सुनील कुमार झा
भोजपुरी विकिपीडिया पर प्रमुखता स अपन जगह बना लेलक,मुदा मैथिली पछुआ गेल। इ मैथिल टेक-सेवी लेल चिंतन-मनन क विषय अछि संगहि सात करोड मैथिल क मुंह पर जबरदस्त थापर सेहो अछि जे एखनो धरि मैथिली कए आपसी द्वेष मतभेद स अंतरजाल पर जगह बनेबा स रोकि रहल छथि।
मैथिल एकरा लेल ओना सामूहिक प्रयास नहि करि सकलाह जेना भोजपुरी जगतक लोक केलक। अधिकतर मैथिल इन्टरनेटक प्रयोग मैथिली कए गरियेबा लेल आ क्षणभंगुर लोकप्रियता लेल करैत रहलाह अछि। एहन मे मैथिलीक ग्लोबलाइजेशन क सपना सपने रही सकैत अछि। किछु लोक जे एहि प्रयास मे छथि ओ सेहो थाकि हारि कए रहि जेताह। मैथिल क टांगघिच्चा प्रवृति स मैथिली क बंटाधार होइत आयल अछि आ इतिहास एक बेर फेर दोहरा गेल अछि।
इ’समाद किछु दिन पहिने राजेश रंजन, संगीता कुमारी आ हुनकर टीमक योगदान कए अहां सबहक समक्ष रखने छल। इ सब मैथिली मोजिल्ला क बीटा वर्जन बना इतिहास रचि देने छथि। राजेश रंजन सूचना प्रोद्यौगिकी मे मैथिली क स्थान क संबंध मे पूछला पर कहने छलाह जे मैथिली एप्लीकेशन क भविष्य एकर प्रयोक्ता पर निर्भर करैत अछि आओर प्रयोक्ता चाहत त एकर भविष्य उज्जवल आ अंधकारमय बना सकैत अछि। ओना गजेन्द्र ठाकुर सन प्रयोक्ता क योगदान कए सेहो उल्लेखनीय अछि, ओ लगातार विकिपीडिया स मैथिलीक विकासक लेल लडैत रहलाह अछि। मुदा एकटा सवाल अछि जे एना छिटपुट प्रयास स एतबा पैघ काज कोना भ सकत। आजुक समय मे ज्यों अंतरजाल पर एकटा सर्वे कराओल जाए जे कतेक प्रतिशत लोक अंतरजाल पर मैथिली एप्लीकेशन क प्रयोग करैत अछि त 70 प्रतिशत स बेसी क जवाब आउत “की मैथिली मे कोनो एप्लीकेशन छै?” प्रयोगक बात त छोडू। तिरहुत/मिथिलाक्षर क गप ज्यों छोडि दी तखनो देवनागिरी मे मैथिली लिखनिहार क प्रतिशत आंगुर पर गिनबा योग्य अछि। आब सवाल इ अछि जे हम एकर प्रचार-प्रसार पर ध्यान नहि द अनका गरियेबा मे किया लागल छी। अपन स्वार्थ लेल भाषाक उन्नति किया अवरुद्ध केने छी। साहित्य स ल कए सिनेमा तक, इतिहास स ल कए भूगोल तक, घर स ल कए बाजार तक आओर कलम स ल कए अंतरजाल तक मैथिली खाली अपन टांगघिच्चा प्रवृतिक शिकार भेल अछि। 2003 मे मैथिली कए संविधान क आठम अनुसूची मे शामिल कैल गेल, मुदा मैथिल एना चैन क निन्न सुतबा जेना लड़ाई ख़त्म भ गेल, जखन कि लडाई त शुरू भेल छल। लोक इ नहि बुझलक जे मैथिली एखन खाली अपन स्थान लेलक अछि, पहचान लेबा लेल बहुत काज बाकी अछि।
ओना कहबाक लेल त मैथिली, भोजपुरी स 800 साल पुराण अछि, हमर अपन लिपि अछि, साहित्य अछि, क्रमानुगत भाषाक विकास अछि आओर युग-युग स चलैत आबि रहल परम्परा अछि। मुदा जाहि प्रकार स हम चलि रहल छी की हम निरंतर रहि सकब, की हमर सतत यात्रा एहिना जारी रहत आकि हम मैथिली क टांगघिच्चा प्रवृति क शिकार भ बाट मे दम तोड़ी देब।
जाहि प्रकार स भोजपुरी दिन-दूना राति चौगुना तरक्की करि रहल अछि। फूहड़ गीत स एकटा वर्ग आ गंभीर लेखन स दोसर वर्ग मे पहुंच विश्व पटल पर छा रहल अछि, ओ करबा मे मैथिली पछुआ गेल अछि। मैथिली जतए गंभीर लेखन स अपना कए अलग करैत जा रहल अछि ओतहि तकनीकि रूप स सेहो काफी कमजोर भ रहल अछि। भोजपुरी गीत-संगीत आओर सिनेमा व्यवसायिकता क चरम पर अछि नित नब-नब चैनल, अखबार, पत्रिका आ वेबसाईट आबि रहल अछि आओर नब-नब प्रयोग क कए सबकए चौंका रहल अछि,मुदा मैथिली क गति बहुत धीमा अछि। मैथिलीक हाल एहन किया भेल। की हमर प्राचीन आ सुन्दर साहित्य खाली कागज क डिब्बा मे सिमैट कए रहि गेल अछि?
भिखारी ठाकुर क एकटा नाटक विदेसिया भारत क संगहि विदेश मे सेहो डंका बजा देलक, मुदा हम अखनो हरिनाथ झाक पाँच पत्र ल नेपाल स आगू नहि जा सकलहुं अछि। जखन कि मैथिल विश्व पटल पर छा गेल छथि। एकर एक मात्र कारण इ अछि जे हमर साहित्य स ल कए संगीत तक स्वार्थ सिद्ध करबाक साधन मात्र अछि। स्वार्थ सिद्ध लेल सब मैथिली क सेवक बनल छी।
आइ भोजपुरी विकिपीडिया पर प्रमुखता स आबि गेल, संविधान क आठम अनुसूची मे शामिल हेबा लेल प्रयासरत अछि , साहित्य आ संगीतक चर्चा अंतरराष्ट्रीय पटल पर भ रहल छै, किया त भोजपुरी अपना कए एकजुट रखने अछि। मैथिल मे प्रतियोगिता क बदला पर एक दोसर कए नीचा देखेबाक काज होइत अछि। भोजपुरी क एहि सफलता स उम्मीद कैल जाए जे सब नीक काज छोडि लोक कए गरियेबा मे लागल मैथिलक आंखि खुजत। कम स कम आब त अपन भाषाक सर्वांगीण विकासक गप सोचल जाएत। ओना ज्यों भाषा क विकास खाली कथा, कहानी, नाटक आ ग़ज़ल लिख देला स या साहित्य आकादमी स पुस्कार पाबि लेला स भ सकैत छल त बहुत भाषा संग मैथिली सेहो आइ आधुनिक भाषाक कतार मे देखाइत रहिते। भाषा क विकास तखने संभव अछि जखन हम अपन टांगघिच्चा प्रवृति कए छोडि, व्यक्तिगत स्वार्थ स ऊपर उठि, अपन भावी पीढ़ी लेल एकरा आधुनिक भाषा बनेबाक प्रयास करि। तखने मैथली ओ मुकाम पर पहुँचत जेकरा लेल ई वांछनीय छल।
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बेहतर आलेख.
neek likhal…
Sunil ji aaha ke baat se hum sahmat chi. Atbe nai bahar me te bihar mane bhojpuri bhujhai chai. Maithili ke ta namonissan nai. Je maithil achi oho bhojpuri geet sangeet,bhasa me besi lagal aachi aur apan bhasa bisair gail. Apan bhasa ke prayog me ki ke laaz. Aai dekhai chiya ki bahut maithil samudai ke log apno me apan bhasa ke choid ke Hindi aur bhojpuri ke prayog kaa rahal achi. I sab dekh kai bahut dukh haai ye.
गप्प सत्य यथार्थ कहल। कोन कारण अछि मात्र हम सभ अखनि धरि सचेष्ट नहि भए रहल छी।
@ Rajesh kumar jha
Atbe nai bahar me te bihar mane bhojpuri bhujhai chai.
MITHILA aa Bihar me e je asamanta chhaik se banal rahaik ta neek. Bihai maane Maithili kono Maithil kein bardast nahi.
Identification alag achhi se Mithila lel nee. Ona aan Bindu sab satte sochaniya achhi.
नीक आलेख….
Behatreen aalekh… sunil ji dhnyvaaad ke patra chhathi …..
Dhanyavaad neek aalekh… aankhi kholay bala….
Bahut neek alekh. Jabet Mithila Rajya nahi banat humsab ehina pachhuait rahab.