दरभंगा। दरभंगा एक बेर फेर अपन पुरान रूप मे जेबाक प्रयास क रहल अछि। शास्त्रीय संगीत क प्रेमी रहल दरभंगा क लोग एक बेर फेर लयकारी आ आलापचारी क तरंग पर झुमैत देखा रहल छथि। स्पिक मैके एक बेर फेर दरभंगा मे मंच सजेलक जाहि पर कर्नाटक क धारवाड़ स आयल किराना घराना क पं. कैवल्य कुमार गुराव राग-रागिनी स दरभंगावासी कए पुरान दिन मे लौटबा लेल मजबूर क देलथि। महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान आ महाराजाधिराज लक्ष्मेश्वर सिंह मेमोरियल कॉलेज मे लोक आरोह आ अवरोह मे गोता लगबैत रहल। राग तोड़ी मे ‘अब मोरी नैया पार करो’ आ राग नंद मे ‘धन-धन भाग नंद को’ आओर भजन ‘जित देखूं उत राम ही राम’ क गायन सब कए मंत्र मुग्ध क देलक। रमेश्वरलता संस्कृत कॉलेज मे राग श्याम कल्याण मे अद्धा ताल मे निबद्ध विलंबित क बोल ‘सावन की शाम सुखदाई’ आ एक ताल मे द्रुत क बोल ‘ऐसो घूमि-घूमि जावत हों, हमसे रूठ सौतन घर जावत हो बालम तुम’ क गायन स वातावरण बदलि गेल। एहि दौरान आलपचारी आ लयकारी पेश क सब कए भाव विभोर क देल गेल। एहि ठाम ‘खेलत शिव शंकर सुर संग’ क गायन क संग कबीर भजन ‘मन लागो मेरा यार फकीरी में’ सेहो पेश कैल गेल। हुनकर संग हारमोनियम पर सुधांशु कुलकर्णी आ तबला पर केशव जोशी संगत करैत छलाह।
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