सदन झा
सोशल मीडिया पर खट्टर कका ई खेल देखि मुसकी छोड़ैत रहलाह। काल्हि, परसू दुनु दिन हमर कौतुहल दृष्टि के बक्र मुसकी संग घुरा दैत छलाह। एक आध बेर घेरबाक प्रयास कएल त खौंझाइत तमसाइत कहलाह, ‘बुझै नहि छह, ई अस्मिता’क राजनीति छिएक, हम एहि दलदल मे पड़ै बला नहि। चुनाव आबि रहल छैक। चुनावी पोखैर’क भाकुर चालि द रहल छैक।’
‘से त सत्ते कका। लेकिन…’
‘धूरि जो… फेर, तोहर अलसिसियन हमर धन्नि के धांगि देलक। ई झबरी के घरे पर किएक नहि आराम कर’ दैत छहि जे हमर धन्नी के बर्बाद करबा लेल एत’ नेने अबै छही।’
हमरा लेल ई खट्टर कका के कुपित भ जेबाक यथेष्ट संकेत भ जाईत छल। ओ गप्प आगू नहि बढ़ब’ चाहैत छलाह, तकर प्रमाण धन्नी’क प्रति मोह आ हमर शेरु पर तामस उतारि के देबाक हुनक पुरान ‘टैक्टिस’।
गप्प ओहिना रहि जाइत रहय। लेकिन आई मूड मे छलाह कका।बजलाह:
‘हौ! ई कह जे १९९९ बला कानुन मे टेरिटरी, रीजन या लौकेलिटी के उल्लेख छैक। राज्य शब्द त नहि छैक ने? तखैन, मिथिला’क दाबा एकदम उचित। यदि मैसुर पाक, बिकानेरी भुजिया आ रतलामी सेव भ सकैत अछि त मिथिला’क मखान किएक नहि? देखह, एत’ बंगाल बनाम् ओडिसा ‘क रसगुल्ला बला तर्क काज नहि करतैक।
फेर कह त कोन बेसी पुरान: मिथिला या बिहार? विदेथ माधव’क उल्लेख त सतपथ ब्राह्मण मे सेहो छैक। उत्तर बैदिक काल।
बिहार त बाद मे भेलैक। आ नीति कहैत छैक जे आधुनिक राज्य के अपन प्राचीन आ समृद्द सांस्कृतिक क्षेत्र’क सदिखन संरक्षण आ प्रोत्साहन देबाक चाही। अहि मे सबहक कल्याण। तखैन चुनाव सेहो त छैहे ।
अच्छा, तों एकटा काज कर’, खट्टर कका स्वर के कम करैत रहस्यमय बनबैत एक छन लेल अपन जिह्वा के बिश्राम दैत हमरा दिस अपन तौलैत दृष्टि फेंकलथि।
‘सुनह। ई लड़ाई थिक भौगोलिकता’क । लेकिन, एकर युद्द भुमि इतिहास होइत छैक। तों ई ताकह जे मखान सं संबंधित प्रमाणिक उल्लेख सबसं पहिने कोन ग्रंथ मे, कोन संदर्भ में आ कोन जगह पर भेलैक? शेष हमरा पर छोड़ि दह।’
सत्यानाश! फेर हमरे फंसा देलाह, खट्टर कका। हम मोने मोन कुनमुनाइत बहरा गेलहूं। पाछू से कका’क अवाज आबैत रहल, ‘मखान’क खीर कते दिन भ गेल, जीह पर देना। आब त स्वादो बिसरा गेल।’
हम मथा हाथ देल। आब कका के मखान’क खीर सेहो भोग लगाबय पड़त।