पटना । केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह शनिदिन कहला जे मखान उद्योगकए बढ़ावा देबाक उद्देश्य स स्वर्ण वैदेही प्रभेद क इस्तेमाल आब किसानकरताह। एकरा लेल हुनका पोखरि या डबरा क आवश्यकता नहि पडत, बल्कि एकर उत्पादन खेत मे भ सकत। श्री सिंह कहला अछि जे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषदमखान क एकटा नव प्रभेद स्वर्ण वैदेही क खोज केलक अछि। एहि प्रभेद कएकिसान अपन खेत मे लगा सकताह आ एकरा लेल हुनका सिंचाई लेल जल क व्यवस्थाअलग स नहि करै पडत। ओ कहला जे बिहार मे पैघ पैमाना पर मखान क उत्पादनहोएत। ओ उत्तर बिहार मे पोखरिक घटैत संख्या पर चिंता व्यक्त करैत कहला जेएकर कारण स मखान क उत्पादन पर प्रभाव पडल अछि। एकर भरपायी लेल मखान कएफसल प्रणाली क तहत जोडल गेल अछि।
उल्लेखनीय अछि जे बिहार,पश्चिम बंगाल, मणिपुर, त्रिपुरा, असम, जम्मू-कश्मीर, पूर्वी ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान आ उत्तर प्रदेश मेमखान पाउल जाइत अछि, मुदा एकर व्यवसायिक खेती मुख्यत: उत्तर बिहार कइलाका मे होइत अछि। उत्तर बिहार मे 2001-02 मे मखान क खेती करीब 20 हजारहेक्टेयर मे होइत छल, मुदा आइ इ मात्र 13 हजार हेक्टेयर मे भ रहल अछि।मखान क कुल उत्पादन लगभग 25 हजार टन प्रतिवर्ष अछि, जेकरा प्रसंस्करणविधि स करीब दस हजार टन प्रतिवर्ष संभव भ पाबि रहल अछि। दरभंगा मे मखानअनुसंधान केन्द्र अछि जाहि ठाम 11टा वैज्ञानिक कए स्थान पर मात्र पांचटाकार्यरत छथि। एहिना केन्द्र मे केवल एकटा आवासीय मकान अछि। ओना दिसम्बरमाह तक एहि केन्द्र मे आठटा नव आवासीय परिसर क निर्माण कराउल जाएत आवैज्ञानिक कए सेहो नियुक्ति कैल जाएत।
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