प्रितिलता मल्लिक
पटना। बिहार पंचायती राज व्यवस्था क मामला मे देशक अन्य राज्य लेल आइ रोल माडल बनि गेल अछि। बिहारक इ बदलाव कोनो जादू टोनाक कारण नहि भेल, बल्कि एकर पाछु एकटा लंबा आ मजबूत प्रक्रिया रहल। कहियो सामंती ताकत आओर जमींदार क हवेली तक सिमटल मुखियाक पद पर आब गामक गरीब आ पसीना क गंध स तर बतर रहनिहार आम मेहनतकश क बेटा-पुतहु बैस रहल अछि। हिनका सब कए मात्र राजनीतिक ताकत नहि भेटल अछि, बल्कि इ सब बड जतन स पंचायत क भाग्य सेहो बदलि रहल छथि। एतबे नहि घर क दुहारि स बाहर कहियो पैर नहि रखनिहारि महिला कए गामक पंचायत क बागडोर पकडबा लेल तैयार करनिहार बिहार देश क पहिल राज्य अछि। आइ बिहारक एहि काज कए दोसर राज्य अपन पंचायत लेल माडल बना रहल अछि। एहन मे विचारणीय अछि जे आखिर बिहार अपन पंचायत कए कोना आर्दश रूप द सकल। जे राज्य पिछला 23 साल स पंचायत चुनाव नहि देखने छल, ओ राज्य कोना आइ देश लेल एकटा मॉडल बनि गेल। निश्चित रूप स इ एकटा शोधपरक आ उल्लेखनीय यात्रा अछि।
2005 क नवंबर मे सरकार क काज संभारबाक बाद पंचायत मे आरक्षण क प्रक्रिया क समाधान ताकल गेल। पिछुलका सरकार मे इ मामला अदालत मे लटकल छल। नव सरकार 2006 मे कानून क पेचिदगी कए दूर केलक आ पिछडा आ महिला कए आरक्षण क सुविधा देलक। आबादी क अनुपात मे अनुसूचित जाति कए 16 प्रतिशत, अनुसूचित जन जाति कए एक प्रतिशत आ अति पिछडी जाति कए 20 प्रतिशत क आरक्षण देल गेल। इ ऐतिहासिक फैसला छल। जे काज एखनधरि क सरकार सब नहि क चुकल छल ओ संभव भेल। इ व्यवस्था केवल ग्राम पंचायत नहि बल्कि त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था मे ग्राम कचहरी, नगर पंचायत, प्रखंड प्रमुख आ जिला परिषद क सबटा पद लेल लागू भेल। एकर सबस बेसी लाभ अति पिछडी जाति कए भेटल। एखन धरि सत्ता स दूर रहल एहि जाति सबहक सामाजिक स्थिति नीक नहि छल। जखन आरक्षण क व्यवस्था भेल त एहि समाज मे शासन-प्रशासन क प्रति जागरूकता आयल। दूटा चुनाव स 8842 ग्राम पंचायत आ एतबे ग्राम कचहरी मे कम स कम एक चौथाइ पद पर अति पिछडी जाति क लोक निर्वाचित भेलथि। पंचायत स जिला परिषद क पद पर महिला लेल पचास प्रतिशत सीट आरक्षित कैल गेल अछि। 2006 मे जखन नव व्यवस्था क तहत चुनाव क घोषणा भेल त गाम मे एकटा नव क्रांति क झलक दिखबा लेल भेटल। घोघ मे रहनिहारि महिलाएं मुखिया, सदस्य, जिला परिषद लेल नामांकन दाखिल करबा लेल घर स बाहर निकलथि। इ पहिल मौका छल, हुनकर संग पति छल, बेटा छल आ पुरुष अभिभावक। शायद कोनो टोला या बसावट नहि रहल जाहि ठाम स कियो महिला उम्मीदवार सामने नहि एलीह। चुनाव भेल, नतीजा आयल, एकटा नव व्यवस्था गाम मे आयल। पहिनेसन बिहार बदलए लागल छल। पैघ संख्या मे महिला आ अति पिछडी जाति स अबिनिहार पुरुष आ महिला कए चुनि कए आयल त सरकार हिनकर स्वागत केलक। पंचायत क बाद ग्राम कचहरी, पंचायत परिषद, जिला परिषद क चुनाव कराउल गेल। जिला परिषद क अध्यक्ष-उपाध्यक्ष आओर नगर निगम क मेयर आओर उप महापौर क पद कए सेहो आरक्षित कैल गेल। पंचायत कए धीरे -धीरे अधिकार सौंपल गेल। प्राथमिक स हाई स्कूल मे शिक्षकक नियुक्ति क अधिकार त्रिस्तरीय पंचायती राज सिस्टम कए सौंपल गेल। पंचायत कए प्राथमिक आ मिडिल शिक्षक क नियुक्ति आ हुनकर वेतन, मानिटरिंग आदि क अधिकार भेटल।
2006 क बाद 2011 मे पंचायत क चुनाव भेल। धीरे धीरे जखन पटरी पर व्यवस्था आयल त एहि मे सुधार क सेहो गुंजाइश बनए लागल। पंचायत कए अधिकार भेटल त हुनकर मनमानी रोकबाक सेहो व्यवस्था भेल। 2007 मे पहिल संशोधन कैल गेल। सरकार मुखिया, उप मुखिया, प्रखंड प्रमुख, उप प्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष आओर उपाध्यक्ष क पद स हटाउल गेल लोक कए अगिला पांच साल तक लेल चुनाव लडबा पर रोक लगेबाक नियम बनल। 2009 मे दोसर संशोधन पारित कैल गेल। इ तय भेल जे जाहि पद लेल आरक्षण क व्यवस्था भेल, ओ लगातार नहि होएत। बल्कि दूटा चुनावी वर्ष क साइकिल होएत। यानि 2006 मे जे पद आरक्षित कैल गेल ओकर स्थिति 2011 क चुनाव मे सेहो यथावत रहेत। 2016 मे प्रस्तावित चुनाव मे आरक्षण क साइकिल बदलत।
2010 मे सरकार एकटा आओर संशोधन केलक। काज सुभितगर करबा लेल पंचायत क मुख्य कार्यपालक अधिकारी आब प्रखंड विकास पदाधिकारी कए बना देल गेल। पहिने इ एडीएम स्तर क वरीय अधिकारी कए अधिसूचित कैल गेल छल। 2011 मे सरकार एकटा आओर नव व्यवस्था केलक। लोक प्रहरी क नियुक्ति क विधान मंडल स कानून पारित क एकरा लागू कैल गेल। एकर तहत कोनो मुखिया, उप मुखिया, प्रमुख, उप प्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष आओर उपाध्यक्ष कए पद स हटाबा लेल एकटा लोक प्रहरी क नियुक्ति होएत। लोक प्रहरी क जांच क बाद कोनो पंचायत प्रतिनिधि कए ओकर पद स हटाउल जाएत। एकर संगहि निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि कए लोक सेवक क दरजा सेहो देल गेल।
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