बिहार आ खास कए मिथिलाक लोक लेल इ कहल जाइत रहल अछि जे हिनका सब मे उद्यमिताक अभाव अछि आ इ सब नौकरी करबा लेल योग्य छथि। मुदा नौकरी करनिहारक भीड मे किछु उद्यमीक जन्म सेहो भ रहल अछि, जे कतहु न कतहु बिहार क बदलैत सोच कए देखा रहल अछि। इ समाद समय समय पर एहन उद्यमी स गप करैत रहैत अछि जे अपन लगन आ मेहनत स नव बाट पर चलबाक कोशिश केलक आ सफल भेल अछि। एहि क्रम मे एहि बेर प्रस्तुत अछि मिथिला नेचुरल्स कंपनी क मालिक आ दरभंगा प्रमंडलक मधुबनी जिलाक बेनीपट्टी अनुमंडलक जरैल गांव निवासी मनीष आनंद स इसमाद लेल मणिभूषण राजू स भेल लंबा चर्चाक किछु अंश-: समदिया
प्रश्न : अपनेक प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा पटना आ उच्च शिक्षा दिल्ली में भेल। सब दिन बाहर रहलऊ फेर मिथिला क गाम मे काज करबाक विचार कोना आयल?
मनीष : हमर रूट त गामे में आइछ । कोनो गाछक छाया सबस बेसी गाछक जैर मे होईत छैक। हमर पिता गरीब किसान परिवार स छलाह। गामक स्कूल मे पढि कए पटना, दिल्ली मे सम्मानित नौकरी केलैन। हुनकर सपना छल जे एक दिन गाम घुरि जायब, घर बनायब आ गामक लोक सब संग जीवन क अंतिम समय बितायब। मुदा ओहि बीच मे पिताजी दुनिया स चलि गेलाह।
ओ संस्कार, वो सब लेटेंट क रूप मे हमरा सब मे आयल। पिताजी क निधनक बाद हुनक स्वप्न कए पूरा करबा लेल गाम दिस देखबाक लेल गेलहु। जखन हम गाम गेलहुं त देखलौ जे गाम क गाम वीरान भ गेल अछि। लोक स्किल्ड हुए या अन्स्किल्ड सब शहर जा रहल आछि। गाम मे रोजगार नहि अछि। मिथिला मे नीक जमीन जायदाद रखनिहार सेहो शहर मे स्लम मे रहैत छैक, कहुना अप्पन आ परिवार क पेट भरि रहल छैक। तकलीफ क जीवन जीबा लेल अभिसप्त छथि। अगर गामे मे कनी कम्मे पाई मे अप्पन घर खेत खलिहान मे अप्पन परिवार बच्चा संग बेटर वे मे रहै कए व्यवस्था कैल जाईं त बहुत लोग गाम लौट सकैत अछि।
प्रश्न : अपन मिथिला में उद्यमिता सँ बेसी नोकरीक चाहत होईत अछि। अहांक झुकाव उद्यमिता दिस केना भेल?
मनीष : बहुत दिन नोकरी हमहूं कयने छी। हमरा हमर अन्तर्राष्ट्रीय आ राष्ट्रीय बाजार अनुभव क कारण बेसी समय नहि लागल नोकरी स उद्यमिता मे आबय में।
गाम आ मिथिला कए देखला पर दूटा गप साफ देखा रहल छल। एकटा इ जे आब प्रवासी मैथिल सेहो क्वालिटी वस्तुक ऊपर खर्च करैत छथि। खास क खेनाइ पर। सब चाहैत छै जे एहन स्वच्छ चीज खाई जाहि स स्वस्थ रही। गामक चीज शहर मे ठीक स उपलब्ध नहि अछि। एहन मे कृषि आर फूड प्रोसेसिंग क क्षेत्र मे अपार संभावना देखायल। बिल्कुल ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट। दोसर दिस मिथिलाक बेरोजगारी। एक दिस गाम मे बेरोजगारी आ बाजारक अभाव मे मरैत विधा आओर दोसर दिस गामक स्वाद लेल तरसैत प्रवासी मैथिल। हमरा भेल जे गामक जमीन जे वीरान छैक ओहि पर गामक चीज सब कए जैविक खेती करबा हाइजेनिक तरीका स प्रोसेसिंग क कए आजुक नीक पैकिजिंग संग बेटर मार्केटिंग क वल्र्ड क्लास उत्पाद संग बाजार मे आबि त एकटा रास्ता खुजतैक।
आजुक उपभोक्ता कए क्वालिटी सामान चाही। खाली क्वांटिटी नहि। सस्ता सामान लोक लेतै चाहे केहनो क्वालिटी रहै। हमरा भेल जे हम ई मिथ कएतोईर दी। अगर लोक हल्दीराम या आन कम्पनी क खाद्य पदार्थ महग दाम स ल सकैत छैक त इंडिजेनस भोज्य पदार्थ प्राकृतिक, स्थानीय सामान क बोध भ जाईं, स्वाद आर अप्पन परम्परा स जोरैत छैक त लोक कए लेबै क चाहत बढि़ जाइत छैक।
मिथिला मे खान-पान क एकटा बहुत पैघ बजार आईयो अछि जे विभिन्न कारणवश मिथिला स बाहर नहिं बढि़ सकल। हमरा लागल जे मिथिला क ब्रांड बना कय फूड प्रोसेसिंग मे मिथिलाक खाद्य पदार्थ सबकए बजार पहिने लोकल, फेर नेशनल आ अंत मे ग्लोबल बनाओल जा सकैत अछि, आ अपन नव परिकल्पना ल कए मिथिला लेल, हम आबि गेलौं बिल्कुल नव क्षेत्र मे।
प्रश्न: मिथिला नेचुरल्स स्थापना आ एखन तकक एकर विस्तार क बारे मे किछु कहू। केना की भेल?
मनीष : मिथिला नेचुरल्स क परिकल्पना पहिल बेर 2009 ई. मे पिताजी क इच्छानुसार अपन गाम जरैल मे बाबा बैद्यनाथ जी क कुटी क जीर्णोद्धार (रमन लता कुँज कुटी) क संग भ गेल मुदा मूल मूर्तरुप 2016 ई. मे आयल आ सतत एक सालक मेहनत क बाद 2017 ई. मे विधिवत मिथिला नेचुरल्स धरातल पर अस्तित्व मे आबि गेल।
पछिला तीन साल स हमर सबहक मुख्य उत्पाद मखान रहल अछि, आ हमसब मखान कए कोन-कोन तरह स दैनिक उपयोग करय छी आ कय सकय छी ओहिपर काज भय रहल अछि। एखन गप करि त मखान क अनेकों प्रकारक उत्पाद संग, अलग-अलग प्रकार क अचार, मसाला, स्वास्थ्यवर्धक खाद्य सामग्री आ मिथिला क विशेष तिसियौड़ी, तिलौड़ी, आमिल सनक 30 टा प्रोडक्ट अछि।
अगिला 3 साल मे सम्पूर्ण खाद्य पदार्थ क रेंज संग ई कोशिश रहत जे लोकक प्रतिदिनक भोजन में मिथिला नेचुरल्स कए कोनो ने कोनो उत्पाद शामिल हो।
प्रश्न : मखान पर अहाक विशेष फोकस रहल अछि, पोखरि क कमी मखान क उत्पादन कए केना प्रभावित करैत अछि?
मनीष : निश्चय तलाब-पोखरिक कमी मखान उत्पादन कए प्रभावित कयलक मिथिलाक किछु क्षेत्र मे, मुदा कहल जाईत अछि , आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। ओहिना जखन मखान क मांग बढय़ लागल आ तलाब-पोखरि कम होईत गेल त लोक खेत मे पानी जमा कय मखानक खेती प्रारंभ कयलनि- जहाँ चाह वहाँ राह। एकर सीधा फायदा ओ सब जमीन जोतयवला कए भेलनि जिनक जमीन क लेबल नीचा छल, आ एकर सबस बेसी फायदा पूर्णिया, सहरसा आ कटिहार क सब वर्ग क किसान सब उठेलथि। दोसर दिस मधुबनी-दरभंगा क लोक खेती आ उद्यमिता कए छोडि़ पलायन कय नोकरी पसंद कयलनि।
आई असगर कोशी प्रमंडल देश क कुल मखान उत्पाद क 60 प्रतिशत स बेसी मखान क उत्पादन करैत अछि आ कहियो एहि क्षेत्र मे हजारों कोस आगा रहयवला दरभंगा-मधुबनी मखान लेल कोशी प्रमंडल पर निर्भर अछि,। जखनकि ई एकटा ओपेन सीक्रेट अछि जे पारम्पारिक खेती क मुकाबले मखानक खेती मे 70प्रतिशत बेसी फायदा होईत अछि। संगहि माछ दोहरा फायदा। अगर कियो मखानक खेती लेल इच्छुक छथि त हम मदद लेल तैयार छी।
प्रश्न : मिथिला क कच्चा माल आ मजदूर, ई सब कारोबारी चाहय छथि मुदा कारोबार बाहर करय चाहय छथि। मिथिला नेचुरल्स क की योजना अछि?
मनीष : हमसब मिथिला मे रहि कए मिथिला क लोक लेल मिथिला मे रोजगार उत्पन्न करबाक प्रयास कए प्रमुखता देब। एखुनका माहौल मे लघु आ कुटीर उद्योग क प्रासंगिकता पहिले स कहीं बेसी अछि। खासकर तखन जहन कृषि आधारित उद्योगक अलावा कोनो आर उद्योग कए आबय क संभावना दूर-दूर तक नहि देखाई द रहल अछि। मिथिला नेचुरल्स मिथिला मे कुटीर उद्योग कए पुनर्जीवित करय लेल जमीनी स्तर पर हरसंभव प्रयास आ काज क रहल अछि। संगहि मिथिला कए मज़दूर कुशल आ अकुशल कए सेहो अप्पन जिम्मेदारी बुझैत सहयोग क बाट पर चलै परतैन।
प्रश्न : नीतीश जी पछिला बेर दिल्ली मे मखानक चर्चा कयने छलथि । सरकार स केहन सहयोग भेट रहल अछि?
मनीष : बिहार सरकार आ केन्द्र सरकार कृषि आधारित उद्योगक बढ़ावा देबय लेल संकल्पित अछि आ एकर फायदा लेबा लेल लोक कए आगा आबय पड़तनि। सरकार रास्ता बना आ देखा सकैत अछि। काज करय लेल आ उद्यमी बनय लेल लोक सब कए व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करय पड़तनि। सामूहिक खेती पर काज करहे पड़त खासक मिथिला मे, जतय चकबंदी नहिं भेल अछि आ आब जमीन कए एतेक टुकड़ा भय गेल अछि जे आधुनिक तरीका स खेती नहिं भय सकैत अछि।
उदाहरण लेल एकटा आँकड़ा कहय छी, देखियौ, आई स 50 साल पहिले 45 लाख किसान परिवार लग औसतन 10-12 एकड़ कृषि जमीन छलनि आ आई 1.2 करोड़ परिवार लग औसतन 3.5 एकड़ जमीन छनि। आब समय अछि कि सामूहिक खेती के तरफ बढ़ल जाये।
प्रश्न : मिथिला क उत्पाद कए ब्रांडिंग एखन धरि नीक स नहि भेल, की कहब अछि एहि पर?
मनीष : हम मैथिल सब अपन क्षेत्र कए, अपन भाषा कए आ अपन पहचान कए दोयम दर्जाक बुझय छी ताहि लेल मिथिला क ब्रांडिंग क गप के करत? मिथिला नेचुरल्स मिथिलाक अस्मिता आ अस्तित्व कए प्राथमिकता दैत मिथिला क्षेत्र क सब उत्पाद कएग्लोबल स्तर पर ल जेबाक लेल प्रतिबद्ध आ अग्रसर अछि।
प्रश्न : की हमसब आबयवला समय मे मिथिला नेचुरल्स कए पतंजलि जकां देखि सकय छी?
मनीष : मिथिला नेचुरल्स कए एखन बहुत काज करबाक अछि। बहुत पैघ रस्ता बनेबाक अछि आ ओहि पर चलबाक अछि। आग्रह जे मिथिला नेचुरल्स कए मात्र मिथिला नेचुरल्स रहय देल जाय।
प्रश्न : मिथिलाक युवा पीढ़ी लेल अहां एकटा आदर्श छियै। नव पीढ़ी लेल कोनो संदेश
मनीष : एखन हम एहन नहि छी जे किनको आदर्श बनि। हां, हमहू मैथिल छी, ताहि लेल किछु गप जरुर कहब नव पीढी कए। पहिल जे अखन तक पलायन नहि केलहु अछि त नहि करू। शहर मे 10-15 हजार क नौकरी करबा लेल नहि आबि अप्पन क्षेत्र मे 5-7 हजार क नौकरी क अप्पन व्यवसाय शुरु करू। मैथिल युवा कए इ बुझबाक चाही जे बाहर क तिलस्मी दुनिया दूर स नीक लगैत छैक।
प्रश्न : आ प्रवासी मैथिल लेल ?
मनीष : शहर मे 15-25 हजार क नौकरी क रहल प्रवासी मैथिल इ सोचथि जे हुनका आब मिथिला घुरबाक छैन। बहुत जल्दी मिथिला मे कुशल कामगार क जरूरत पड़तै, आंखि कान खोल कए राखथि। जे निष्ठा आ ईमानदारी स गैर मैथिल लेल काज क रहल छी, ओहि स बेसी कर्तव्यबोध स मिथिला लेल काज करबाक अछि। उद्यमी ककंधा स कंधा मिला कए काज करब तखने सबहक विकास होएत।
ओना प्रवासी उद्यमी सेहो एहि पर ध्यान दथि जे मिथिला मे कृषि आ कृषि आधारित उद्योग क अपार संभावना छैक। आउ एक बेर अपन जमीन पर ईमानदार कोशिश करु। मिथिला मे काज केनाइ मुश्किल छैक, मुदा अपना सब नहि करब त के करत। अप्पन जवाबदेही स मुंह कहिया त मोरब। उपद्रव ओहि महानगर में सेहो भेल होयत लेकिन इच्छा शक्ति स अहां सब पर पार पाइब आई सफल छी। मिथिला मे सेहो किछु लोक उपद्रव करताह, मुदा हुनकर संख्या नगण्य अछि। दिल्ली, मुम्बई या पंजाब मे कोनो लोकल उपद्रव स जेना निपटैत छी तहिना अपन जमीन पर सेहो निपटबा लेल तैयार होउ।
मिथिला क्षेत्र स्लीपिंग जायंट छैक। संघटित मैथिल (कोनो जात वा धर्म) क ताकत कए जहिया हनुमान जकां कोनो जामवंत याद करेतैन तहिया मिथिला कए ताकत दुनिया देखतै। कर्म स्थानक कर्ज सरकार कए कर क रूप मे दैत छियै, जन्मस्थानक कर्ज कहिया चुकायब? सरकार जकां टैक्स त जन्मस्थान नै मांगत, मुदा कर्ज चुकेबाक एक समय आइब गेलैए। आ ई कर्ज स्वेच्छा स सब गोटे कए चुकाबक चाही।
प्रश्र : समय निकालि इसमाद स गप करबा लेल धन्यवाद
मनीष : अहूं कए धन्यवाद।