24 साल स नहि भेल बिहार मे कोनो अध्ययन,
12 साल स राज्य में नीतीश राज
नदी पर गप बहुत होइत अछि। मुख्यमंत्री स ल कए आम लोक क बीच एहि विषय पर चर्चा होइत रहल। नदी अपन मार्ग आ रूप बदलैत रहल। गाद बढैत रहल..छहड ढहैत रहल..मुदा स्थिर रहल त केवल ओ विभाग जेकरा नदी पर काज करबाक छल। मुख्यमंत्री पिछला तीन दिन पूर्व नदी क अध्ययन पर बजलाह मुदा सरकार यानि सिंचाई विभाग कान मे तूर द सुतल अछि। मुख्यमंत्री केकरा, की, किया कहि रहल छथि से पता नहि। मुख्यमंत्री क गप उचित अछि, मुदा जे करत ओ कतहु नहि देखा रहल अछि। मुख्यमंत्री अगर एहि हालात स परिचित नहि छथि त इ आओर गंभीर विषय। नदीक प्रति मुख्यमंत्री केतबा गंभीर छथि आ हुनकर सरकार केतबा गंभीर अछि एहि पर प्रकाश दैत बिहार कवरेज पर आयल छल पत्रकार पुष्यमित्र क इ आलेख, जेकरा मैथिली मे अनुदित केलथि अछि रामबाबू झा ।
यदि बिहारक नदीमे गादक मात्रा पर ज्ञान अर्जन करय चाहब तँ सेकेंड बिहार इरिगेशन कमीशन, 1994 केर बाद अहि विषय़ पर कोनो अध्ययन धरातल पर नै भेल अछि। जखन कि अहि चौबीस सालमे बिहारक नदी सभक सभसँ बेसी क्षति भेल अछि। गाद जमा होयबाक स्थिति दिनानुदीन भयाबह भS रहल अछि। मुदा राज्यक जल संसाधन विभाग नैS बता सकैत अछि जे एखन बिहारक नदी सभमे गादक मात्रा कतेक अछि? ई विडंबनापूर्ण सत्त तथ्य अछि जे सब साल बाढिक तबाही सहय वाला राज्य एखन धरि ओकर प्रभाव आ मूल कारण पर अध्ययन धरि नहि कS सकल अछि? पहिने बिहार इरिगेशन कमीशनमे बाढि पर अध्ययन नहि भेल छल जखन कि अहि आपदा सँ मुक्ति लेल राज्यमे दस साल पर इरिगेशन कमीशन केर गठन कS अध्ययन होयबाक चाहि छल।
राज्यक जल संसाधन विभाग जनिकर काज राज्यकें समस्त नदी सभकें स्वास्थप्रद रखबाक छल से केवल तटबंध आ नदी सँ पटौनी धरि सिकुड़ि कS रहि गेलाह जखन कि विशेषज्ञ पहिने मानि चुकल अछि कि केवल तटबंध मजगुत कएलासँ बाढ़िसँ सुरक्षित नहि कएल जा सकैए? नदी विशेषज्ञ दिनेश कुमार मिश्र केर कहब छनि चाहे नदी पर लोहाकें तटबंध बना लीS मुदा नदी सभकेँ नैS रोकल जा सकैत अछि? संयोगवश आजुक तिथिमे बिहारक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सेहो अहिसँ सहमत अछि आऔर मानैत अछि कि नदी सभक का पिच्छड़पन आऔर ओकर पेटमे गाद जमा भS जाएब बाढिक सभसँ पैघ कारण अछि। परञ्च विभाग अहि दिस एखन सोचS लेल तैयार नहि अछि।
विभागमे बेसी काज टेंडर सँ होयत अछि, शोधपरक काज आऔर भविष्य केर योजना सभ लेल कोनो काज नहि होयत अछि। बहुत पहिने विभागमे एक गोट एडवांस प्लानिंग डिपार्टमेंट रहैत छलैए परञ्च 90 केर दशकमे सेहो बन्द करा देल गेल आब सब काज इंप्लीमेंटेशन कें अछि। शोध आऔर नव सोचकें कोनो स्थान नहि अछि। इसारा स्प्ष्ट अछि पुरने ढर्रामे राम भरोसे सब चलि रहल अछि।
सेकेंड बिहार इरिगेशन कमीशन, 1994
अहि कमीशन केर रिपोर्टमे नदी सभकें डिस्चार्ज, सिल्टेशन, बाढि ग्रस्त प्रभावित क्षेत्र, बाढि केर कारण आऔर सिंचाई परियोजना सभक स्थिति पर विशद अध्ययन कएल गेल अछि। तीन हजार पन्ना वाला अहि रिपोर्ट केर प्रकाशन छह वोल्यूममे कएल गेल अछि। पहिने कमीशन केर रिपोर्ट 1971 में कएल गेल छल। ओहिमे बाढिक समस्या पर अध्ययन नहि कएल गेल अछि।विशेषज्ञ लोकनिक मत अछि कि बिहार जकाँ बाढि ग्रस्त राज्य सभमे नित दस साल पर एहन अध्ययन हेबाके चाहि जाहिसँ बाढ़िसँ जूझS मे मदति भेट सकै।
बिहारक नदीमे सिल्टेशन केर विषयमे सेकेंड बिहार इरिगेशन कमीशन केर रिपोर्ट की कहैत अछि से देखु:-
1. गंगाकें छोड़ि बिहार से गमन करय वाला समस्त नदी मिलकS सभ साल 1,24,000 एकड़ प्रति फीटकें दर सँ सिल्ट जमा करैत अछि।
2. गंगा नदीमे पड़ल सिल्ट केर 40 प्रतिशत भाग बिहारक दोसर नदीसँ भरैत अछि।
3. गंगा बरसातक दिनमे 55 प्रतिशत पानि आऔर फरवरी सँ मई धरि 70 प्रतिशत पानि बिहारक नदीसँ ग्रहण करैत अछि।