्ली सरकार सेहो सी-डैक स संपर्क कए रहल अछि । जल्दिए जनता कए फॉन्ट सौंपल जाएत । संगे दिल्ली क कनॉट पैलेस मे नवंबर क दोसर वा तेसर सप्ताह मे पॉंच दिवसीय मैथिली-भोजपुरी उत्सव सेहो मनेबाक फैसला लेलथि अछि । सबसे पैघ फैसला जे दिल्ली सरकार लेलथि अछि ओ अछि शिखर सम्मान (मैथिली आ भोजपुरी) लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार । भारत मे आय धरि मैथिली भाषा लेल एतेक पैघ राशि क पुरस्कार नहि दैल जाए रहल अछि । एहि लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड लेल मैथिली आ भोजपुरी स एक-एक गोटेक 2.5 लाख टका आ प्रशस्ति पत्र देल जाएत। एहि क अलावा मनीष सिसोदिया मैथिली-भोजपुरी भाषा मे कला, साहित्य, रंगमंच, शोध, पत्रकारिता क क्षेत्र मे उल्लेखनीय काज करनिहार कए विभिन्न सम्मान स सम्मानित करताह।
- शिखर सम्मान (मैथिली) लाइफटाइम अचीवमेंट (2.5) लाख
- शिखर सम्मान (भोजपुरी) लाइफटाइम अचीवमेंट (2.5) लाख
- साहित्यकार सम्मान (मैथिली) (1 लाख)
- साहित्यकार सम्मान (भोजपुरी) (1 लाख)
- कला एवं संस्कृति सम्मान (मैथिली) (1लाख)
- कला एवं संस्कृति सम्मान (भोजपुरी) (1लाख)
- पत्रकारिता (मैथिली) (1 लाख)
- पत्रकारिता (भोजपुरी) (1 लाख)
- समालोचना (मैथिली) (1 लाख)
- समालोचना (भोजपुरी) (1 लाख)
- अनुवाद (मैथिली) (1 लाख)
- अनुवाद (भोजपुरी) (1 लाख)
आब सबस जरुरी सवाल ई अछि जे साहित्य अकादमी आ प्रबोध सम्मान जखन 1 लाखक पुरस्कार अछि त ओहि लेल एतेक रास विवाद होएत अछि। हरेक साल पुरस्कार वितरण क बाद ज्युरी क एतेक टंगघिचाई होएत अछि जे आन कोनो भाषा-भाषी मे नहि। नहि खाली किताब पर अपितु ज्युरी पर सेहो सवाल उठैत रहल अछि। एहि बेरक पुरस्कार पर सेहो मैथिली क साहित्यकार विनीत उत्पल अपन फेसबुक पेज स सवाल उठेलथि जे, ”काल्हि मैथिली भाषाक साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार आ साहित्य अकादमी बाल पुरस्कारक घोषणा भेल। परिणाम ई जे प्रकाशक आ ओहि प्रकाशन सं प्रकाशित होए बला लेखक ज्यूरी मे आ दुनू पुरस्कार प्राप्त करय बला पोथी ओहि प्रकाशन सँ। साहित्य अकादेमी मे मैथिली भाषाक परामर्शदात्री समितिक कोर्डिनेटर ब्राह्मण, बाल पुरस्कार आ युवा पुरस्कार क तीन-तीनटा जूरी ब्राह्मण पुरुष, परिणाम जे पुरस्कार विजेता दुनू ब्राह्मण पुरुष भेल। स्त्री आ गैर-ब्राह्मण क कोनो स्थान नै भेटल मैथिली साहित्य मे। एकटा गीतकार जूरी मे, ताहि सं गीतकार कए भेटल पुरस्कार। आगां सं मानल जाय जे गजलकार ज्युरी हेता ते कोनो गजलकार कए पुरस्कार भेटत। उपन्यासकार होएत ते उपन्यास पर, कथाकार होयत त कथाकार कए। पोथी पढय के फुर्सत केकरो नहि। गुणवत्ता नै विधा महत्वपूर्ण ।”
एहि संबंध मे मैथिली क प्रख्यात रंगकर्मी आ मैथिली लोकरंग (मैलोरंगक) क निदेशक प्रकाश झा कहलथि जे दिल्ली सरकार जे आयोजनक घोषणा केलथि ओ सेन्ट्रल पार्क मे होएत आ सेन्ट्रल पार्क मे नाटकक आयोजन बड्ड मुश्किल बुझाएत अछि, ओना हम उम्मीद करब जे आयोजन दमदार होए। पुरस्कारक विषय मे कहैत कहलाह जे पुरस्कार आ विवाद क अन्योनाश्रय संबंध होएत अछि, चाहे ओ कोनो भी पुरस्कार किएक नहि होए। मैथिली मे ई कनि विशेषे रूपे होएत अछि। आब ई डिपेंड करैत अछि जे आयोजन समिति क चयन कोन रूपे होएत अछि। किएक समिति मे जेहन लोक होएत ओहि हिसाबे पुरस्कार लेल लोगक चयन होएत। एहि मादे जखन मैथिली भोजपुरी अकादमी क उपाध्यक्ष नीरज पाठक से गप भेल त ओ कहला जे पुरस्कार वितरण मे पारदिर्शता बरतल जाएत एहि लेल निश्चिंत रहू। प्रत्येक पुरस्कार लेल जे चयन समिति मे चारि-चारि टा लोग होएत, जाहि मे दूटा लोग ओहि विधा से होएत मने साहित्य, कला, रंगकर्म आ पत्रकारिता आ दूटा लोग समाजक विशिष्ट लोग रहत जिनका एहि संबंद्ध मे विशिष्ट ज्ञान होएत। चुकि ई पुरस्कार मैथिली क सबस पैध राशिक पुरस्कार होएत ताहि लेल एकर चयन पर विशेष रूपे फोकस होएत। सेन्ट्रल पार्कक आयोजन आर मैथिली नाटकक संबंध मे ओ कहलाह जे मुक्ताकाश मे नाटक होइते रहल अछि ओना हमर सबहक विचार अछि जे अलग से रंग-महोत्सव सेहो कराबी। एहि मादे मैथिली क युवा आलोचक बालमुकुन्द कहला जे मैथिली टा नहि कोनो पुरस्कार मे पारदर्शीता सोचबो बेमानी अछि। किएक जे संस्था ई पुरस्कार दैत अछि ओ कतहु से ई सोचिते नहि अछि जे हम कोनो भाषा वा साहित्य कए पुरस्कार दए रहल छी ओ खाली अपन आ अपन संस्था क नाम चमकेबाक लेल ई पुरस्कार बांटैत छै। साहित्य अकादमी सेहो एतेक साल स पुरस्कार द रहल छै मुदा तखनो बड़का-बड़का साहित्यकार छुटि जाएत छथि आ जिनका भेटल ओ साहित्य से बिलायल अछि, किछु अपवाद कए छोड़ि दी त.. किएक से सबकए बुझल अछि। जे आदमी जीवन मे एक पन्ना नहि लिखैत अछि से साहित्य अकादमीक ज्युरी बनि जाएत अछि। ते पुरस्कार मे पारदर्शिता क गप केनाय बेमानी अछि। मैथिली मे 455टा किताब छपनिहार नवारंभ प्रकाशन कए सीईओ अजीत आज़द क कहब अछि जे पुरस्कार पर सवाल उठाकए अहाँ ओहि संस्था क संविधान पर सवाल उठा रहल छी। किएक त ज्युरी क चयन स ल कए पोथी क चयन तक ओहि संस्था क एकटा संविधान अछि जाहि स बाहर भए ओ संस्था किछु नहि कए सकैत अछि। एहि लेल हम एहि गप कए एकदम मिथ्या कहब जे एहि मे वा कोनो भी पुरस्कार मे कुनू तरहक धांधली होएत अछि।
कुल मिलाकए मैथिली भाषा लेल जखन एहि पुरस्कारक घोषणा होएत तखने असल बहस शुरु होएत। ता धरि एहि घोषणा लेल दिल्ली सरकार आ खासक नीरज पाठक कए बधाई आ धन्यवाद।