कोलकाता । मिथिला चित्रकला शैली क अनुपम प्रयोग एहि साल कोलकाता मे देखबा लेल भेटत। कोलकाता क मिताली काकोरगाछी में मां दुर्गाक प्रतिमा पर मिथिला पेंटिंग स श्रृंगार कैल जा रहल अछि। कोलकाता क माटी स मिथिलाक संबंध त बहुत पुरान अछि, मुदा एहि प्रकारक कोनो प्रयास संभवत: पहिल बेर भ रहल अछि। कलाकार प्रभाकर झा क प्रयास स मां दुर्गा क प्रतिमा पर मिथिला स्कूल ऑफ आर्ट क झलक देखबा लेल भेटत । मधुबनीक जितवारपुर क रहनिहार श्री झा पिछला कई दिन स प्रतिमा कए रंगबा मे लागल छथि । कुल 10टा कलाकारक नेतृत्व केनिहार श्री झा मैथिली शैली से दुर्गा क एक-एकटा अंग कए श्रृंगार क रहल छथि। श्री झा कहला जे भारतक सबस पारंपरिक चित्रशैली मे स एक मिथिला चित्रशैली स मां दुर्गा क श्रृंगार करबाक इच्छा बहुत दिन स छल, मुदा एहि बेर मौका भेटल त एकरा पूरा करबाक प्रयत्न क रहल छी। श्री झा कहला जे एहि ठाम केवल मां दुर्गा क प्रतिमा क नहि बल्कि चाल परहक तमाम प्रतिमाक श्रृंगार एहि शैलीक चित्रकला स कैल जा रहल अछि। श्री झा कहला जे प्रतिमाक संग-संग पूरा पंडाल क साज-सज्जाा सेहो मिथिला चित्र शैली स कैल जा रहल अछि। पूरा पंडाल अहां कए मिथिला क आभास देत। उल्लेिखनीय अछि जे 18वीं शताब्दी में माटीक प्रतिमा क पूजा करबाक परंपरा बंगाल स मिथिला आयल छल आ बनैली मे पहिल माटीक दुर्गा प्रतिमा बनल छल। बनैली क उपरांत मधुबनीक नवटोल में पार्थिव प्रतिमा (माटीक प्रतिम) क पूजा प्रारंभ भेल। आजुक युग मे त पार्थिव प्रतिमाक पूजा सब शहर आ कतेको मोहल्ला् मे भ रहल अछि। मुदा जे पार्थिक प्रतिमा क श्रृंगार मिथिला मे कहियो मिथिला चित्र शैली स करबाक प्रयास नहि भेल, ओ प्रयास कोलकाता मे कैल जा रहल अछि। उम्मीद अछि एहन प्रयोग मिथिला मे सेहो देखबा लेल भेटत।