कुमुद सिंह/ आशीष झा
दरभंगा। भारत मे बहुत एहन शहर अछि जे अपन वास्तुशिल्प लेल ख्यात अछि। ओकर पहचान ओकर स्थापत्य कला स होइत अछि। दरभंगाक कामेश्वर नगर परिसर सेहो अपन वास्तुशिल्प लेल ख्यात अछि। इटेलियन, ब्रिटिश आ मुगल वास्तुशिल्प क मिश्रण एहि परिसर क पहचान रहल अछि। मुदा इ पहचान आब बेसी दिन बनल नहि रहत। जानकारक कहब अछि जे विश्वविद्यालय सबहक रवैया नहि बदलल त अगिला 20 साल मे कामेश्वर नगर क वास्तुशिल्प पूर्णरूप स बदलि जाएत। आइ जेतबा घमंड एकर सुंदर वास्तुशिल्प पर अछि, काल्हि ओतबे लाज एकर घटिया वास्तुशैली पर आउत।
दरअसल वास्तुशैली कए बना रखबाक प्रयास दूनू विश्वविद्यालय प्रशासन कहियो करबे नहि केलक। परिसर मे पिछला 30-40 साल मे भेल कोनो नव निर्माण में एहि परिसरक स्थापत्य कला कए आधार नहि बनाउल गेल। परिसर क वास्तुशैली मे स लगातार गंभीर छेडछाड भेल आ आइ कईटा सुंदर भवन बेतकरीब निर्माण स झपा रहल अछि। दूनू विश्वविद्यालय प्रशासन अपन कोनो नव निर्माण मे एकर कनिको ध्यान नहि रखलक जे ओकर एहि प्रकारक काज स पूरा परिसर क पहचान एक दिन मिट जाएत।
कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर क वास्तुशिल्प संग छेडछाड करबाक परंपरा क शुरुआत केलक। ओ अपन छात्रावास क निर्माण आ लक्ष्मीविलास पैलेस स ठीक सटा कए बनाउल गेल केंद्रीय पुस्तकालय क वास्तुशिल्प मे कतहु इ ध्यान नहि रखलक जे एकर नव वास्तुशिल्प स एतिहासिक लक्ष्मीविलास पैलेसक सुंदरता प्रभावित होएत। एतबे नहि सडक दिस स पैलस देखबा काल ओकर छात्रावास कवास्तुशिल्प सेहो आंखि कए सकून नहि दैत अछि। बाद मे त संस्कृत विश्वविद्यालय गेट आ घेरा बना लक्ष्मीविलास पैलेस क अंतरआत्मा कए मारि देलक अछि।
एहन नहि जे समय समय पर एकर विरोध नहि भेल। मिथिला विश्वविद्यालयक एकटा सेवानिवृत अधिकारी नाम नुकेबाक शर्त पर कहला जे विरोध त शुरू स होइत रहल। जखन नरगौना परिसर क दीवार सरकार तोडि कए ग्रील लगेबाक निर्णय लेलक तखनो किछु लोक विरोध केलथि, मुदा कहल गेल जे परिसरक सुंदरता आम दरभंगावासी कए देखेबा लेल इ कैल जा रहल अछि। इ सच छल जे परिसर अदभुत सुंदर छल आ दरभंगा क लोक दूर स देख गदगद भ जाइत छल। मुदा ग्रील लगेबाक कारण करीब छह फुट उंच मुगल वास्तुशैली क दीवार कए तोडि देल गेल। ओ निर्णय सही छल बा गलत एहि पर आब चर्च नहि भ सकैत अछि किया त समय खुद एकर उत्तर द देलक अछि। ग्रील अपन कमजोर निर्माण क कारण जहग-जगह ध्वस्त भ रहल अछि आ परिसर सेहो आब दरभंगा क जनता कए देखेबा जोकर नहि रहल, एहन मे मिथिला विश्वविद्यालय प्रशासन ग्रील क जगह पर फेर छह फुट उंच दिवार ढार क रहल अछि। एकरा मूर्खता कही बा परिसर संग जानि बुझि कए कैल गेल बलात्कार, मुदा दीवार त आइ देखा रहल अछि, मुदा पहिने सन वास्तुशिल्प हेरा गेल। सवाल अछि जखन दीवार अंतिम समाधान छल त पहिलका दीवार तोडल किया गेल आ अगर नव दीवारक निर्माण भेल त पुरान दीवार स मिलैत-जुलैत कम स कम वास्तुशिल्प किया नहि राखल गेल। एहन चितकबरा परिसर करबाक कोन जरूरत भेल। मिथिला आ संस्कृत दूनू विश्वविद्यालय प्रशासन एहि परिसरक वास्तुशिल्प पर शुरू स भ्रम मे रहल। नरगौना परिसर मे करीब 3200 गाछ कए कटलाक बाद तैयार भेल जमीन पर जखन विभाग क निर्माण शुरू भेल, तखन किछु लोक ओकर वास्तुशिल्प पर ध्यान दियेबाक काज केलथि, मुदा मिथिला विश्वविद्यालय प्रशासन ‘बारीक पटुआ तीत’ मानि सबटा राय कए खारिज क विभाग क वास्तुशिल्प दिल्ली क जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय स प्रेरित भ तैयार करा लेलथि। ओ कालखंड कांग्रेस क छल आ कामेश्वरनगर क वास्तुशिल्प स सबस पैघ छेडछाड विभागक निर्माण क दौरान भेल। एकर बाद बहुत दिन तक परिसर मे जे निर्माण भेल तेकर वास्तुशिल्प कमोवेश दिल्ली क जेएनयू स मिलैत जुलैत रहल आ एकर प्रकार स मुगल, ब्रिटिश क संग-संग ओ आंखि पर बैस गेल। मुदा पिछला 10 साल मे वास्तुशिल्प स सामूहिक बलात्कार शुरू भेल। एक दिस जतय जेएनयू क वास्तुशिल्प क प्रभाव खत्म भ गेल ओतहि पुरान भवन कए झपबाक प्रवृति सेहो सामने आयल। ओना प्रबंधन छात्रावास क वास्तुशिल्प जेएनयू स प्रभावित अछि, मुदा विभाग क निर्माण मे जे वास्तुशिल्प प्रयोग भेल ओ परिसर मे ओकरा आन भवन स अलग क देलक। एकर बाद त कोनो भवन क वास्तुशिल्प मे एकरूपता रहबे नहि कैल। विश्वविद्यालय प्रशासन त हद तखन क देलक जखन एतिहासिक मोती महलक ठीक सामने केंद्रीय पुस्तकालय बना देलक। 1934 क भूकंप मे ध्वस्त भेल मोदी महलक किछु भाग एखनो देखनुक छल, जे आब पूर्णत: झपा गेल। तहिना मिथिला विवि प्रशासन नरगौना पैलेस आ लक्ष्मीविलास पैलेसक ठीक बीच मे भवनक निर्माण शुरू क देलक। समय रहैत एकर जोरदार विरोध भेल। विधान पार्षद विनोद चौधरी क पहल पर जेना-तेना निर्माण रोकल गेल। मुदा थेथर प्रशासन अपन सोच नहि बदलि सकल। यूरोपियन शैलीक अदभुत भवन यूरोपियन गेस्ट हाउस (महात्मा गांधी अतिथिशाला) क ठीक सामने एकटा निर्माण शुरू क देलक अछि, जेकरा वास्तुशिल्प सेहो परिसर मे अनल आन भवनक वास्तुशिल्प स अलग अछि। एहन मे ओकर निर्माण पूरा भेला पर एक दिस जतए गेस्ट हाउस नुका जाएत, ओतहि परिसर क सुंदरता पर एकटा आउर बदनुमा दाग लागि जाएत।
नव निर्माणक संगहि विश्वविद्यालय प्रशासन मरम्मत क नाम पर पुरान वास्तुशिल्प संग सेहो गंभीर छेडछाड क रहल अछि जाहि स कामेश्वरनगर क आधारभूत ढांचा मे परिवर्तनक संगहि वास्तुशिल्प संग बलात्कार या दुष्कर्म कैल जा रहल अछि। हाल मे महामहिम क यात्रा लेल भेल प्रसिद्ध चौरंगीक मरम्मत मे एकर नमुना देखल गेल। चौरंगी पर आम लोक कए बैसबा लेल बनल बेंच कए मरम्मत क नाम पर एहन निर्माण कैल गेल जे पूरा चौरंगीक शोभा नष्ट भ गेल। तीन इंच क घुमाउदार दीवार कए सीधा पांच इंच क दीवार ढार क एहन मरम्मत कैल गेल जे देखबा पर थूकबाक मन करत।
एहि संदर्भ मे दरभंगाक विधायक संजय सरावगी क कहब अछि जे कामेश्वर नगर दरभंगाक पहचान छी आ ओ एकर मुखर विरोध विश्वविद्यालयक कईटा कार्यक्रम मे क चुकल छथि। श्री सरावगी कहला जे परिसर मे भ रहल आ भेल भवन निर्माणक वास्तुशिल्प कए देख दुख होइत अछि आ एकर विरोध सब स्तर पर हेबाक चाही। सरावगी कहला जे लक्ष्मीविलास पैलेसक पाछु मे प्रस्तावित बोटिंग क्लब क जीटी निर्माण मे वास्तुशिल्प पर खास ध्यान देल जा रहल अछि आ ओ देखबा मे महल क वास्तुशिल्प स मिलैत-जुलैत होएत।
दूनू विश्वविद्यालय प्रशासन क एहि रवैयाक अंत पता नहि कहिया होएत, मुदा एतबा जरूर अछि जे अगर इ क्रम जारी रहल त इ परिसर अपन वास्तुशिल्प लेल नहि जानल जाएत आ एकर वास्तुशिल्प आन धरोहर जेना नष्ट भ जाएत।
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एम्हर ओम्हर देखने बेसी लाभ आब नहि देखना जाइछ.पुरना चाउर पुराने रहतैक.नव नहि भ सकैत छैक.मिथिलाक अपन वास्तुशिल्प विकसित करबाक प्रयास हेबाक चाही.ई नाम मिथिला के धरोहर के स्थायी बनाऔत.