पटना। अपन लघुफिल्म रक्त तिलक स राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना लेनिहार फिल्मकार मनोज श्रीपतिक कहब अछि जे मैथिली मे एखनो तक कोनो फिल्मक निर्माण नहि भ सकल अछि। मैथिली फिल्मक नाम पर जे दर्शक कए देखाउल जा रहल अछि ओ कोनो नजरि स सिनेमाक परिभाषा स मेल नहि खाइत अछि। मैथिली एखनो सिनेमाक पटल पर अनुपस्थित अछि। श्रीपति पिछला रवि कए पटना मे इसमाद क संग विशेष गपशप मे कहला जे मैथिली फिल्म लेल गंभीर प्रयासक आवश्यकता अछि। ममता गावै गीत स शुरु भेल यात्रा आइ पूर्णत: भटकि चुकल अछि। मैथिली सिनेमाक नाम पर जे किछु सामने आबि रहल अछि ओ देख लाज होइत अछि। ओ कहला जे बिना सिनेमाक अध्ययन या प्रशिक्षण लेने या कोनो निर्देशक क सहायक भेने बिना आइ सीधा लोग मैथिली फिल्मक निर्देशन मे उतरि रहल अछि। श्रीपति कहला जे सिनेमाक मतलब केवल लाइट, कैमरा आ एक्शन नहि होइत अछि, ओहि मे कईटा पक्ष होइत अछि जे सोझा स देखाई नहि दैत छैक, मुदा ओकर बिना सिनेमा कोनो सिनेमा नहि भ सकैत अछि। ओ कहला जे सिनेमा त प्रकाश मेहरा क शब्द मे ओ भेल जे परदा पर देखाउल गेल झूठ तक अहां कए सच जेका लागै। अहां ओकरा सच मानि थोपरी बजाबी और आंखि स नोर टपकाबी। मैथिली सिनेमा मे बढैत भोजपुरी तडका कए आत्मघाती कहैत श्रीपति कहला जे भोजपुरी अपने मलियाली सिनेमा स प्रेरित भ चुकल अछि। एहन में मैथिली कए अपन स्वाद कए बना कए रखबाक चाही, मुदा दुखद अछि जे मैथिली आइ भोजपुरीक रंग मे रंगा रहल अछि। श्रीपति इ मानलथि जे मैथिली सिनेमाक बाजार महज 15 स 20 लाखक करीब अछि आ एतबा मे कोनो सिनेमा क निर्माण नहि भ सकैत अछि। तथापि मैथिली मे सिनेमा क निर्माण क प्रयास किछु स्तर पर भेल अछि आ किछु भ रहल अछि। श्रीपति कहला जे मैथिली क कलाकार असमिया या उडिया जेकां सहयोगी क भूमिका मे नहि छथि। असमिया या उडिया क कलाकार अपन तुलना मुंबईया या बंगाली कलाकार स नहि करैत छथि, मुदा मैथिली कलाकार फिल्म क सेट पर बोतलबंद पाइन तक मांग करैत छथि। महिला कलाकारक घोर अभाव अछि। सिनेमाक नाम पर तीन स पांच लाख टका मे बनि रहल निम्न स्तरक ड्रामा स सिनेमाक छवि प्रभावित भ रहल अछि। महिला कलाकार सब मे मैथिली क प्रति गलत समाद जा रहल अछि। श्रीपति कहला जे ओ एखन धरि कोनो मैथिली सिनेमाक योजना जमीन पर नहि अनलहुं अछि, मुदा एकटा कहानी पर काज चलि रहल अछि। महेंद्र मलंगिया ओकर संवाद लेखन क रहल छथि। बाढ पर आधारित एहि सिनेमा कए अगिला साल फ्लोर पर एबाक उम्मीद कैल जा सकैत अछि। श्रीपति कहला जे मैथिली मे कहानी क अभाव नहि अछि आ दर्शक क अभाव सेहो नहि अछि, अभाव अछि त बस गंभीर प्रयासक जे एखन धरि शायद नहि भ सकल अछि।
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