मुंबई। मुंबई फिल्म उद्योग बिहार कए बदनाम करबाक कोनो मौका नहि छोडि़ रहल अछि। एक दिस बिहारक पहिल मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह स भेल गलतीक फायदा उठा बिहारी भाषा नामक एकटा असभ्य भाषा बिहार पर थोपल जा रहल अछि, ओतहि विवादास्पद आ अलोकप्रिय प्रथा कए बिहारक नाम पर परोसल जा रहल अछि। पिछला दू साल मे हरियाणा, राजस्थान आ उत्तरप्रदेश मे ऑनर किलिंग क कईटा घटना घटल अछि। पिछला सप्ताह सेहो खाप पंचायत क फैसला आयल अछि। मुदा मुंबई फिल्म उद्योग एहि समस्या कए बिहार पर थोपबाक प्रयास मे अछि। बिपाशा बसु बिहार मे ऑनर किलिंग पर केंद्रित प्रियदर्शन क अगिला फिल्म क लेल बिहारी भाषा सीख रहल छथि। बंगाली फिल्मकार सपन घोष एहि संबंध मे कहला जे मुंबईक फिल्मकार क मानब अछि जे एहन विषय अगर बिहारक पृष्टïभूमि मे देखाउल जाइत अछि त दर्शक कए ओकरा मे बेसी विश्वसनीयता लगैत अछि। एकरा कहां बिहारक प्रति पूर्वाग्रह सेहो मानि सकैत छी। मुदा बाजार मे बिहार बिकाइत अछि।
सवाल अछि बिहार मे भोजपुरी, मगही आ मैथिलीक संग-संग बज्जिका आ अंगिका सन बोली सेहो बाजल जाइत अछि, मुदा बिहारी भाषा क जन्म कहिया आ कखन भ गेल इ कोनो भाषाविद कए पता नहि अछि, मुदा मुंबई मे बैसल फिल्मकार कए पता अछि। सवाल उठैत अछि जे बिहार मे कोनो खाप पंचायत नहि अछि आ नहि कोनो हाल-फिलहाल मे ऑनर किलिंगक मामला सामने आयल अछि। त कि दुनिया कए हरियाणा सन धनि प्रदेशक एहि विकृत छवि स बचेबा लेल बिहार कए बदनाम कैल जा रहल अछि। भोजपुरी कलाकार पंकज तिवारी कहब अछि जे गरीब बिहारक बदनामी होइत रहल अछि। जेना हॉलीवुड मे स्लमडॉग… कए प्रसंशा भेटैत अछि तहिना बिहारक पृष्ठभूमि पर बनल फिल्म बनबा स पहिने कलात्मक भ जाइत अछि। एहि लेल बिपाशा कहैत छथि, ‘हमर द्वारा निभाउल गेल एखन धरि क किरदार क लिहाज स इ एकटा पैघ बदलाव होएत। हम सूती साड़ी मे बिना कोनो मेकअप क परदा पर नजरि आयब। एकरा लेल हम बिहारी भाषा सीख रहल छी, ताकि अपन संवाद मे स्थानीय पुट आनि सकी।Ó एकटा जमाना ओ छल जहिया तीसरी कसम बनैत छल, आइ एहन सिनेमा बनि रहल अछि जाहि मे बिहारक एहन छवि देखेबाक प्रयास भ रहल अछि जे छवि बिहार क नहि अछि, बल्कि दोसर राज्य मे एकटा पैघ समस्या बनल अछि।